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कहां से आते हैं भारतीय यूनिकोर्न्स के संस्थापक? IIT दिल्ली लिस्ट में सबसे ऊपर, IIM भी सूची में

$ 1 बिलियन से अधिक मूल्य के स्टार्ट-अपस के 50% से अधिक संस्थापक आईआईटी ग्रॅजुयेट्स हैं. पूर्व छात्रों के संघ के एक पूर्व प्रमुख का कहना है कि आईआईटी दिल्ली नेटवर्किंग और अकादमिक समर्थन की वजह से स्टार्ट-अप के लिए सबसे अधिक अनुकूल है.

तस्वीर- मनीषा यादव, दिप्रिंट

नई दिल्ली: इस साल 5 मई को, भारत को एक नियोबैंकिंग फिनटेक पोर्टल, ओपन, के रूप में अपना 100वां यूनिकॉर्न मिला. यह एक ऐसा ‘मील का पत्थर है जिसकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहना की. यूनिकॉर्न का अर्थ 1 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के स्टार्ट-अप होते हैं – और भारत में आईआईटी ग्रॅजुयेट्स द्वारा स्थापित फर्म इस बढ़ते हुए झुंड में आधे से अधिक का हिस्सा रखते हैं.

भारत के यूनिकॉर्न में फ्लिपकार्ट, बिगबास्केट, बायजू, पेटीएम, स्विगी, ज़ेरोधा, स्लाइस, ग्रोफ़र्स, स्नैपडील, ओला, ओयो और मेकमाईट्रिप जैसे घर-घर जाने जाने वाले नाम शामिल हैं. दिप्रिंट द्वारा किए गए शोध और आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्रों के नेटवर्क द्वारा साझा की गई एक समेकित सूची (कन्सॉलिडेटेड लिस्ट) के अध्ययन से पता चलता है कि इन स्टार्ट-अप के लगभग 85 प्रतिशत संस्थापकों ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है.

विशेष रूप से, इनमें से 50 प्रतिशत से अधिक ने देश भर के विभिन्न भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) से ग्रेजुएशन (स्नातक) की पढ़ाई की है. इनमें से भी अधिकांश – 30 लोग – आईआईटी दिल्ली से आते हैं, इसके बाद आईआईटी बॉम्बे का नंबर है, जहां से 18 स्टार्ट-अप संस्थापक हैं, और 16 अन्य ने आईआईटी कानपुर से पढ़ाई की है. इनमें से कुछ आईआईटी खड़गपुर और आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र भी हैं.

आईआईटी दिल्ली एलुमनी एसोसिएशन (पूर्व छात्रों के संघ) के पूर्व अध्यक्ष और पैन-आईआईटी ग्लोबल कॉन्फ्रेंस 2021 के सह-अध्यक्ष रोहित कोशी के अनुसार, वर्षों की मेहनत से तैयार किए गए नेटवर्क की बदौलत दिल्ली में वातावरण स्टार्ट-अप के लिए काफ़ी अनुकूल है.

दिप्रिंट से बात करते हुए, कोशी ने कहा: ‘आईआईटी कानपुर और मद्रास के विपरीत, आईआईटी दिल्ली, इस मायने में अद्वितीय है कि हम में से बहुत से लोग एमबीए करते हैं और सिविल सेवाओं मे भी शामिल होते हैं. इसलिए, सिविल सेवा अधिकारियों के समुदाय तक हमारी पहुंच बहुत तगड़ी है. साथ ही, दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी होने के कारण भी इसके छात्रों को बहुत फायदा होता है. अधिकांश स्टार्ट-अप दिल्ली, मुंबई या बेंगलुरु में स्थित हैं. चूंकि बेंगलुरु में कोई आईआईटी नहीं है, इसलिए आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्र वहां जाकर अपना स्टार्ट-अप स्थापित करते हैं.’

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कोशी ने आगे कहा कि यह संस्थान अकादमिक रूप से भी स्टार्ट-अप संस्कृति का समर्थन करता है. उन्होंने कहा, ‘आठवें सेमेस्टर के दौरान बी.टेक में एक प्रोजेक्ट करने की बाध्यता को दूर कर दिया गया है. इसलिए बहुत से छात्र उस सेमेस्टर को या तो स्टार्ट-अप के साथ काम करने में बिताते हैं या अपना खुद का एक शुरू स्टार्ट-अप कर देते हैं.’

कोशी ने कहा कि छात्रों को उद्यमिता (एंत्रेप्रेन्यूरर्शिप) में माइनर डिग्री की पेशकश करने वाला एक कार्यक्रम भी छात्रों को स्टार्ट-अप संस्कृति से परिचित कराने में मदद करता है.

छात्रों और शिक्षक समुदाय (फैकल्टी) के लिए केंद्र सरकार की नेशनल इनोवेशन एंड स्टार्टअप पॉलिसी 2019 वाली एक पहल भी है, जिसका उद्देश्य स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना और छात्रों के बीच ‘उद्यमी मानसिकता’ का निर्माण करना है..

आईआईटी दिल्ली के पूर्व निदेशक वी. रामगोपाल राव ने पिछले महीने ट्विटर पर यूनिकॉर्न स्टार्ट-अप की एक सूची साझा की थी, जिसमें बताया गया था कि उनके पीछे बड़ी संख्या में आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्र हैं.

