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कोविड-19 से निपटने के लिए घर पर बने मास्क प्रभावी, दोबारा भी कर सकते हैं इस्तेमाल

एडवाइजरी में एक रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि अगर 80 फीसदी आबादी मास्क पहनती है तो यह प्रकोप पूरी तरह से रोका जा सकता है.

सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाएं मास्क बनाने में जुटी हैं/ फोटो: पृथ्वीराज सिंह/दिप्रिंट

नई दिल्ली: भारत सरकार ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए घर में मास्क बनाने और उसके इस्तेमाल के लिए एडवाइजरी जारी की है. इसमें कहा गया है कि इसके इस्तेमाल से व्यापक तौर पर इस बीमारी से निपटने में फायदा मिलेगा.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देश का जिक्र करते हुए बताया गया है कि मास्क तभी प्रभावी होते हैं जब इनके इस्तेमाल के साथ नियमित रूप से हाथों को हैंड सैनिटाइजर, साबुन या पानी से स्वच्छ रखा जाए. मास्क पहनने से पहले इसका उपयोग करने और उपयोग के बाद निपटाने के बारे में बताया गया है.

एडवाइजरी में एक रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि 50 फीसदी आबादी अगर मास्क पहनती है तो 50 फीसदी आबादी ही संक्रमित होगी और अगर 80 फीसदी आबादी मास्क पहनती है तो यह प्रकोप पूरी तरह से रोका जा सकता है.

मास्क क्यों पहनना चाहिए

भारत सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार कोविड-19 वायरस आसानी से फैल रहा है. वायरस से युक्त बूंदे जल्दी से सूख कर छूटी बूंदों के कण (नाभिक) का निर्माण करती हैं. ये बूदें हवा में रहती हैं और विभिन्न सतहों पर उतरती हैं.

सार्स कोव-2 जो कोविड-19 देता है यह एरोसोल में 3 घंटे तक और पलास्टिक व स्टेनलेस स्टील सतहों पर तीन दिन तक जिंदा रह सकता है. संक्रमित व्यक्ति से कोरोनावायरस की बूंदें हवा में रह जाती हैं, मास्क इन्हें सांस से अंदर जाने से रोकता है.

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इसमें दी गई नियामवली के जरिए मास्क बनाने, इस्तेमाल करने, फिर से इस्तेमाल करने के सर्वोत्तम तरीकों को बताया गया है. इसमें बताया गया है कि दुकानों से खरीदा गया मास्क केवल एक बार इस्तेमाल हो सकता है. धोने से इसके प्रभाव की क्षमता कम हो जाती है. दुकानों पर अभी इसके उपलब्ध न होने की संंभावना है और यह 97 फीसदी प्रभावी है.

घर का मास्क

वहीं घर के बने मास्क को 70 फीसदी प्रभावी बताया गया है और इसे आसानी से दोबारा इस्तेमाल किए जाने के लायक बताया गया है. यह दोबारा इस्तेमाल के लिए धुला जा सकता है. यह बनियान, टी-शर्ट घर में उपलब्ध सूती कपड़ा किसी भी रंग का हो उससे बनाया जा सकता है. सिलाई मशीन या हाथ से भी.

इसे साबुन से धुलकर और गर्म पानी में उबालकर और उबालते समय उसमें नमक मिलाकर साफ किया जा सकता है.

वयस्क के लिए मास्क का साइज 9×7 और बच्चों को लिए यह 7×5 इंच बताया गया है. कपड़े से बांधने और पाइपिंग के लिए 4 पट्टियां- 1.5x 5 इंच के दो टुकड़े और 1.5×40 इंच के दो टुकड़े. इसके अलावा चित्र के साथ इन्हें बनाने के तरीके भी बताए गए हैं. आगे चित्र के साथ दिखाया गया है कि सुनिश्चित करने के लिए कि मास्क ढीला नहीं है और सिलवटें अंदर की तरफ से मुड़ी हों.

इसके बाद भी निर्देश है कि 2 मीटर की दूरी बनाकर रखनी है. घर आने पर हाथ-मुंह धुलना है और मुंह को हाथ से नहीं छूना है.

सिलाई मशीन न हो तो रबर बैंड के जरिए भी इसे बनाने का तरीका बताया गया है.

तैयार मास्क संक्रमित या गंदा न हो इसके इस्तेमाल की सावधानी भी बताई गई है. मसलन मास्क को छूने बजाय पीछे लगी डोरी से उतारें, हमेशा पहले नीचे फिर ऊपर की डोरी खोलें. इसे हटाने के बाद 40 सेकंड तक 70 फीसदी एल्कोहल वाले सैनिटाइजर या साबुन से साफ करना है.

मास्क को सीधे जो कि घर पर बना है उसे साबुन घोल या उबलते हुए घोल में डालें और नमक डालें. एक बार उपयोग के बाद कभी भी मास्क को बिना धोएं दोबारा न इस्तेमाल करें.

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