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फिश डिलीवरी से लेकर प्रवासी डेटाबेस तक- लॉकडाउन के दौरान भारत में हर चीज़ के लिए है सरकारी ऐप

कोविड से उपजी चुनौतियों से निपटने तथा लोगों की और अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों ने क़रीब 40 एप्स तैयार किए हैं.

ग्राफ़िक : सोहम सेन/ दिप्रिंट

नई दिल्ली: कोविड-19 वैश्विक महामारी के समय जिसने सभी मुल्कों को अंदर रहने पर मजबूर कर दिया और सामाजिक मेल मिलाप को सीमित कर दिया. एप्स के कारोबार में ख़ूब तेज़ी आई है. भारत में केंद्र सरकार से लेकर स्थानीय निकायों तक सब इस तेज़ी का हिस्सा रहे हैं, जिसमें उन्होंने बीमारी को ट्रैक करने और लोगों की मदद के लिए, दो महीने में लगभग 110 अप्स लॉन्च किए हैं.

इनमें सिर्फ कोविड से संबंधित एप्स ही नहीं हैं. अभी तक ऐसे कम से कम 66 एप्स लॉन्च किए जा चुके हैं- बल्कि जनसेवा की दूसरी बहुत सी एप्लिकेशंस भी हैं. क़रीब 10 एप छात्रों के लिए ऑनलाइन लर्निंग से जुड़े हैं. चार मौसम पर नज़र रखने के लिए हैं. 12 एप्स प्रवासी मज़दूरों के काम ढूंढने के लिए बनाए गए हैं और कम से कम 11 आवश्यक चीज़ों और भोजन की डिलीवरी के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं, जिनमें 3 ख़ासकर मछलियों की डिलीवरी के लिए हैं.

इनमें से अधिकांश एप्स गूगल प्ले स्टोर पर हैं.

यहां पर लॉन्च की गईं कुछ ग़ैर-कोविड एप्स का ब्यौरा दिया गया है और बताया गया है कि वो कितने उपयोगी रहे हैं.

मींगल

तमिलनाडु मत्स्य विकास निगम की ओर से जारी एप मींगल लॉकडाउन के दौरान मछलियों की डिलीवरी में सहायत के लिए बनाया गया था. चेन्नई स्थित बाइटीज़ेम नामक स्टार्ट-अप द्वारा तैयार किए गए इस एप में एक सरल और जानकारी पूर्ण यूज़र इंटरफेस है.

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इसे अप्रैल को लॉन्च किया गया था, और तब से इसके क़रीब 10,000 डाउनलोड्स हो चुके हैं, और इसे गूगल प्ले स्टोर पर 3.6 रेटिंग दी गई है.

इस एप के ज़रिए मछली विभाग ताज़ा प्रॉन्ज़, क्रैब, मछली और सीफूड का अचार वर्जन भी सप्लाई करता है.

अपने सीफूड मार्केट का फायदा उठाने वाला, तमिलनाडु अकेला सूबा नहीं है. पश्चिम बंगाल ने भी स्टेट फिशरीज़ डिपार्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड-एसडीएफसी नाम से एक ऐप जारी किया है. लेकिन ये एप बहुत अच्छा नहीं चला है और गूगल प्ले स्टोर पर इसे क़रीब 2.2 की रेटिंग मिली है. यूज़र्स की शिकायत है कि ऑर्डर्स की डिलीवरी कई दिन तक नहीं होती.

बिहार सरकार भी अपने मौजूदा डीओएफएचडी बिहार ऐप के ज़रिए मछली बेंचती है, जिसपर राज्य मछली विभाग ने एक क्रेता-विक्रेता मॉड्यूल जोड़ दिया है. गूगल प्ले स्टोर पर इसके 5,000 डाउनलोड्स हैं और 24 रिव्यूज़ हैं, जिनमें 15 असंतुष्ट यूज़र्स के थे.

क्यूटोकन दिल्ली सरकार का मोबाइल ऐप है, जिससे सरकारी शराब की दुकानों से ख़रीदारी करने वालों को, ई-टोकंस दिए जाते हैं. ये ऐप 8 मई को जारी किया गया, जिसका मक़सद शराब की दुकानें खुलने के बाद उनपर लगी भीड़ को नियमित करना था.

