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पंजाब में ‘गुरुद्वारा से चोरी’ मामले में भीड़ ने दलित व्यक्ति की पीट-पीटकर की हत्या, वीडियो हुआ वायरल

पुलिस ने छह लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. 15 अक्टूबर को राज्य के मोगा जिले में हुई इस घटना का एक वीडियो वायरल हो गया है.

एक 28 वर्षीय व्यक्ति को भीड़ द्वारा पीटे जाने का स्क्रीनशॉट | फोटो: एक्स

चंडीगढ़: पंजाब के मोगा जिले में एक गुरुद्वारे से पैसे चुराने की कोशिश करने के आरोप में एक दलित व्यक्ति की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या किए जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.

28 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर करम सिंह नामक व्यक्ति ने 15 अक्टूबर को हुए क्रूर हमले के तुरंत बाद दम तोड़ दिया था.

शनिवार को सामने आए वीडियो में मोगा जिले के गुरुसर मारी मुस्तफा गांव के निवासी सिंह को एक खिड़की की ग्रिल से बंधे हुए दिखाया गया और कुछ लोग उन्हें कुंद हथियारों से मार रहे हैं. घटना तड़के हुई और कई ग्रामीणों को उसकी पिटाई होते हुए देखते देखा गया.

वीडियो में यह भी देखा जा सकता है कि सिंह बाद में चलने या खड़े होने में असमर्थ थे, और फिर उन्हें मोटरसाइकिल पर घसीटा गया. कथित तौर पर उन्हें पीटने वाले उन्हीं लोगों द्वारा अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

पुलिस ने नानक सिंह, गुरनाम सिंह, जगतार सिंह, सीरा सिंह, धर्मपाल और काकू नाम के छह लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है. अन्य 16 अज्ञात व्यक्तियों को भी एफआईआर में नामित किया गया है.

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हालांकि, अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, मोगा के एसपी इंटेलिजेंस अजय राज ने दिप्रिंट को बताया.

उन्होंने आगे कहा, “हमारी टीमें गांव और उसके आसपास विभिन्न स्थानों पर छापेमारी कर रही हैं. आरोपी भाग रहे हैं.”

मामले के जांच अधिकारी कश्मीर सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि, ग्रामीणों द्वारा पुलिस को दी गई जानकारी के अनुसार, आरोपियों ने गुरुद्वारे के सीसीटीवी कैमरे के फुटेज के माध्यम से करम सिंह की पहचान की थी, जो कथित तौर पर गुल्लक (पैसा बॉक्स) से चोरी करने की कोशिश कर रहा था.

अधिकारी ने कहा कि “सिंह एक दलित परिवार से थे. पीड़ित की उम्र 28 साल थी और वह दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करता था. उनके पिता भी दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि करम सिंह नशे का आदी था, लेकिन हमें इसकी पुष्टि करनी होगी.”

इस बीच, पुलिस सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि, शुरू में, करम सिंह के परिवार के सदस्यों को बताया गया था कि उसने गांव के गुरुद्वारे के गुल्लक से चोरी करने की कोशिश की थी और भागते समय घायल हो गया था, जिसके बाद ग्रामीण उसे अस्पताल ले गए थे जहां उसकी मौत हो गई थी.

पुलिस ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 174 के तहत जांच कार्यवाही के बाद पीड़ित का शव परिवार को सौंप दिया, जो अप्राकृतिक मौत के मामलों में की जाने वाली एक नियमित पुलिस प्रक्रिया है.

कश्मीर सिंह ने कहा, “ग्राम पंचायत के साथ समझौते के बाद परिवार शव का अंतिम संस्कार करने पर सहमत हो गया.”

हालांकि, जब मॉब लिंचिंग का वीडियो सामने आया, तो पीड़ित के परिवार के सदस्यों ने पुलिस को सूचित किया और बाद में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) 342 (गलत कारावास), 148 (दंगा) और 149 (गैरकानूनी जमावड़ा) के तहत मामला दर्ज किया गया.

करम सिंह की क्रूर हत्या पंजाब में कोई अलग घटना नहीं है, जहां आरोपियों को भीड़ द्वारा “तत्काल न्याय” दिए जाने के मामले बढ़ रहे हैं.

दिप्रिंट से बात करते हुए, पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ के समाजशास्त्री प्रोफेसर मंजीत सिंह ने कहा कि सिखों द्वारा अपने धर्म को “अपवित्र” करने वालों को “मौत की सजा” देने की बढ़ती घटनाएं “सिख धर्म में बढ़ती कट्टरता” को दर्शाती हैं.

