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पिता के माफिया रिकॉर्ड के कारण विदेश जाने की चाह नहीं हुई पूरी, तब असद ने रखा क्राइम की दुनिया में कदम

ऐसा माना जाता है कि दोनों भाइयों के सरेंडर करने के बाद असद ने गिरोह की बागडोर संभाल ली थी. वह पिछले दो महीनों से पुलिस की आंखों में धूल झोंक रहा था.

अतीक का बेटा असद अहमद | पीटीआई
अतीक का बेटा असद अहमद | पीटीआई

नई दिल्ली: माफिया से नेता बने अतीक अहमद के तीसरे बेटे असद अहमद को उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फॉर्स (एसटीएफ) ने गुरुवार को झांसी में मार गिराया. इसके अलावा मकसूदन का बेटा और उमेश पाल हत्याकांड में शूटर रहा गुलाम भी डीएसपी नवेंदु और डीएसपी विमल के नेतृत्व में एसटीएफ की टीम के साथ मुठभेड़ में मारा गया.

इस साल 24 फरवरी को अतीक के इशारे पर ही उमेश पाल को प्रयागराज में दिनदहाड़े गोलियों से भून दिया गया था. हमले में उमेश पाल और उसके दोनों गनर मारे गए थे. इस घटना के बाद से असद चर्चा में आ गया था. और दिनदहाड़े हुए इस हत्याकांड के बाद  यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सभी अपराधियों को मिट्टी में मिला दूंगा.

इस मामले में अतीक के अलावा उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन पर 3, बेटे अली पर 4, बेटे उमर पर एक केस दर्ज हैं. असद पर केस हाल में ही दर्ज किए गए थे.

अतीक पर बीते 44 साल में हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण और धमकी देने जैसे गंभीर आरोप में 100 से ज्यादा केस दर्ज हुए, लेकिन सज़ा उसे हाल ही में प्रयागराज कोर्ट ने उमेश पाल अपहरण केस में ही सुनाई गई है.


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विदेश की चाह और माफिया का रिकॉर्ड

अतीक के सभी बेटे प्रयागराज के नामी स्कूलों में पढ़ाई करते थे. असद को पढ़ाई के लिए विदेश जाने की चाह थी, लेकिन पिता के माफिया रिकॉर्ड की वजह से उसका पासपोर्ट क्लियर नहीं हो सका था.

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अतीक के बाकी बच्चों की भी गुंडागर्दी कम नहीं थी. मारपीट के मामले में असद सबसे आगे रहता था. उससे बड़ी उम्र के लड़के विवादों के निपटारे के लिए उसी के पास जाया करते थे. बचपन से ही महंगी गाड़ियों और घड़ियों का शौक रखने वाला असद हमेशा लोगों से घिरा रहता था.

खबरों के मुताबिक, कुछ साल पहले स्कूल में एक कॉम्पीटीशन में हार का सामना करने के बाद असद ने न सिर्फ जीतने वाले बच्चों बल्कि बीच बचाव करने वाले टीचर्स की भी धुलाई कर दी थी. हालांकि, इस दौरान अतीक के सामने आने के बाद सब शांत हो गए थे. यहां तक स्कूल के प्रिसिंपल ने भी मामला दबाने की काफी कोशिश की. किसी ने भी पुलिस से कभी इस बात की शिकायत दर्ज नहीं कराई थी. सोशल मीडिया पर मामले को दबाने के लिए काफी खरी खोटी सुनाई गई.

सोशल मीडिया पर 2017 का एक कथित वायरल वीडियो में एक शादी के दौरान असद खुलेआम फायरिंग करता नज़र आ रहा है और लोग उसे गोलियां चलाने के लिए उकसाते हुए दिख रहे हैं. इस दौरान असद की उम्र 18 साल से कम बताई जा रही है.

अतीक के कुल 5 बेटे हैं. भाइयों में उमर सबसे बड़ा है, उसके बाद अली और तीसरे नंबर पर असद था. वहीं, छोटे भाई आजम और अबान अभी नाबालिग हैं. दोनों भाइयों को उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस ने बाल सुधार गृह भेज दिया.

2018 में अतीक के बड़े बेटे उमर ने लखनऊ में एक प्रॉपर्टी डीलर मोहित जायसवाल का अपहरण के मामले में उसे सजा हुई और उसे देवरिया जेल ले जाया गया, जहां अतीक पहले से ही बंद था. इसके अलावा दूसरे बेटे अली के खिलाफ भी हत्या के प्रयास और जबरन वसूली के मामले दर्ज हैं. जांच एजेंसियों ने दोनों भाइयों पर इनाम भी लगाया था, लेकिन एनकांउटर के डर से दोनों ने आत्मसमर्पण कर दिया था.

ऐसा माना जाता है कि दोनों भाइयों के सरेंडर करने के बाद असद ने गिरोह की बागडोर संभाल ली थी. वह पिछले दो महीनों से पुलिस की आंखों में धूल झोंक रहा था.

यूपी पुलिस ने अतीक के बेटे असद और मकसूदन के बेटे गुलाम पर पांच-पांच लाख रुपए का इनाम लगाया हुआ था. एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश ने बताया कि इनके पास से विदेशी निर्मित अत्याधुनिक हथियार बरामद किए गए.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, असद ने क्राइम की दुनिया के गुर अपने चाचा अशरफ से सीखे थे. उमेश हत्याकांड के बाद सामने आए सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा एक शख्स जो कार से उतर कर धड़ाधड़ गोली चला रहा है वो कोई और नहीं असद ही था.

असद के इनकाउंटर के बाद, राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था को लेकर बैठक की. सीएम योगी ने इस दौरान यूपी स्पेशल टास्क फॉर्स (एसटीएफ) के साथ ही डीजीपी, स्पेशल डीजी लॉ एंड ऑर्डर और पूरी टीम की तारीफ की.

वहीं, यूपी के डिप्टी सीएम कैशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ”यूपी STF को बधाई देता हूं, श्री उमेश पाल एडवोकेट और पुलिस के जवानों के हत्यारों को यही हश्र होना था!”

मौर्य ने आगे कहा, ”यूपी पुलिस की यह बहुत ही ऐतिहासिक कार्रवाई है. यह एक बड़ा संदेश है कि अपराधियों का युग खत्म हो गया है और अपराधियों को आत्मसमर्पण करना होगा.”

एडीजी अमिताभ यश ने कहा, ”यह एक महत्वपूर्ण और चुनौती भरा मामला था. इन दो अपराधियों (असद और गुलाम) की मौत एक बड़ी सफलता है.”


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