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पाकिस्तान को दिए जाने वाले पानी को रोकने पर विशेषज्ञों की राय बंटी

एक सेवानिवृत्त अधिकारी जो मंत्रालय में करीब दो दशकों तक सिंधु आयुक्त रह चुके हैं. उनका कहना है कि पाकिस्तान को पानी रोकना संभव नहीं है.

PM Narendra Modi and Pakistan PM Imran Khan
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान | फाइल फोटो / यूट्यूब

नई दिल्ली: सीआरपीएफ की टुकड़ी पर गुरुवार को पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के बाद कड़ी कार्रवाई करने की मांग को देखते हुए विशेषज्ञ पश्चिम और पूरब की तरफ बहने वाली सिंधु और ब्यास नदियों का पानी पाकिस्तान जाने से रोकने पर विचार कर रहे हैं. वहीं, कुछ इसकी संभाव्यता पर शक जता रहे हैं.

जल संसाधन मंत्रालय के सेवानिवृत्त शीर्ष अधिकारी एम. एस. मेनन का कहना है कि पाकिस्तान को दिए जानेवाले पानी को रोका जा सकता है.उन्होंने सिंधु जल समझौते पर लंबे समय से काम किया है.

उन्होंने कहा, ‘हमने अधिक पानी उपभोग करने की क्षमता विकसित कर ली है. स्टोरेज डैम में निवेश बढ़ाकर हम ऐसा कर सकते हैं. झेलम, चेनाब और सिंधु नदी का बहुत सारा पानी देश में ही इस्तेमाल किया जा सकता है.’

भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुआ सिंधु जल समझौता पूरब की तरफ बहने वाली नदियों – ब्यास, रावी और सतलुज के लिए हुआ है और भारत को 3.3 करोड़ एकड़ फीट (एमएएफ) पानी मिला है, जबकि पाकिस्तान को 80 एमएएफ पानी दिया गया है.

विवादास्पद यह है कि संधि के तहत पाकिस्तान को भारत से अधिक पानी मिलता है, जिससे यहां सिंचाई में भी इस पानी का सीमित उपयोग हो पाता है. केवल बिजली उत्पादन में इसका अबाधित उपयोग होता है. साथ ही भारत पर परियोजनाओं के निर्माण के लिए भी सटीक नियम बनाए गए हैं.

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एक दूसरे सेवानिवृत्त अधिकारी, जो मंत्रालय में करीब दो दशकों तक सिंधु आयुक्त रह चुके हैं. उनका कहना है कि पाकिस्तान को पानी रोकना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि यह अंतराष्ट्रीय संधि है, जिसका भारत को पालन करना अनिवार्य है. उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं समझता कि इस प्रकार का कुछ करना संभव है. पानी प्राकृतिक रूप से बहता है. आप उसे रोक नहीं सकते.’

पूर्व अधिकारी ने कहा कि अतीत में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई है, लेकिन लोग ऐसी मांग भावनाओं में बहकर करते रहते हैं.

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