उन्होंने कहा, “सिख धर्म को दूसरों से अलग माना जाता था. यह एक आंदोलन था जो सेवा, सादगी और विनम्रता के सिद्धांतों के आधार पर निरंतर विकसित हो रहा था. लेकिन ऐसा लगता है कि उन आदर्शों को पीछे छोड़ दिया गया है.”

उन्होंने कहा कि इस बदलाव के लिए पुलिस भी दोषी है. उन्होंने दावा किया, “उन्होंने बेअदबी के मामलों में न्याय प्रदान करने में अपनी विश्वसनीयता खो दी है, जो लोगों को कानून अपने हाथ में लेने के लिए मजबूर करता है.”

पंजाब में देश में सबसे ज्यादा बेअदबी और ईशनिंदा के मामले दर्ज किए गए हैं.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी 2021 के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में धर्म से संबंधित अपराधों (आईपीसी की धारा 295, 296 और 297) की अपराध दर 0.6 प्रतिशत थी – जो देश में सबसे अधिक है. 0.5 प्रतिशत के साथ गोवा दूसरे स्थान पर है और उसके बाद 0.3 प्रतिशत के साथ कर्नाटक, हरियाणा और मध्य प्रदेश हैं.


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पिछली घटनाएं

मई में, राजपुरा के एक युवक साहिल की सिख श्रद्धालुओं ने पिटाई कर दी थी, जब उसने कथित तौर पर जूते पहनकर और अपना सिर ढके बिना राजपुरा के दुखनिवारण साहिब गुरुद्वारे में दो बार प्रवेश करने की कोशिश की थी.

दर्शकों ने साहिल को एक कमरे में खींच लिया और गुरुद्वारे के कर्मचारियों के साथ मिलकर उसकी पिटाई की. उसी शाम मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, साहिल के भाई सागर ने कहा कि वह अवसाद से पीड़ित थे और उनका पटियाला के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था.

राजपुरा की घटना से बमुश्किल तीन दिन पहले, 15 मई को, एक अधेड़ उम्र की महिला कुलविंदर कौर (मूल रूप से परविंदर कौर के रूप में पहचानी गई), जो कि पटियाला के एक गांव की निवासी थी, कथित तौर पर पटियाला में गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब के परिसर के अंदर शराब पी रही थी और “अपवित्रीकरण” करने के कारण एक क्रोधित भक्त द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई.

कथित हत्यारे निर्मलजीत सिंह सैनी को मौके से गिरफ्तार कर लिया गया था. उसने उन पर पांच गोलियां चलाईं, जिससे कौर की मौत हो गई और एक अन्य भक्त घायल हो गया.

पुलिस ने कहा कि महिला तलाकशुदा थी और जीरकपुर में एक सैलून में काम करती थी, पुलिस ने उसके परिवार के बारे में अधिक जानकारी देने से इनकार कर दिया, क्योंकि वे भी कट्टरपंथी सिख भक्तों का निशाना बन सकते थे. पुलिस ने कहा कि कौर को शराब की लत के रूप में पंजीकृत किया गया था और उसका पटियाला के एक नशा मुक्ति केंद्र में इलाज चल रहा था.

24 अप्रैल को, मोरिंडा के निवासी जसबीर सिंह जस्सी ने कथित तौर पर मोरिंडा के कोतवाली साहिब गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान किया था, जिसके बाद उसे श्रद्धालुओं ने पकड़ लिया और गुरुद्वारे के एक कमरे में ले जाकर उसकी पिटाई की.

उसे पुलिस को सौंपे जाने के बाद, सैकड़ों सिख युवाओं ने मोरिंडा पुलिस स्टेशन को घेर लिया और पुलिस से कहा कि आरोपी को उन्हें सौंप दिया जाए ताकि वे “तत्काल न्याय” दे सकें. जब पुलिस ने इनकार कर दिया, तो उत्तेजित भीड़ कथित तौर पर जस्सी के घर गई और तोड़फोड़ की, जिसके बाद उसके परिवार को छिपकर रहना पड़ा.

28 अप्रैल को, जब जस्सी को रोपड़ की एक अदालत में पेश किया गया, तो एक वकील, जिसकी पहचान साहिब सिंह के रूप में हुई, ने उसे गोली मारने की कोशिश की. 1 मई को, आरोपी ने सीने में दर्द की शिकायत की और उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई थी.

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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