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मणिपुर में हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षित ऑपरेशन के लिए 20 MPV वाहन तैनात करेगी CRPF

मोइरांग चेकपोस्ट पर असम राइफल्स की जगह सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस के जवानों को तैनात किया गया है. मणिपुर पुलिस ने पिछले हफ्ते 'कुकी उग्रवादियों की मदद' करने के आरोप में असम राइफल्स के जवानों के खिलाफ FIR दर्ज की थी.

मणिपुर में हिंसा के दौरान जलाया गया एक वाहन | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

नई दिल्ली: मणिपुर में राज्य के बहुसंख्यक मैतेई और आदिवासी कुकी समुदायों के बीच चल रही जातीय हिंसा के बीच, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने पिछले सप्ताह 20 माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल (एमपीवी) को “हॉटस्पॉट” पर भेजा है. CRPF ने इन गाड़ियों को वहां भेजा है जहां “लगातार गोलीबारी हो रही है”. इसकी जानकारी दिप्रिंट को मिली है.

CRPF के सूत्रों ने कहा, यह फैसला हिंसाग्रस्त राज्य में “परिचालन प्रभावकारिता बढ़ाने” की रणनीति के रूप में लिया गया है.

CRPF के एक सूत्र ने दिप्रिंट से कहा, “14 से अधिक हॉटस्पॉट को चिन्हित किया गया है जहां से नियमित गोलीबारी की सूचना मिलती है. क्रॉस फायरिंग के दौरान हमारे वाहन और सुरक्षाकर्मी को उस क्षेत्र तक पहुंचने में मुश्किल होती है. इसलिए हमने फैसला लिया कि उस क्षेत्र में माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल की तैनाती की जाए.”

उन्होंने कहा, “इससे हमें हिंसा प्रभावित इलाकों के बीच जाकर स्थिति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी.”

सूत्र के मुताबिक, राज्य में पिछले तीन महीनों की हिंसा के चलते सुरक्षाबल के कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए हैं.

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उन्होंने कहा, “कई वाहनों में तोड़फोड़ की गई, कई में आग लगा दी गई. और ऐसी स्थिति में जहां हर तरफ से गोलियां चल रही हैं, उसमें यात्रा करना सुरक्षित नहीं है. यह माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल निश्चित रूप से हमारी परिचालन प्रभावकारिता को बढ़ाने में हमारी मदद करेगा, खासकर उन जगहों पर जो अस्थिर हैं, जैसे चुराचांदपुर जहां से हिंसा शुरू हुई थी.”

सूत्र के मुताबिक, बिष्णुपुर-चुराचांदूर इलाके में कुछ वाहनों को तैनात किया गया है, जहां 5 अगस्त के बाद से हिंसा भड़क उठी है, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई है.

उन्होंने कहा, “पहली प्राथमिकता इस क्षेत्र में वाहन तैनात करना था जहां लगातार हिंसा देखी जा रही है. हमने क्षेत्र में अधिक CRPF कर्मियों को भी तैनात किया है.”

इस बीच, सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि बिष्णुपुर और कांगवई के बीच मोइरांग में चेकपोस्ट पर तैनात असम राइफल्स की जगह सोमवार को CRPF और स्थानीय पुलिस की तैनाती की गई. यहां पिछले हफ्ते से ही झड़पें हो रही थीं.

मणिपुर पुलिस द्वारा पारित आदेश मैतेई महिलाओं के एक समूह, जिन्हें मीरा पैबिस के नाम से जाना जाता है, के द्वारा सोमवार को इम्फाल पूर्व और पश्चिम जिलों में एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन के बाद आया, जिसमें मणिपुर से असम राइफल्स को हटाने की मांग की गई थी.

मीरा पैबिस या ‘मशालवाहक’, मैतेई समाज की महिलाओं का एक सम्मानित समूह है जिन्होंने कुकी-मैतेई संघर्ष के बीच सतर्क लोगों की भूमिका निभाई है. आम तौर पर, ये महिलाएं मैतेई लोगों के बीच नैतिक मूल्यों की संरक्षक के रूप में काम करती हैं जिसमें शराब और नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने और परिवारों में शांति बनाए रखने का काम शामिल है.

महिलाओं ने आरोप लगाया है कि असम राइफल्स “पक्षपातपूर्ण” काम करती थी और उनका रवैया हमेशा मैतेई समुदाय के खिलाफ रहता था और वह कुकी समुदाय का पक्ष लेती थी.

हालांकि, पुलिस ने इस बदलाव को “आंशिक संशोधन” कहा है.