ये ऐप अब गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध नहीं है, लेकिन क्यूटोकन साइट के ज़रिए इस तक पहुंचा जा सकता है. इसके अंदर एक घंटे में केवल 50 टोकंस पंजीकृत होते हैं, जिसका मतलब है कि वुकिंग विण्डो पकड़ने के लिए, ग्राहक को इस साइट पर विज़िट करते रहना होता है. बहुत सारी तकनीकी ख़ामियों और अकसर क्रैश होने के बावजूद, लॉन्च के तीन दिन के भीतर, वेबसाइट से 4.75 लाख टोकंस जारी किए गए.

तमिलनाडु और केरल ने भी शराब की दुकानों पर भीड़ से बचने के लिए, इसी तरह के एप्स लॉन्च किए.

केरल का बीईवीक्यू गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है. 27 मई को केरल स्टेट वेबरेजेज़ कॉरपोरेशन द्वारा जारी इस ऐप की 3.4 रेटिंग है और 10 लाख से अधिक डाउनलोड्स हैं. लेकिन रिव्यूज़ से पता चलता है कि इसका इंटरफेस बहुत यूज़र-फ्रेण्डली नहीं है. लोगों ने ये भी कहा कि वो टोकन नहीं ले पा रहे थे.

ईज़ी टैस्मैक तमिलनाडु की ओर से तब जारी किया गया, जब 8 मई को मद्रास हाईकोर्ट ने शराब की सभी दुकानों को बंद करने का आदेश दे दिया. लेकिन अल्कोहल की ऑनलाइन ख़रीद की अनुमति दे दी. लेकिन अब ये ऐप गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध नहीं है.

किसान रथ

अपनी उपज की ढुलाई में किसानों की सहायता के लिए, नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर द्वारा विकसित ऐप किसान रथ के, प्ले स्टोर पर 100,000 से अधिक डाउनलोड्स हो चुके हैं और इसकी रेटिंग 3.7 है. ऐप का प्रमुख लक्ष्य था किसानों और कृषि व्यापारियों के बीच की खाई को भरना. यूज़र रिव्यूज़ से पता चलता है कि लॉग-इन की समस्या एक आम शिकायत थी.

ई-ग्राम स्वराज

अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की पंचायत राज प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ई ग्राम स्वराज पोर्टल ल़ॉन्च किया. इस ऐप में पंचायत राज इकाइयों की विभिन्न गतिविधियों की उन्नति और फंड्स के उपयोग की जानकारी दी जाती है.

लॉन्च के 21 दिन बाद 15 मई के अपडेट किए गए वर्जन में पूरे एप्लिकेशन को हिंदी में उपलब्ध करा दिया गया.

ऐप की प्ले स्टोर पर ऊंची 4.2 रेटिंग है और इसके 100,000 से अधिक डाउनलोड्स हो चुके हैं. लेकिन इसके रिव्यूज़ मिले-जुले हैं, जिनमें इंटरफेस की शिकायतें शामिल हैं.

प्रवासी राहत मित्र

इस ऐप को टेक्नोसिस सर्विसेज़ प्राइवेट लिमिटेड ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए बनाया है. 9 मई को इसके जारी होने के बाद से इसके केवल 1,000 के क़रीब डाउनलोड्स हुए हैं और भी तक ज़ीरो रिव्यूज़ हैं. इस ऐप का मक़सद अपने प्रदेश लौट रहे प्रवासियों की सहायता करना है.


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यूपी के अलावा, कई दूसरे राज्यों ने भी वापसी कर रहे प्रवासियों के लिए इसी तरह के एप्स लॉन्च किए जैसे बिहार सरकार का बिहार सहायता ऐप.

झारखंड ने भी राज्य से बाहर फंसे प्रवासियों के लिए, झारखंड चीफ मिनिस्टर स्पेशल असिस्टेंस स्कीम नाम से एक ऐप लॉन्च किया. ये ऐप, जिसे राज्य सरकार की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है, सरकार की ओर से प्रवासियों को, एक बार के लिए सीधे पैसा भेजने की ख़ातिर विकसित किया गया था.

