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वन घोटाला मामले में ED ने पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत को गिरफ्तार किया

ईडी की जांच वन विभाग में कई अनियमितताओं के खिलाफ पंजाब विजिलेंस ब्यूरो द्वारा दायर मामले से जुड़ी है, जिसमें 14 स्थानों पर छापेमारी के दो महीने बाद गिरफ्तारी हुई है.

पंजाब के पूर्व मंत्री साधु सिंह धर्मसोत | स्रोत: एनिक्स

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित वन घोटाले के मामले में सोमवार को कांग्रेस नेता और पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत को गिरफ्तार कर लिया.

ईडी के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें पूछताछ के लिए एजेंसी के जालंधर कार्यालय में बुलाया गया था, जहां उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत हिरासत में लिया गया.

यह गिरफ्तारी दो महीने बाद हुई है जब ईडी ने मामले के सिलसिले में 14 स्थानों पर छापेमारी की थी, जिसमें धर्मसोत और पार्टी के एक अन्य नेता संगत सिंह गिलजियान की संपत्तियां भी शामिल थीं.

धर्मसोत पंजाब में अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में वन विभाग के प्रभारी मंत्री थे, जबकि गिलजियान को यह पद तब दिया गया था जब चरणजीत सिंह चन्नी ने 2021 में राज्य की बागडोर संभाली थी. बाद में राज्य की सत्ता कांग्रेस से AAP के हाथ में आ गई थी.

ईडी की जांच पंजाब सतर्कता ब्यूरो द्वारा वन विभाग में कई अनियमितताओं के लिए भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एक मामले से जुड़ी है, जैसे कि खैर के पेड़ों को काटने की अनुमति के लिए मंत्रियों और अधिकारियों को रिश्वत का कथित भुगतान, कुछ अधिकारियों की विशिष्ट पोस्टिंग और साथ ही विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करना.

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ईडी ने नवंबर की छापेमारी के बाद एक बयान में कहा था, “तलाशी अभियान के दौरान, विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज, मोबाइल फोन/डिजिटल उपकरण आदि जब्त किए गए, जो प्रथम दृष्टया ऐसे व्यक्तियों से जुड़े संदिग्ध लेनदेन का खुलासा करते हैं, जिनकी धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत जांच चल रही है.”

वन घोटाला मामले में दायर अपने चार्जशीट में विजिलेंस ब्यूरो ने आरोप लगाया है कि धर्मसोत को हरमोहिंदर नाम के एक निजी ठेकेदार द्वारा “प्रत्येक खैर के पेड़ की कटाई के लिए 500 रुपये मिले, जिसे पांच वर्षों में कुल 7,000 पेड़ों को काटने की अनुमति मिली.”

चार्जशीट के अनुसार, इसके अतिरिक्त धर्मसोत ने अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये के बीच प्राप्त किया और रिश्वतखोरी के लिए एक पूरी योजना भी तैयार की थी.

धर्मसोत को पहली बार विजिलेंस ब्यूरो ने जून 2022 में कथित भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तार किया था, लेकिन पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई. ब्यूरो ने आय से अधिक संपत्ति से जुड़े एक अन्य मामले में पिछले साल फरवरी में धर्मसोत को फिर से गिरफ्तार किया था, जिसमें भी उन्हें बाद में जमानत मिल गई थी.

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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