आईआईटी दिल्ली से आने वाले यूनिकॉर्न के संस्थापकों में ई-कॉमर्स वेबसाइट फ्लिपकार्ट के संस्थापक बिन्नी बंसल और सचिन बंसल रेस्टोरेंट एग्रीगेटर और फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो के दीपिंदर गोयल, गौरव गुप्ता और पंकज चड्ढा; ई-कॉमर्स साइट मीशो के विदित आत्रे और संजीव बरनवाल; तथा फिनटेक पेमेंट सल्यूशन प्रोवाइडर पाइन लैब्स के राजुल गर्ग और तरुण उपाध्याय शामिल हैं.

डेल्हीवरी के सह संस्थापक कपिल भारती भी आईआईटी दिल्ली से ही हैं. उन्होंने गांधीनगर में धीरूभाई अंबानी इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी से आने वाले भावेश मंगलानी, आईआईटी कानपुर के मोहित टंडन, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कर्नाटक से जुड़े साहिल बरुआ और आईआईटी बॉम्बे के पूर्व छात्र सूरज सहारन के साथ इस मिलकर इस लॉजिस्टिक्स सर्विस की सह-स्थापना की थी.

इस साल मई में मीडिया प्लेटफॉर्म इंक24 द्वारा जारी ‘डिकोडिंग इंडियाज 100 यूनिकॉर्न’ शीर्षक वाली एक रिपोर्ट के अनुसार, 100 में से 23 यूनिकॉर्न ई-कॉमर्स क्षेत्र में हैं, इसके बाद फिनटेक (21), एंटरप्राइज टेक (19), कंप्यूटर सेवाएं (9), मीडिया एंड एंटरटेनमेंट (7), एडटेक (6), लॉजिस्टिक्स (5), हेल्थकेयर (4), ट्रैवल टेक (2), ट्रांसपोर्ट टेक (2), क्लीन टेक (1) और रियल एस्टेट टेक (1) का स्थान है. इसमें कहा गया है कि इनमें से अधिकांश ने 2020 के बाद ही यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया है.


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अन्य आईआईटी भी नहीं हैं ज़्यादा पीछे…

अपने शोध के दौरान दिप्रिंट ने पाया कि कई उल्लेखनीय यूनिकॉर्न के संस्थापक आईआईटी बॉम्बे के पूर्व छात्र हैं. जैसे कि अंकित भाटी और भाविश अग्रवाल द्वारा संस्थापित ओला कैब्स; जगदीश मूरजानी और रिजवान कोइता द्वारा संस्थापित एक आईटी हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म सिटियसटेक; आईआईटी बॉम्बे के कार्तिक गणपति द्वारा आईआईटी मद्रास के अजय कौशल और आरकेएम विवेकानंद कॉलेज, चेन्नई. के श्रीनिवासु एम.एन. के साथ मिलकर स्थापित बिलडेस्क.

आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्रों द्वारा शुरू की गई फर्म्स में लजिस्टिक्स सर्विस प्रवाइडर ‘रिविगो’ शामिल है, जिसे आईआईटी कानपुर के दीपक गर्ग और आईआईटी दिल्ली से गजल कालरा के साथ स्थापित किया है; साथ ही, इस सूची में नवीन तिवारी द्वारा स्थापित एआई-आधारित सॉफ्टवेयर कंपनी ग्लॅन्स; अंकुश सचदेवा, भानु प्रताप सिंह और फरीद अहसन द्वारा स्थापित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म शेयरचैट; और आईआईटी कानपुर के अभिराज सिंह भाल एवम् वरुण खेतान द्वारा, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के राघव चंद्रा के साथ मिलकर स्थापित अर्बन कंपनी भी हैं

… अगर आईआईटी नहीं तो आईआईएम सही

दिप्रिंट ने पाया कि भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के ग्रॅजुयेट्स भी यूनिकॉर्न संस्थापकों के बीच एक महत्वपूर्ण वर्ग का निर्माण करते हैं – आईआईटी में पढ़ाई नहीं करने वालों में से लगभग 20 के पास आईआईएमस में से किसी एक से स्नातकोत्तर (पोस्टग्रॅजुयेट) की डिग्री थी.

ई-कॉमर्स ब्यूटी एंड पर्सनल केयर ब्रांड नायका की संस्थापक फाल्गुनी नायर आईआईएम अहमदाबाद की पूर्व छात्रा हैं. शिशु उत्पादों के लिए मशहूर एक ई-कॉमर्स ब्रांड ‘फर्स्टक्राई’ के सह-संस्थापक, सुपम माहेश्वरी ने भी दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (जिसे अब दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के रूप में जाना जाता है) से इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त करने के बाद आईआईएम अहमदाबाद से पोस्टग्रॅजुयेट किया था.

शीर्ष स्तर पर किसी आईआईटी या आईआईएम के पूर्व छात्रों के बिना स्थापित यूनिकॉर्न में पेटीएम का नाम शामिल है, जिसकी स्थापना अक्षय खन्ना और विजय शेखर शर्मा द्वारा की गई थी. ये दोनों दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के पूर्व छात्र हैं. इसके अलावा नरसी मोंजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के स्नातक गौरव मुंजाल द्वारा मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के हेमेश सिंह एवं सचिन गुप्ता तथा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के रोमन सैनी के साथ मिलकर शुरू की गई अनकड़ेमी भी इसका एक उदाहरण है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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