नयी दिल्ली, 27 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पंजाब सरकार से मौखिक रूप से कहा कि वह एक मादक पदार्थ मामले में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेता विक्रम मजीठिया की गिरफ्तारी-पूर्व जमानत याचिका पर 31 जनवरी को सुनवाई होने से पहले उनके खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाए।
प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने मजीठिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की इस दलील पर गौर किया कि अग्रिम जमानत याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है क्योंकि आरोपी को ”राजनीतिक प्रतिशोध” का सामना करना पड़ रहा है।
रोहतगी ने मजीठिया की याचिका पर तत्काल सुनवाई की अपील करते हुए कहा, “यह राजनीतिक प्रतिशोध है। उन्हें थाने बुलाया जाता है। चुनावी बुखार के कारण यह सब हो रहा है।”
इस पर पीठ ने पूछा, ”यह चुनावी बुखार है या चुनावी वायरस। सभी इस अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं।”
रोहतगी ने कहा कि उच्च न्यायालय ने मजीठिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की थी ताकि वह शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटा सकें।
उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस इस तथ्य से अवगत होने के बाद भी उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है कि शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की गई है।
पंजाब सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने कहा कि मजीठिया खुद छिप गए है और अब वकील के माध्यम से यहां पेश हो रहे हैं।
इसपर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ”क्या यह ठीक है श्री चिदंबरम, जबकि आपको पता है कि उनकी याचिका सूचीबद्ध है। सरकार से कहें कि वह ऐसा नही करे। हम सोमवार को मामले पर सुनवाई करेंगे।”
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने 24 जनवरी को मजीठिया की गिरफ्तारी-पूर्व जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
भाषा जोहेब अनूप
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