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हिंदूवादियों की पसंद से लेकर ‘जिहादी’ तक- UP के महंत नरसिंहानंद के समर्थक घटे, पर नफरत फैलाने में जुटे हैं

गाजियाबाद स्थित डासना देवी मंदिर के मुख्य महंत नरसिंहानंद लंबे समय से मुस्लिम विरोधी भावनाएं भड़काने में जुटे रहे हैं. लेकिन पिछले हफ्ते उन्होंने अपने प्रमुख समर्थकों को नाराज कर दिया, जिसमें भाजपा से जुड़े लोग भी शामिल है.

गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर में भक्तों के साथ यति नरसिंहानंद सरस्वती | फोटो- मनीषा मंडल/दिप्रिंट

डासना : उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित डासना मंदिर में मुख्य दरवाजे से परिसर के अंदर घुसते ही पुलिसकर्मियों का एक समूह नजर आता है जिनके हाथ उनकी बंदूकों पर टिके हुए हैं.

उनमें से एक मंदिर के अंदर आने वाले से हर व्यक्ति से कहता है, ‘नाम? अपना आधार कार्ड दो.’ और जानकारी लेने के बाद एक बड़े रजिस्टर में उनके नाम, आधार नंबर और फोन नंबर का पूरा ब्यौरा लिखता है.

पुलिसकर्मी मंदिर परिसर की सुरक्षा के साथ ये भी सुनिश्चित कर रहा था कि कोई मुस्लिम यहां प्रवेश न करने पाए, क्योंकि यह कट्टरपंथी हिंदू महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती के रहने की जगह भी है.

नरसिंहानंद, जिन्हें किसी समय गाजियाबाद के बाहर कोई जानता तक नहीं था, ने अपनी मुस्लिम विरोधी टिप्पणियों के बलबूते ही बड़ी संख्या में अपने भक्त बना लिए हैं. मुसलमानों को निशाना बनाकर वह लगातार सुर्खियों में रहे और सोशल मीडिया पर भी अपनी एक पहचान बना ली है. उनके वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर छाए रहते हैं और इनकी वजह से ही उन्होंने हजारों की संख्या में व्यूज और फॉलोअर्स मिले हैं.

नरसिंहानंद ने दिप्रिंट से कहा, ‘यह सब केवल ऑनलाइन नहीं है. मेरे अनुयायी हर राज्य में हैं और देश के बाहर भी मेरे भक्त हैं.’

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मुख्य महंत पहली बार इस साल मार्च में उस घटना के बाद सुर्खियों में आए थे, जिसमें मंदिर के अंदर पहुंचे एक लड़के को उनके भक्तों ने यह जानने के बाद बेरहमी से पीट दिया था कि वह मुस्लिम है.

दो हफ्ते पहले मंदिर परिसर में पुजारी को चाकू मारकर घायल किए जाने के बाद यहां सुरक्षा बढ़ा दी गई है. यहां स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी भी मुसलमान को अंदर न आने दें.

मंदिर पर वर्दी में तैनात 35 पुलिसकर्मियों में से एक ने कहा, ‘हम मुस्लिम बच्चे वाली घटना के बाद से मंदिर परिसर में आने वाले लोगों के नामों पर नजर रखे हैं. हम आधार की जांच करते हैं ताकि लोगों के पास अपनी पहचान के बारे में झूठ बोलने का कोई तरीका न हो. छूरा मारे जाने की घटना के बाद से यहां सुरक्षा दोगुनी कर दी गई है.’


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गाजियाबाद में मंदिर परिसर में मौजूद पुलिस | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

लेकिन जिस सोशल मीडिया ने नरसिंहानंद को इतनी लोकप्रियता दिलाई, वही अब उनका साथ छोड़ता दिख रहा है. पहले पूरी जोरदारी से उनका समर्थन करते रहे लोग पिछले हफ्ते में उनको जमकर खरी-खोटी सुनाते दिखे.

यह सब महंत का एक वीडियो वायरल होने के बाद हुआ, जिसमें वह अपने चेलों को कथित तौर पर यह बताते नजर आ रहे हैं कि तमाम महिला नेता, खासकर भाजपा में, अपने साथी नेताओं की ‘रखैल’ हैं.

इस वीडियो ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को भी असहज कर दिया, जिसके सदस्य कथित तौर पर पहले पुजारी का पुरजोर समर्थन करते थे.

डैमेज कंट्रोल की कोशिश

दिप्रिंट ने रविवार को जब मंदिर परिसर का दौरा किया तो पाया कि ताजा विवाद ने यहां पर महंत के चेलों को कुछ खास प्रभावित नहीं किया है, हालांकि डैमेज कंट्रोल के प्रयास जारी हैं.

