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छत्तीसगढ़ में फेसबुक की पॉलिसी निदेशक आंखी दास और दो अन्य के खिलाफ पत्रकार ने दर्ज कराई एफआईआर

फेसबुक इंडिया की पॉलिसी हेड आंखी दास ने भी दिल्ली साइबर पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें कहा था कि वाल स्ट्रीट जर्नल की खबर प्रकाशित होने के बाद उनको जान से मारने की धमकी दी जा रही है. दास की शिकायत में इस स्थानीय पत्रकार आवेश तिवारी का नाम भी था.

फोटो: आवेश तिवारी के फेसबुक वॉल से

रायपुर: छत्तीसगढ़ पुलिस ने रायपुर के एक स्थानीय पत्रकार को धमकाने के आरोप में फेसबुक पॉलिसी निदेशक आंखी दास सहित तीन अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.

रायपुर स्थित कबीर नगर थाने में आंखी दास सहित छ्त्तीसगढ़ में मुंगेली जिले के रहने वाले फेसबुक यूज़र राम साहू और इंदौर के विवेक सिन्हा के खिलाफ तिवारी को बदनाम करने, उनको जान से मारने की धमकी, धार्मिक उन्माद फैलाने और दो समुदायों के बीच द्वेष फैलाने के लिए एफआईआर दर्ज की है. यह केस आईपीसी की धारा 295 ए, 505(1) सी, 500, 506 और 34 के तहत दर्ज किया गया है.

रायपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय कुमार यादव ने दिप्रिंट से एफआईआर लिखे जाने की पुष्टि करते हुए बताया, ‘शिकायतकर्ता एक मीडिया कर्मी हैं जिन्होंने सोमवार देर रात कबीर नगर पुलिस थाने में एक लिखित शिकायत दी थी. मामला देर रात दर्ज किया गया था. मैंने अभी एफआईआर पूरी तरह से नही देखा नही है लेकिन विवेचना जारी है.’

बता दें इससे पहले रविवार को ही आंखी दास ने दिल्ली साइबर पुलिस को एक शिकायत दर्ज कराई थी की वाल स्ट्रीट जर्नल की खबर प्रकाशित होने के बाद उनको जान से मारने की धमकी दी जा रही थी. दास ने अपनी शिकायत में दिल्ली पुलिस को बताया था कि उनके फेसबुक पेज पर भी भद्दे कमेंट्स किए जा रहे थे. दास की शिकायत में इस स्थानीय पत्रकार आवेश तिवारी का नाम भी था.


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पत्रकार आवेश तिवारी ने किया आंखी के खिलाफ एफआईआर

दिप्रिंट ने इस बाबत पत्रकार आवेश तिवारी से भी बात की, तिवारी छत्तीसगढ़ में समाचार चैनल स्वराज के स्टेट हेड हैं. दिप्रिंट से बातचीत में आवेश ने बताया, ‘रविवार को उन्होंने अपने फेसबुक वाल पर वालस्ट्रीट जर्नल की खबर पर अपनी टिप्पणी के साथ एक पोस्ट लिखी थी, जिसके बाद पिछले दो दिनों से मुझे फोन पर जान से मारने और जला देने की धमकी आ रही है. मुझे करीब डेढ़ दर्जन अज्ञात नंबरों से कॉल आए हैं जिनकी जानकारी पुलिस को दे दी गयी है.’

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तिवारी ने अपनी शिकायत में लिखा है कि उन्होंने अमरीकी अखबार वालस्ट्रीट जर्नल में 14 अगस्त को प्रकाशित एक खबर को लेकर 16 अगस्त को पाने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट लिखी थी. शिकायतकर्ता के अनुसार, ‘उक्त पोस्ट में अखबार की खबर और उसमें प्रकाशित फेसबुक की पालिसी निदेशक आंखी दास को लेकर की गई टिप्पणीयों का जिक्र भी था. इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि आंखी दास लोकसभा चुनाव के पहले फेसबुक के राजनीतिक हितों के लिये तमाम तरह के हेट स्पीच से जुड़ी पोस्ट को न हटाने के लिये अपने अधीनस्थों पर दबाव डाल रही थी. उनका कहना था कि इससे केन्द्र सरकार से राजनैतिक संबंध खराब हो सकते है.’

तिवारी ने पुलिस को अपनी शिकायत में यह भी लिखा है, ‘फेसबुक में यूजर आईडी राम साहू , विवेक सिन्हा ने कहा कि वामपंथी लेखको की तरह नक्सलियों, जेएनयू के गद्दारो का या मुस्लिम परस्त राजनीति का समर्थन करें ? वो हिन्दू है तो हिन्दू हित की बात कर रही हैं.’ तिवारी का कहना है कि ,’फेसबुक यूजर राम साहू नामक व्यक्ति ने अश्लील और धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले फोटो पोस्ट किया. राम साहू ने मुझे व मेरे घर को जला डालने की धमकी दी है.”

तिवारी का आरोप है कि तीनों उनका ‘भयादोहन  (डराने-धमकाने) करने व हिन्दू-मुस्लिम समाज में साम्प्रदायिक तनाव फैलाने, बदनाम करने एवं स्वतंत्र विचार व्यक्त करने में बाधा डालने का काम कर रहे है.’

तिवारी नही जानते आंखी को

तिवारी ने दिप्रिंट को बताया कि वे फेसबुक की पालिसी निदेशिका आंखी दास को नही जानते. दास से उनका किसी प्रकार का संपर्क नही है. मैंने आज तक उनसे कोई बात नही की.

तिवारी कहते हैं, ‘मेरी समझ से परे है कि दिल्ली पुलिस को उनके द्वारा की गई शिकायत में मेरा नाम क्यों आया. यह बड़े आश्चर्य की बात है. मैंने फेसबुक जो भी लेख या टीका टिप्पणी की है वह खबरों और ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ को लेकर है. उनको व्यक्तिगत तो कभी कुछ नही बोला.’

क्य़ा छपा है वाल स्ट्रीट जर्नल

बता दें कि अमेरिकी अखबार ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ ने शुक्रवार को प्रकाशित रिपोर्ट में फेसबुक के अनाम सूत्रों के साथ साक्षात्कारों का हवाला दिया है. इसमें दावा किया गया है कि उसके एक वरिष्ठ भारतीय नीति अधिकारी ने कथित तौर पर सांप्रदायिक आरोपों वाली पोस्ट डालने के मामले में तेलंगाना के एक भाजपा विधायक पर स्थायी पाबंदी को रोकने संबंधी आंतरिक पत्र में दखलंदाजी की थी.

फेसबुक के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हम हिंसा को बढ़ावा देने वाले भाषणों और सामग्री पर रोक लगाते हैं. हम वैश्विक स्तर पर इन नीतियों को लागू करते हैं. इसमें किसी राजनीतिक दल या विचारधारा का ध्यान नहीं दिया जाता.’

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