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न्यायालय ने किराये की कोख से जुड़े प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने किराये की कोख के संबंध में सरोगेसी विनियमन कानून-2021 और सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) कानून-2021 से जुड़े कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली एक याचिका पर केंद्र सरकार और अन्य से जवाब मांगा है। याचिका में दावा किया गया है कि कानून के प्रावधान निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं और महिलाओं के प्रजनन अधिकार के खिलाफ हैं।

न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया।

चेन्नई निवासी अर्जुन मुथुवेल की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि दोनों ही कानून किराये की कोख और सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी के विनियमन के अनिवार्य लक्ष्य को पूरी तरह हासिल करने के लिहाज से नाकाफी हैं।

अधिवक्ता मोहिनी प्रिया की ओर से दाखिल इस याचिका में कहा गया, ‘‘सरोगेसी कानून किराये की कोख के कारोबार पर पूरी तरह पाबंदी लगाता है जो ना तो वांछनीय है और ना ही प्रभावी हो सकता है।’’ याचिका में कहा गया है कि किराये की कोख के कारोबार पर पूर्ण पाबंदी से कालाबाजारी का उदय होगा और अधिक शोषण होगा।

याचिका में विवाहित महिलाओं के अलावा 35 साल से ऊपर की अन्य महिलाओं के अधिकारों को मान्यता देने का निर्देश देने की मांग की गई है ताकि मातृ सुख के लिए वह सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी के साधन के रूप में किराये की कोख हासिल कर सकें।

भाषा संतोष अविनाश नरेश

नरेश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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