परिसर में भाजपा की एक महिला नेता की स्कॉर्पियो खड़ी दिखी, जिस पर भाजपा का झंडा लगा था. दोमंजिला इमारत में नरसिंहानंद की आवाज सुनाई दे रही थी. वह भाजपा नेता के साथ एक वीडियो रिकॉर्ड कर रहे थे, इसमें उन्होंने अपने हालिया वीडियो को लेकर स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी महिलाओं का अपमान नहीं किया है.

उन्होंने दिप्रिंट से बातचीत में, ‘उस वीडियो को कुछ जिहादियों और मेरे विरोधियों ने इस तरह एडिट किया था, ताकि ऐसा लगे कि मैं महिलाओं का मजाक उड़ा रहा हूं. मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है. मैं सिर्फ यह बता रहा था कि राजनीति कितनी गंदी है.’

नियमित रूप से पूजा के लिए डासना मंदिर आने वाली महिलाओं को नरसिंहानंद की भड़काऊ टिप्पणी पर कोई ऐतराज नहीं है. उनका कहना है कि कोई तो है जो ‘सच’ बोलता है.

नजदीक ही स्थित श्रीराम कॉलोनी में रहने वाली एक श्रद्धालु राधा का कहना है, ‘हम सभी भाजपा सदस्य या समर्थक हैं. हर रविवार यहां भजन-कीर्तन और बाबाजी का प्रवचन सुनने आते हैं. वह सच बोलते हैं; वह हमारे धर्म के लिए अच्छा काम कर रहे हैं. हिंदू धर्म खतरे में है, और वह हमें बताते हैं कि इसे कैसे बचाया जा सकता है.’

अन्य भक्त वे हैं जिन्होंने यूट्यूब वीडियो के जरिये नरसिंहानंद का प्रवचन सुनते रहे हैं, जहां वे अपने अनुयायियों को इस्लाम की ‘बुराइयों’ के बारे में बताते हैं और हिंदू ‘ताकत’ को मजबूत करने पर जोर देते हैं. हालांकि, सामुदायिक दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के कारण उनके अकाउंट को सस्पेंड कर दिया गया है.

नोएडा निवासी राधिका सक्सेना, जो पहली बार मंदिर पहुंची थीं, ने दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने पहली बार लॉकडाउन के दौरान यूट्यूब पर उनके वीडियो देखे. मैंने पाया कि मैं उनकी हर बात से सहमत हूं और उन पर विश्वास करती हूं. मेरे पति संघ कार्यकर्ता हैं और उनके अनुयायी भी हैं. बाबाजी कहते हैं कि हमें अपने धर्म की रक्षा के लिए कुछ न कुछ करना होगा, और उनकी बात सही है.’

बहरहाल, नरसिंहानंद ने ताजा विवाद के कारण अपने जो समर्थक खो दिए हैं, उनमें से भाजपा से जुड़े लोगों के अलावा ऑनलाइन स्पेस भी शामिल है.

भाजपा नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा और कपिल मिश्रा ने नरसिंहानंद के ताजा विवादित बयान की खुलकर आलोचना की और उन्हें ‘जालसाज’ और ‘जिहादी’ तक करार दे डाला. कपिल मिश्रा ने अप्रैल में डासना मंदिर के लिए सक्रिय रूप से धन जुटाया था, लेकिन महंत के प्रति समर्थन के अपने रुख से अब पीछे हट गए हैं.

दक्षिणपंथी विचारक शेफाली वैद्य ने कहा कि उन्हें ‘खेद है कि उन्होंने इस आदमी का समर्थन करके गलती की.’ साथ ही उनके विचार ‘भयावह’ तक बता डाले.

फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने नरसिंहानंद का नाम तो नहीं लिया, लेकिन कहा कि भगवा पहने ‘बेवकूफों’ का महिमामंडन करना ‘इन ठगों’ से कहीं ज्यादा हिंदू समाज को नुकसान पहुचा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘हिंदू समाज हमेशा फर्जी बाबाओं-साधुओं के कारण नुकसान उठाता रहा है. यह बात हर हिंदू जानता है. फिर भी सुधरने का नाम नहीं ले रहा.’


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कड़ी चौकसी

बड़ी संख्या में पुलिस वालों की मौजूदगी के अलावा भी डासना देवी मंदिर में हर तरह से सावधानी और सतर्कता बरती जा रही है.

वैध पहचान पत्र न होने पर प्रवेश करना प्रतिबंधित तो है ही, नरसिंहानंद के सहयोगी सूर्यास्त के बाद से ‘एहतियातन’ हाथों में बंदूकें लेकर घूमते नजर आते हैं.

