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सीएए के खिलाफ लिखने वाले पूर्व आईपीएस दारापुरी और कांग्रेस प्रवक्ता सदफ जफ़र जेल से हुईं रिहा

लखनऊ में सेशन कोर्ट में सुनवाई के बाद पूर्व आईपीएस अधिकारी दारापुरी, कांग्रेस कार्यकर्ता सदफ जफर को कोर्ट ने 50-50 हजार रुपये की जमानत राशि भरने को कहा था.

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जेल से रिहा होने के बाद पूर्व आईपीएस दारापुरी और सोशल एक्टिविस्ट सदफ जफ़र/फोटो: विशेष प्रबंधंन द्वारा

लखनऊ: यूपी कांग्रेस की प्रवक्ता, सोशल एक्टिविस्ट सदफ जफ़र और पूर्व आईपीएस एस दारापुरी मंगलवार को जेल से बाहर आ गए. सीएए प्रोटेस्ट के दौरान हुई हिंसा को भड़काने के आरोप में दोनों को गिरफ्तार किया गया था. बीते शनिवार दोनों को जमानत मिल गई थी. लखनऊ में सेशन कोर्ट में सुनवाई के बाद एडीजे एसएस पांडेय ने पूर्व आईपीएस अधिकारी दारापुरी, कांग्रेस कार्यकर्ता सदफ जफर को जमानत दी है. कोर्ट की तरफ से सभी को 50-50 हजार रुपये की जमानत राशि और इतनी ही राशि का निजी मुचलका भरने को कहा गया. कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद मंगलवार को दोनों जेल से बाहर आए.

जेल  से बाहर आने के बाद कांग्रेस प्रवक्ता सदफ़ ने कहा, योगी जी की बदौलत जेल जाने और पिटने का डर भी अब दूर हो गया है. जब तक यह अमानवीय कानून वापस नहीं लिया जाता है, तब तक मैं विरोध जारी रखूंगी.’

इससे पहले कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने ये ऐलान किया था कि सीएए के खिलाफ हुए प्रदर्शन में गिरफ्तार किए गये तमाम पीड़ित परिवारों की कानूनी लड़ाई कांग्रेस लड़ेगी. मीडिया से बातचीत करते हुए संवाददाताओं से बात करते हुए प्रियंका ने योगी सरकार पर निशाना साधा था. प्रियंका बोलीं थीं, ‘यूपी के सीएम ने भगवा धारण किया है. ये भगवा आपका नहीं है, ये भगवा हिंदुस्तान की आध्यात्मिकता का प्रतीक है. हिंदुस्तान का धर्म है भगवा और आप उस धर्म को धारण करें. उस धर्म में बदला और रंज की जगह नहीं है.’

शनिवार को मिली थी जमानत

बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जफर, पूर्व आईपीएस अधिकारी एस आर दारापुरी और 13 अन्य को एक स्थानीय अदालत ने शनिवार को जमानत दे दी थी .

अपर सत्र न्यायाधीश एस एस पाण्डेय की अदालत ने सदफ, दारापुरी और 13 अन्य से पचास पचास हजार रूपये की जमानत राशि और इतनी राशि का निजी मुचलका भरने को कहा था .

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इससे पहले शुक्रवार को अदालत ने सदफ, दारापुरी और अन्य की जमानत याचिका पर अपना फैसला शुक्रवार को सुरक्षित कर दिया था.

अदालत ने उनकी व्यक्तिगत अर्जी पर सुनवाई की और सरकारी वकील का पक्ष भी सुना. इसके बाद फैसला सुरक्षित कर दिया.

जिनकी जमानत याचिका पर सुनवाई हुई उनमें मोहम्मद नसीम, मोहम्मद शोएब, नफीस, पवन राय अंबेडकर, शाह फ़ैज़ और मोहम्मद अजीज भी शामिल हैं.

सरकारी वकील दीपक यादव ने बताया कि हजरतगंज पुलिस ने उक्त आरोपियों के खिलाफ सार्वजनिक संपत्ति क्षति रोकथाम कानून सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया था.

आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया था. आरोपियों की ओर से व्यक्तिगत रूप से दाखिल जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए अदालत ने आरोपियों को निर्देश दिया कि वे जांच में सहयोग करें और जब बुलाया जाए तो जांच अधिकारी के समक्ष पेश हों.

अदालत ने यह निर्देश भी दिया कि आरोपी किसी अपराध में ना लिप्त हों और ना ही किसी गवाह को प्रभावित करने की कोशिश करें.

जमानत के आदेश में अदालत ने अभियोजन पक्ष को भी सुना और कहा कि फिलहाल आरोपियों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान आगजनी में शामिल होने को लेकर कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं है. पुलिस और साक्ष्य एकत्र करने की कोशिश कर रही है क्योंकि जांच अभी चल रही है.

(प्रशांत श्रीवास्तव के इनपुट्स के साथ)

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