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दिल्ली दंगे में अदालत ने जांच में सीनियर अधिकारियों की निगरानी के अभाव को लेकर पुलिस को फटकार लगाई

दिल्ली की एक अदालत ने पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की जांच को लेकर सोमवार को पुलिस को फटकार लगाई और कहा कि जांच में जिले के वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी का पूरी तरह अभाव है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर, सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की जांच को लेकर सोमवार को पुलिस को फटकार लगाई और कहा कि जांच में जिले के वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी का पूरी तरह अभाव है.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने निशार अहमद नामक व्यक्ति की शिकायत पर दो अलग-अलग प्राथमिकियां दर्ज करने के मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा दायर की गई समीक्षा याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की.

सत्र अदालत ने कहा कि पुलिस ने दो प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय अहमद की शिकायत को एक प्राथमिकी के साथ जोड़ दिया, जो 25 फरवरी 2020 को हुई केवल एक घटना से संबंधित थी. पुलिस ने यह भी महसूस नहीं किया कि उसकी शिकायत में 24 और 25 फरवरी को हुई दो अलग-अलग घटनाओं का जिक्र किया गया है.

न्यायाधीश ने कहा, ‘मुझे राज्य की इस याचिका में कोई तर्क नहीं मिला. जांच एजेंसी कानून के गलत पक्ष की ओर खड़ी दिखाई दी. इस अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित कई मामलों की जांच में जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की निगरानी का अभाव पाया है. अभी सबकुछ खत्म नहीं हुआ है. यदि वरिष्ठ अधिकारी अब इन मामलों की जांच करके सुधारात्मक कदम उठाएं तो पीडि़तों को न्याय मिल सकता है.’

अहमद ने शिकायत दी थी कि 25 फरवरी 2020 को दंगाई भीड़ ने गोकलपुरी इलाके में उसके घर में तोड़फोड़ और लूटपाट की और बाहर खड़ीं दो मोटरसाइकिलों को आग लगा दी.

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शिकायतकर्ता ने दावा था किया कि 24 फरवरी 2020 को एक विशेष समुदाय के लोगों से दूसरे समुदाय के लोगों के घरों में तोड़फोड़ करने और आग लगाने का आह्वान किया गया, जिसके बाद यह घटना हुई.

पुलिस ने 24 फरवरी 2020 की घटना का जिक्र किये बिना उसकी शिकायत को 25 फरवरी 2020 को हुई घटना के संबंध में दर्ज एक प्राथमिकी में जोड़ दिया.

इस पर मजिस्ट्रेट अदालत ने दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया, जिसके खिलाफ पुलिस सत्र अदालत पहुंच गई.


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