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पूर्व सैन्य अफसर गंगा सफाई के लिए गोमुख से बंगाल की खाड़ी तक पैदल यात्रा कर करेंगे जियो टैगिंग

आईआईटी के विशेषज्ञ और वैज्ञानिक जैसे तमाम लोग भी पूर्व सैनिकों का साथ देंगे. इस यात्रा में शामिल होने वाले सदस्यों के साथ पीएम नरेंद्र मोदी भी मुलाकात करेंगे.

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हरिद्वार में गंगा में डुबकी लगाते श्रद्धालु, प्रतीकात्मक फाइल फोटो: एएनआई

नई दिल्ली: दुश्मनों का सफाया करने वाले पूर्व सैन्य अधिकारियों ने अब गंगा नदी की गदंगी का सफाया करने की मुहिम छेड़ी है. पूर्व सैन्य अधिकारियों का दल गंगा उद्गम स्थल गोमुख से बंगाल की खाड़ी तक गंगा के किनारे को पैदल नापेंगे. इस यात्रा का उद्देश्य पर्यटन नहीं बल्कि गंगा नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाना है. यात्रा में पूर्व सैन्य अधिकारियों का सहयोगी गूगल और आईआईटी दिल्ली भी बन रहा है.

गंगा नदी में हर जगह प्रदूषण का स्तर और पानी का बहाव जैसे तमाम बिंदुओं की जांच होगी. इसकी जिओ टैगिंग भी की जाएगी. इस साल से शुरू होने वाली यह मुहिम अगले 11 वर्षों तक चलेगी. आईआईटी के विशेषज्ञ और वैज्ञानिक जैसे तमाम लोग भी पूर्व सैनिकों का साथ देंगे. इस यात्रा में शामिल होने वाले सदस्यों के साथ पीएम नरेंद्र मोदी भी मुलाकात करेंगे.

यात्रा में शामिल हो रहे हिरेंद्र पटेल ने दिप्रिंट से कहा, ‘मेरे अलावा ले. कर्नल हेम लोहुमी, गोपाल शर्मा और कर्नल मनोज किश्वर शामिल होंगे. हम सभी पैदल यात्रा करेंगे. 100 से ज्यादा सेना के लोग इस काम में जुड़े हैं. कुल 10 लोगों में से पांच लोग लगातार यात्रा करेंगे. बाकि पांच सदस्य बदलते रहेंगे.’


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उन्होंने कहा, ‘गंगा की मुंडमन परिक्रमा की शुरुआत अगस्त से शुरू होगी. इसमें रिटायर सेना के अधिकारी प्रमुख तौर पर शामिल होंगे. यह ऐसी पहली परिक्रमा होगी जो गंगा नदी के उद्गम स्थल गोमुख से शुरू होकर गंगासागर तक फिर गंगासागर से गोमुख तक की जाएगी. यह 200 दिन से ज्यादा चलेगी. यह परिक्रमा एक बार नहीं निकाली जाएगी लगातार 11 साल तक निकाली जाएगी. वहीं इसकी कोर टीम ने पूरी जिंदगी इस परिक्रमा को करने का निर्णय लिया है. यात्रा के जरिए पूर्व सैनिक हर साल जनचेतना जगाने का काम भी करेंगे. हम परिक्रमा के माध्यम से लोगों को जोड़कर रखना चाहते हैं. हमारा उद्देश्य है कि हर हाल में गंगा नदी साफ होनी चाहिए.’

आईआईटी दिल्ली के बायोकेमिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में फैकल्टी ज़ियाउद्दीन अहमद ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम लोग रिटायर सेना अधिकारियो के साथ मिलकर गंगा के इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. हमारे साथी गोमुख से गंगासागर तक उनके साथ रहेंगे. टीम के सदस्य अलग-अलग स्थानों पर जाकर सैंपल लेगे. साथ ही गदंगी कहां कितनी है इसका विश्लेष्ण भी करेंगे.’

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4 हजार 700 किमी होगी यात्रा

कर्नल मनोज किश्वर ने दिप्रिंट से कहा, ‘हर साल नदी के हर स्तर पर शहर के हिसाब से प्रदूषण की जांच की जाएगी. वहीं पानी के स्तर की भी जांच होगी. इस मामले में आईआईटी दिल्ली और गूगल हमारी मदद कर रहा है. सैटेलाइट इमेज से पता चल सकेगा कि कौन सा क्षेत्र कितना गंदा है.’

उन्होंने बताया, ‘4 हजार 700 किमी लंबी यात्रा के दौरान पूरे मार्ग में गंगा नदी के किनारों पर बसे लोगों और उसके आसपास के स्कूल, कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों को गंगा नदी को साफ कैसे करे इसे लेकर जागरूक करेंगे. वहीं नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के महत्व को लेकर लोगों को बताएंगे. इसके साथ ही गंगा नदी का हमारी अर्थव्यवस्था, जीवन शैली और आजीविका पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में भी लोगों को अवगत कराएंगे.’

यह होती है मुंडमन परिक्रमा

गंगा के उद्गम स्थल गोमुख से गंगासागर और गंगासागर से गोमुख तक जो परिक्रमा होती है वह ही मुंडमन परिक्रमा कहलाती है. परिक्रमा करने वाला व्यक्ति नदी के किनारे से साढ़े 12 किलोमीटर दूर नहीं जा सकता है, अगर वह दूर जाता है तो परिक्रमा भंग हो जाएगी. यह परिक्रमा करने वाले व्यक्ति बीच में नदी को पार भी नहीं कर सकता. वहीं उसे दिनभर में एक बार गंगा का दर्शन करना अनिवार्य होता है.

जिओ टैगिंग के लिए तैयार हुआ सॉफ्टवेयर

कर्नल मनोज किश्वर ने बताया, ‘आईआईटी दिल्ली के छात्रों ने गंगा नदी के प्रदूषण को लेकर कई प्रोजेक्ट पर काम किया है. गंगा के प्रदूषण को लेकर उनके पास डाटा उपलब्ध है. उसी डाटा को ध्यान में रखते हुए उनके साथ मिलकर हम एक सॉफ्टवेयर पर काम कर रहे हैं. जब हम यात्रा करेंगे तो सॉफ्टवेयर में अपडेट करते जाएंगे कि किस शहर में गंगा नदी इतनी साफ है या गंदी. इसके बाद हममें से कोई भी व्यक्ति कहीं से भी इसके माध्यम से देख सकेगा कि गंगा नदी में किस शहर में कितना प्रदूषण है. वहीं हम हर साल गंगा के प्रदूषण का डाटा अपडेट करने का काम भी करेंगे.’


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नितिन गडकरी से ले रहे हैं मागदर्शन

कर्नल मनोज किश्वर ने दिप्रिंट से कहा, ‘इस मामले में अब तक बिहार सरकार के सचिव ने पूरा सहयोग दिया है. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बंगाल सरकार से बातचीत अंतिम दौर में है. जल्द ही आधिकारिक घोषणा करेंगे.

उन्होंने कहा, इस काम में केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय से भी बातचीत अंतिम दौर में है. हम लोग केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से भी मागदर्शन ले रहे हैं क्योंकि पूर्व में वह इस मंत्रालय को देख चुके हैं. हम उनसे समझना चाहते हैं कि क्या करें और क्या नहीं. वहीं पीएम मोदी से भी मुलाकात जल्द हो सकती है.

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