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मोदी सरकार ने अब गेहूं के आटे समेत मैदा और सूजी के निर्यात पर रोक लगाई

मई 2022 में, सरकार ने देश की खाद्य सुरक्षा के प्रबंधन के साथ-साथ पड़ोसी और अन्य कमजोर देशों की जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य का हवाला देते हुए केंद्र ने इसके निर्यात को 'बैन' श्रेणी के तहत रखकर गेहूं की निर्यात नीति में संशोधन किया था.

प्रतीकात्मक तस्वीर | Commons

नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने गेहूं के आटे समेत मैदा, सूजी (रवा / सिरगी), होलमील आटा और रिजलटेंड आटा के निर्यात पर बैन लगा दिया है. इससे पहले मोदी सरकार गेहूं के अनाज के निर्यात पर रोक लगा चुकी है.

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की एक अधिसूचना के अनुसार, यह निर्णय 12 जुलाई से प्रभावी होगा. 6 जुलाई को जारी डीजीएफटी अधिसूचना में सभी निर्यातकों के लिए गेहूं की कोई भी आउटबाउंड शिपमेंट करने से पहले अंतर-मंत्रालयी समिति से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है.

डीजीएफटी ने कहा कि गेहूं और इसके आटे में वैश्विक आपूर्ति में अड़चनों ने कई नए खिलाड़ी पैदा किए हैं और कीमतों में उतार-चढ़ाव और गुणवत्ता से कई मुद्दें खड़े हो गए हैं.

अधिसूचना में कहा गया है कि भारत से गेहूं के आटे के निर्यात की गुणवत्ता बनाए रखना अनिवार्य है.

गेहूं के आटे की निर्यात नीति स्वतंत्र रहती है और इस पर पूरी तरह से कोई रोक नहीं है. हालांकि, निर्यातकों को गेहूं के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति से अनुमति लेनी होगी.

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साथ ही, इस संशोधित नीति के लागू होने से पहले, गेहूं के आटे की कुछ खेपों को निर्यात करने की इजाजत दी जाएगी, जिसमें ऐसी स्थितियां भी शामिल हैं. इसमें अधिसूचना से पहले जहाज पर गेहूं के आटे को लाद दिए गए हैं, जहां गेहूं के आटे की खेप सीमा शुल्क को सौंप दी गई है और उनके सिस्टम में पंजीकृत है.

मई 2022 में, सरकार ने देश की खाद्य सुरक्षा के प्रबंधन के साथ-साथ पड़ोसी और अन्य कमजोर देशों की जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य का हवाला देते हुए केंद्र ने इसके निर्यात को ‘बैन’ श्रेणी के तहत रखकर गेहूं की निर्यात नीति में संशोधन किया था.


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