दिप्रिंट फोटोग्राफर मनीषा मोंडल को पीछे बंदूक टांगे उनके एक सहयोगी की कुछ फोटो सिर्फ इसलिए ही हटानी पड़ीं, क्योंकि ‘ये अच्छी नहीं लगेंगी.’

पुजारी की ‘सुरक्षा’ में बंदूकधारी लोग | फोटो: मनीषा मंडल/दिप्रिंट

मंदिर परिसर ‘सुरक्षित’ बनाने और नरसिंहानंद को हमलों से ‘बचाने’ के लिए भक्तों की तरफ से दान किए गए धन से 100 कैमरे लगवाने की भी तैयारी की जा रही है.

उत्तर प्रदेश पुलिस नरसिंहानंद को अपना पूरा सहयोग दे रही है, जबकि खुद उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज हैं. उनके खिलाफ कथित तौर पर दंगा भड़काने, सांप्रदायिक नफरत फैलाने और हथियार उठाने के छह से अधिक मामले दर्ज हैं, लेकिन वह अब तक गिरफ्तारी से बचते रहे हैं.

पुलिस ने दिप्रिंट को बताया कि वे ‘जान को खतरे’ के कारण महंत की सुरक्षा करते हैं.

मसूरी के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) शैलेंद्र प्रताप सिंह—डासना मंदिर इन्हीं के क्षेत्राधिकार में आता है—ने दिप्रिंट को बताया, ‘उनकी जान को खतरा है और हाल के हमले के बाद हमने वहां पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया है ताकि स्थिति न बिगड़े. उनके सहयोगियों के पास मौजूद बंदूकें लाइसेंसी हैं. वहां पहले भी पुलिस तैनात थी, लेकिन इतनी संख्या में नहीं थीं. हमने इस महीने की शुरुआत में हुए हमले के बाद इनकी संख्या बढ़ाई है.’

एसएचओ ने कहा कि वह यह नहीं बता सकते कि सुरक्षा कब घटाई जाएगी. साथ ही यह भी कहा कि नरसिंहानंद के खिलाफ लंबित सभी मामले गाजियाबाद से बाहर के हैं और उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं.

महंत का कहना है कि उनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है.

अपने चेलों से घिरे महंत नरसिंहानंद ने दिप्रिंट से कहा, ‘मैं योगी आदित्यनाथ का अनुयायी हूं, लेकिन इसके अलावा मैं राजनीति से दूर रहता हूं.’

नरसिंहानंद का दावा है कि उन्होंने रूस में रहकर पढ़ाई की है और मुस्लिमों द्वारा कथित तौर पर हिंदू महिलाओं को प्रताड़ित करने का ‘खुलासा’ होने के बाद हिंदुत्व की ओर उनका रुझान बढ़ा.

उनके ताजा बयान से भाजपा के ऐसे नेताओं, जो उनके प्रवचनों को सुनते और अमल करते थे, के भड़क जाने के बारे में पूछने पर नरसिंहानंद ने कहा, ‘भाजपा अपने लोगों को बिना किसी बचाव के मझधार में छोड़ देती है.’

अपने खुद के शब्दों में, वह जिस तरह सुरक्षा को उचित समझते हैं, वह कानून को ताक पर रख देने वाली है. उनका कहना है, ‘कोई मुसलमान अगर किसी हिंदू पर हमला करता है, तो उसे मौके पर ही मार डाला जाना चाहिए. आप कोर्ट और पुलिस का इंतजार कर रहे हैं?’ विडंबना यह है कि उन्हें वर्दीधारी पुलिसकर्मियों से घिरे रहना पड़ रहा है.

दर्शकों-श्रोताओं की मौजूदगी में नरसिंहानंद की गतिविधियां एकदम बदल जाती हैं. जैसे ही एक कैमरा चालू होता है, वह अपनी आवाज में थोड़ी तेजी लाकर वही रटी-रटाई लाइन दोहराने लगते हैं, जो पहले कई बार बोल चुके हैं, ‘इस्लाम कोई धर्म नहीं है. कश्मीर को देखो, अफगानिस्तान को देखो. तालिबान, लश्कर-ए-तैयबा, आईएसआईएस, यही इस्लाम का असली चेहरा है.’

जैसे ही कैमरा बंद होता है, वह मुस्कराते हुए अपना प्रवचन सुनने को लालायित भक्तों से मुखातिब होते हैं और कहते हैं, ‘मेरा नश्वर शरीर तो नष्ट हो जाएगा लेकिन मेरी कहीं बातें हमेशा जिंदा रहेंगी.’ और लोग सहमति जताते हुए सिर हिलाते हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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