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लखनऊ पुलिस का दावा- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कैमरे के जरिए रोकेगी महिलाओं से छेड़छाड़

यूपी पुलिस के अधिकारी का कहना है कि इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल विदेशों में होता है. AI का इस्तेमाल करते हुए हम इस नई मुहिम को हकीकत में लाएंगे ताकि छेड़छाड़ व चेन स्नेचिंग के मामलों पर नियंत्रण पाया जा सके.

सीसीटीवी कैमरा/प्रतीकात्म तस्वीर/पिक्सल

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बढ़ते छेड़छाड़ के मामले को देखते हुए लखनऊ पुलिस अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कैमरों के जरिए छेड़छाड़ रोकने का प्रयास करेगी.

लखनऊ पुलिस के कमिश्नर डीके ठाकुर ने कहा है कि राजधानी लखनऊ में 200 ऐसे स्थान चिन्हित किए गए हैं जहां महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं ज्यादा होती हैं. इन स्थानों पर पुलिस कमिश्नरेट की ओर से आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से लैस कैमरे लगाए जाएंगे. जिनसे इन इलाकों पर 24 घंटे नजर रखी जाएगी, इन कैमरों की खासियत होगी कि चेहरे के हाव भाव से ही लड़की के साथ हो रही छेड़छाड़ का पता लगाएंगे.

कमिश्नर के मुताबिक, ‘अगर कोई मनचला लड़की का पीछा कर रहा है तो महिलाओं के एक्सप्रेशन चेंजेस को कैमरा कैप्चर कर लेगा और कैमरा यूपी पुलिस के ‘डायल 112’ के वेहिकल को एलर्ट कर देगा. इससे पुलिस की टीम एक्टिव हो जाएगी और छेड़खानी करने वाले मनचलों को पकड़ लेगी. 200 हॉट स्पॉट्स पर 5-5 कैमरे होंगे.

डीके ठाकुर ने कहा, ‘उन्होंने 40-45 पॉसिबिलिटी (छेड़-छाड़ करने के तरीके) का अंदाजा लगाया है जिसमें से कुछ भी होता है तो ये आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस वाले कैमरे पकड़ लेंगे.’

‘लखनऊ यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में कमिश्नर ने ये बातें बताई हैं. उन्होंने ये भी कहा, ‘समाज में महिलाओं से जुड़े अपराधों को रोकने के लिए सबसे पहले समाज को अपनी सोच में परिवर्तन लाना होगा.’

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1500 कैमरे लगवाने का टारगेट

दिप्रिंट से बातचीत में लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट की ज्वाइंट कमिश्नर (क्राइम) नीलाब्जा चौधरी ने कहा, ‘ये एक प्रस्तावित मॉडल है, अभी भी हम इसको प्रैक्टीकली कैसे शुरू करें इसकी कोशिश में जुटे हैं. फिलहाल 280 आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस वाले कैमरे हमारे पास हैं, इसे हम 1500 तक ले जाएंगे.’

नीलाब्जा ने आगे कहा. ‘ऐसी टेक्नोलॉजी विदेशों में इस्तेमाल होती है. आजकल AI से जुड़े तमाम सॉफ्टवेयर्स आए हैं. उनका इस्तेमाल करते हुए हम इस नई मुहिम को हकीकत में लाएंगे ताकि छेड़छाड़ व चेन स्नेचिंग के मामलों पर नियंत्रण पाया जा सके.’

दिप्रिंट ने पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर से भी संपर्क करने की कोशिश की लेकिन वह मीटिंग में व्यस्त थे. उनसे पूछे गए सवालों के जवाब मिलते ही हम कॉपी को अपडेट कर देंगे.

विपक्षी दलों ने उठाए सवाल

सोशल मीडिया पर कमिश्नर डीके ठाकुर के बयान को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं. वहीं विपक्षी दलों ने लखनऊ पुलिस की इस पहल पर सवाल उठाते हुए उन्हें कटघरे में खड़ा किया है.

समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह कहा कहना है कि पुलिस पहले ये बताए कि अभी तक ‘कितने मनचलों को पकड़ा है.’

वह दिप्रिंट से बातचीत में कहती हैं,  ‘रोज ही तो छेड़खानी की घटनाएं होती हैं, क्या कोई पकड़ा जाता है. एक्सप्रेशन से कैसे पकड़ लेंगे जब शिकायत होने के बाद भी नहीं पकड़ पाते. यूपी सरकार के रोमियो स्कॉयड कहां गए पहले तो ये बताया जाए.’

यूपी कांग्रेस की प्रवक्ता शुचि विश्वास ने इस पहल को ‘हास्यास्पद’ बताते हुए कहा, ‘लखनऊ पुलिस पहले अपनी साइबर सेल की स्थिति तो सुधार ले, पहले चलान करना तो ठीक से सीख ले एक्सप्रेशन के जरिए मनचले पकड़ना तो दूर की बात है. जिस प्रदेश में रात 2.30 बजे रेप पीड़िता को बिना घर वालों की मर्जी के जला दिया जाता है, वहां पुलिस की इस तरह की बातें बिना लॉजिक की हैं.’

हालांकि महिलाओं के साथ बढ़ती छेड़छाड़ की घटनाओं को देखते हुए यूपी सरकार और पुलिस बीच-बीच में कई अभियान चलाती रही है. पिछले दिनों सरकार ने ‘ऑपरेशन दुराचारी‘ भी चलाने की बात कही थी. जिसके तहत महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म या अन्य अपराध करने वाले आरोपियों के पोस्टर चौक-चौराहों पर लगाने की बात कही थी.

बता दें कि यूपी सरकार से मिले आंकड़ों के अनुसार यूपी में में हर दिन महिलाओं के खिलाफ औसतन 162 से अधिक मामले दर्ज होते थे. अगर पुलिस की मानें तो 2019 के पहले 6 महीने में यूपी में 19,761 आपराधिक मामले सामने आए जिसमें रेप के 1224, शीरीरिक शोषण के 4883, छेड़छाड़ के 293 और घरेलू हिंसा के 6991 और अपहरण के मामले 5282 मामले शामिल थे.


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