पुलिस के द्वारा जारी आदेश में कहा गया है, “इस कार्यालय के 3 अगस्त, 2023 के आदेश में आंशिक संशोधन में, बिष्णुपुर से कांगवई रोड पर मोइरांग लमखाई में नाका/चेकपॉइंट को तत्काल प्रभाव से और अगले आदेश तक 9 असम राइफल्स के स्थान पर नागरिक पुलिस और CRPF द्वारा तैनात किया जाएगा.” दिप्रिंट के पास आदेश की कॉपी है.

वर्तमान में CRPF, सीमा सुरक्षा बल (BSF), सशस्त्र सीमा बल (SSB), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), असम राइफल्स (AR) और भारतीय सेना की कंपनियां मणिपुर में तैनात हैं.

पिछले हफ्ते मणिपुर पुलिस ने “कुकी उग्रवादियों” की मदद करने के आरोप में असम राइफल्स के जवानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.

मैतेई लोगों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए निकाले गए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के बाद से राज्य में 3 मई से उबाल है. पुलिस आंकड़ों के अनुसार, इस जातीय हिंसा में कम से कम 160 लोग मारे गए हैं और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.


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असम राइफल्स के खिलाफ मामला

इस बीच, मणिपुर पुलिस ने शनिवार को असम राइफल्स के कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की. FIR में उन पर पुलिस द्वारा चल रहे तलाशी अभियान के दौरान “कूकी आतंकवादियों” को “सुरक्षित क्षेत्र में भागने” में मदद करने का आरोप लगाया गया है.

FIR के अनुसार 5 अगस्त को “असम राइफल्स की 9वीं बटालियन के कर्मियों” के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था, क्योंकि उन्होंने पुलिस को उनके काम करने से रोकने की कोशिश की थी. दिप्रिंट के पास FIR की कॉपी है.

मणिपुर पुलिस की शिकायत पर आधारित FIR में दावा किया गया है कि एक पुलिस टीम आर्म्स एक्ट के एक मामले में कार्रवाई और “आरोपियों का पता लगाने” के लिए तलाशी अभियान चला रही थी. जब टीम क्वाक्टा वार्ड नंबर 8 के पास फोलजांग रोड की ओर बढ़ रही थी, तो असम राइफल्स के जवान ने उन्हें रोका. पुलिस के मुताबिक कुकी उग्रवादी क्वाक्टा वार्ड नंबर 8 में शरण लिए हुए थे.

FIR में लिखा गया है, “क्वाक्टा में स्थित कुतुब वली मस्जिद पहुंचने पर, राज्य पुलिस की टीमों को 9वीं एआर के कर्मियों ने सड़क के बीच में अपने कैस्पर वाहन को खड़ा करके रोक दिया और उनका रास्ता बंद कर दिया. इसके चलते राज्य पुलिस अपना काम नहीं कर सकी.”

इसमें आगे कहा गया है, “9वीं एआर के कर्मियों का यह अहंकारी कृत्य है, जिससे आरोपी कुकी उग्रवादियों को उनके लिए सुरक्षित क्षेत्र में भागने का मौका मिल गया.”

यह केस किसी व्यक्ति को चोट पहुंचाने के इरादे से लोक सेवक द्वारा कानून की अवज्ञा करना, लोक सेवक को सार्वजनिक कार्य के निर्वहन में बाधा डालना, लोक सेवक को चोट पहुंचाने की धमकी देना, गलत तरीके से रोकना, हमला करना या गंभीर बल के अलावा अन्य आपराधिक बल लगाने की धाराओं आदि के तहत दर्ज किया गया है.

शनिवार को, मणिपुर पुलिस टीम की असम राइफल्स के साथ तीखी बहस का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से फैला. वीडियो में पुलिस अधिकारी असम राइफल्स पर “उनके ऑपरेशन में हस्तक्षेप” करने का आरोप लगाते दिख रहे हैं.

घटना के बारे में बात करते हुए, एक पुलिस सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “असम राइफल्स के जवानों ने पुलिस के कामकाज में हस्तक्षेप किया. अगर पुलिस को ऑपरेशन करने, गिरफ्तारियां करने और हथियार बरामद करने से रोका गया, तो मणिपुर में हिंसा कभी नहीं रुकेगी.”

हालांकि, असम राइफल्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह एक “विचित्र” मामला है.

उन्होंने कहा, “ऐसा कहां होता है कि एक बल दूसरे के खिलाफ मामला दर्ज कराता है. यह विचित्र है. हिंसा पर काबू पाने के लिए असम राइफल्स पहले दिन से ही दिन-रात काम कर रही है. हम यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी की जान न जाए, हमने रिकॉर्ड समय में इतने सारे लोगों को निकाला, हमारे कर्मी कई स्थानों पर बफरजोन में काम कर रहे हैं. एक बल पर पक्षपातपूर्ण होने का आरोप लगाना और वह भी एक पुलिस बल द्वारा, बेहद दुखद है.”

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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