स्कीम में 30 अप्रैल तक पंजीकरण स्वीकार किए जाने थे और कहा गया था कि जो प्रवासी अपने आधार नम्बर, फोटोग्राफ और फोन नम्बर की डीटेल्स के साथ रजिस्टर करेंगे, वो राज्य की ओर से पैसा मिलने के पात्र होंगे.

गेटसेटगो

कर्नाटक सरकार द्वारा जारी इस ऐप का मक़सद, सीईटी और नीट जैसे इम्तिहानों के लिए, छात्रों को क्रैश कोर्स तक एक्सेस देना था. हैदराबाद स्थित एडटेक कंपनी डीजीलर्न द्वारा विकसित गेटसेटगो ऐप में दावा किया गया है, कि इसमें एक इंटीग्रेटेड लर्निंग कंटेंट मॉड्यूल है और ये परफॉरमेंस पर आधारित एनालिटिक्स उपलब्ध कराता है. 50,000 डाउन लोड्स के साथ, इसने गूगल प्ले स्टोर पर 3.9 की रेटिंग हासिल कर ली है और बहुत से छात्रों ने कहा है कि उन्हें ये उपयोगी लगा है. कंपनी प्ले स्टोर पर दर्ज यूज़र्स की शिकायतों का भी जवाब दे रही है.

एक और ई-लर्निंग एपलिकेशन जो लॉन्च किया गया वो था, पंजाब सरकार का इस्कुएला. कलास 1 से 10 तक के छात्रों के लिए, सिलेबस पर आधारित इस इंटरेक्टिव लर्निंग ऐप में, वीडियोज़, असेसमेंट्स और पॉप क्विज़ हैं. चंडीगढ़ स्थित एस्परांज़ा इनोवेशंस द्वारा विकसित इस ऐप में, टीचर्स के लिए भी एक अलग से लॉग-इन दिया गया है. प्ले स्टोर पर इसकी यूज़र रेटिंग 4.2 है.

असीम

आत्मनिर्भर स्किल्ड एंप्लॉईज़ एंप्लॉयर मैपिंग या असीम नाम का ये ऐप, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने केवल तीन दिन पहले लॉन्च किया है. ये एप कुशल श्रमिकों की तलाश कर रहे नियोक्ताओं को, उपलब्ध श्रम बल की जानकारी मुहैया कराता है. इसे कैंडिडेट का डेटा रखने के लिए बनाया गया है और दावा किया गया है कि इसमें 13,000 से अधिक पोज़ीशंस के लिए जॉब्स के ऑफर हैं.

इस एप को बेंगलुरू स्थित बेटरप्लेस फर्म ने, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के साथ मिलकर तैयार किया है.

हेल्पमी

कर्नाटक सरकार ने एक व्हाट्सएप चैट एप्लिकेशन तैयार किया, जो एक हेल्पलाइन नम्बर का भी काम करता है. इस एप्लिकेशन में, जिसे इटली स्थित कलेयरा-एन मैनेज करती है, दावा किया गया है कि ये हर रोज़ 11,000 रीक्वेस्ट सर्विस करती है. लोग आम तौर पर ज़रूरी चीज़ों की डिलीवरी कराने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं. हेल्पलाइन नम्बर वॉलंटियर्स के द्वारा चलाया जाता है.

फिर 22 अप्रैल को, मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी इसी काम के लिए एक ऐप लॉन्च किया, जिसका नाम था होमलाइन. ऐप का दावा था कि उसने 16,000 ग्रोसरी, मेडिकल और फल-सब्ज़ी विक्रेताओं की जियो-मैपिंग की है और वो खाने से लेकर दवाएं तक डिलीवर करा सकती है. लेकिन ये ऐप फिलहाल गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध नहीं है.

होमलाइन की तरह ही, हरियाणा सरकार ने भी हेल्पमी एप लॉन्च किया है, जिसका लक्ष्य लोगों को सूखे राशन, पके हुए खाने, यहां तक कि डॉक्टर्स तक की डिलीवरी सर्विस से जोड़ना था. लेकिन डाउनलोड करने पर ये ऐप आपको ‘माइग्रेंट मूवमेंट’ मोबाइल पेज पर ले जाता है, जो फिर आगे कहीं नहीं ले जाता. फिर भी ऐप के 100,000 से अधिक डाउनलोड्स हुए हैं और इसकी यूज़र रेटिंग 3.4 है.

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