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अभी मोर्चों पर डटे रहेंगे किसान, 26 नवंबर को आंदोलन के एक साल पूरा होने का मनाएंगे जश्न : SKM

एसकेएम के नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों के अलावा एमएसपी, हमारे खिलाफ मामलों को वापसी, बिजली विधेयक 2020 और वायु गुणवत्ता अध्यादेश को वापस लेना और हमारे मरने वाले दोस्तों के लिए एक स्मारक के लिए स्थान आवंटित करने जैसे मुद्दे लंबित है.

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शन पाल सिंह मीडिया से बात करते हुए, प्रतीकात्मक तस्वीर | ANI

नई दिल्ली: तीन कृषि कानूनों की पीएम मोदी द्वारा वापसी की घोषणा के बाद शनिवार संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बैठक कर आगे की रणनीति तैयार की. बैठक में तय किया गया किसान 26 नवंबर को विरोध स्थलों पर जमा होंगे, और किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने का जश्न मनाएंगे. बैठक में किसान नेता दर्शन पाल सिंह, गुरनाम सिंह चढूनी, योगेंद्र यादव आदि मौजूद रहे.

किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि आज की बैठक में फैसला लिया गया कि हमारे 22, 26 और 29 नवंबर को जो कार्यक्रम होने वाले हैं वो जारी रहेंगे. 22 को लखनऊ रैली, 26 को पूरे देश में किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने पर जश्न मनाया जाएगा और 29 को ट्रैक्टर मार्च (संसद तक) होगा. आंदोलन जारी रहेगा.

दर्शन पाल सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों के अलावा हमारे मुद्दे, विशेष रूप से एमएसपी, हमारे खिलाफ मामलों को वापस लेना, बिजली विधेयक 2020 और वायु गुणवत्ता अध्यादेश को वापस लेना, और हमारे मरने वाले दोस्तों के लिए एक स्मारक के लिए स्थान आवंटन लंबित है. हमें उम्मीद है कि सरकार मुद्दों को हल करने के लिए बैठक बुलाएगी.

उन्होंने कहा कि 22 तारीख को लखनऊ की रैली को कामयाब करना है. अगर लखीमपुर खीरी में हमारे साथियों को परेशान करने की कोशिश की जाती है तो फिर हम लखीमपुर खीरी इलाके में आंदोलन चलाएंगे.

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सिंघू बॉर्डर से किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सरकार ने तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने के लिए बोला है तो वो इसको कब तक वापस लेंगे इसके बारे में कुछ ठोस नहीं है. MSP पर अभी कोई ठोस बात नहीं हुई है और जो मामले किसानों पर दर्ज़ हुए हैं उनको भी वापस लेना चाहिए.

राकेश टिकैत बोले

संयुक्त किसान मोर्चा की कोर कमेटी की बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, ’22, 26 और 29 नवंबर को जो कार्यक्रम होने वाले हैं उन्हें रोका नहीं जाएगा. अगर सरकार को बातचीत करनी है तो वो बात कर सकते हैं. शुरू में ही ये बातचीत हो गई होती तो इतने किसानों की मृत्यु नहीं होती.’

शीतकालीन सत्र के दौरान संसद तक प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च अभी रद्द नहीं हुआ: किसान नेता

आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान संसद तक प्रस्तावित दैनिक ट्रैक्टर मार्च को अभी रद्द नहीं किया गया है और इस बारे में अंतिम फैसला तथा किसान आंदोलन की आगे की रूपरेखा के बारे में निर्णय रविवार को एक बैठक में लिया जाएगा. किसान नेताओं ने शनिवार को यह जानकारी दी.

किसान संगठनों के संघ संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कुछ दिन पहले घोषणा की थी केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे प्रदर्शनों के एक साल पूरा होने के मौके पर 29 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के दौरान रोजाना संसद तक 500 किसान शांतिपूर्ण ट्रैक्टर मार्च में भाग लेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेगी और इस तरह सरकार ने किसानों की मांग को मान लिया.

एसकेएम ने प्रधानमंत्री के फैसले का स्वागत किया लेकिन कहा कि वे इस घोषणा के संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रभाव में आने तक की प्रतीक्षा करेंगे. उसने यह संकेत भी दिया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की वैधानिक गारंटी और विद्युत संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग के लिए उसका आंदोलन जारी रहेगा.

किसान नेता और एसकेएम की कोर कमेटी के सदस्य दर्शन पाल ने शनिवार को कहा कि, ‘संसद तक ट्रैक्टर मार्च का हमारा आह्वान अभी तक कायम है. आंदोलन की भावी रूपरेखा और एमएसपी के मुद्दों पर अंतिम फैसला रविवार को सिंघू बॉर्डर पर एसकेएम की बैठक में लिया जाएगा.

किसान नेता तथा भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने टिकरी बॉर्डर पर कहा कि ट्रैक्टर मार्च का फैसला अभी तक वापस नहीं लिया गया है.

उन्होंने कहा, ‘एसकेएम संसद तक ट्रैक्टर ट्रॉली मार्च पर फैसला लेगा. अभी तक इसे वापस लेने का कोई निर्णय नहीं हुआ है. एसकेएम की कोर समिति की बैठक के बाद रविवार को फैसला हो सकता है.’

(भाषा और एएनआई के इनपुट्स के साथ)

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