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शिकायत का फॉरमेट सही नहीं है? कोई बात नहीं, लोकपाल सही शिकायत की जांच करेगा

2021-22 में लोकपाल द्वारा प्राप्त (फरवरी 2022 तक) कुल 4,244 शिकायतों में से, केवल 128 निर्धारित फॉरमेट में थीं. लेकिन जनवरी 2022 से ग़लत फॉरमेट की 199 शिकायतों को देखकर उनका निपटारा कर दिया गया है.

लोकपाल लोगो | lokpal.gov.in

नई दिल्ली: भ्रष्टाचार-विरोधी सजग प्रहरी लोकपाल ने उसे प्राप्त होने वाली हर एक शिकायत को जांचने का फैसला किया है, भले ही वो सही निर्धारित में दर्ज न की गई हो. क्यों? लोकपाल के वरिष्ठ अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया, कि इससे कोई वास्तविक शिकायत नजरअंदाज नहीं होगी.

अगर शिकायत में कोई दम है तो लोकपाल शिकायतकर्त्ता से संपर्क करेगा और उनसे शिकायत को सही प्रारूप में दाखिल करने और तमाम संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहेगा.

अभी तक, लोकपाल ऐसी शिकायतों को खारिज कर दिया करता था, जो निर्धारित प्रारूप के अनुसार नहीं होतीं थीं.

एक वरिष्ठ लोकपाल अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘इससे सुनिश्चित हो जाएगा कि कोई शिकायत इस वजह से खारिज नहीं होगी कि वो सही फॉरमेट में दर्ज नहीं की गई या उसमें विशेष कुछ जानकारी नहीं थी’.

इस साल जनवरी से बिना फॉरमेट की 199 शिकायतें, लोकपाल की पूरी डिवीजन बेंच द्वारा देखी या निपटाई गई हैं.

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अधिकारी के अनुसार, हर एक शिकायत की जांच करने का निर्णय इसलिए लिया गया, क्योंकि सरकार द्वारा नियमों की अधिसूचना जारी करने और शिकायतों का प्रारूप तय करने के दो साल बाद भी, लोकपाल में अधिकतर शिकायतें सही फॉरमेट में नहीं भेजी जा रहीं थीं.

लोकपाल में चार न्यायिक और चार गैर-न्यायिक सदस्य होते हैं, जो एक अध्यक्ष के आधीन काम करते हैं. इसका गठन केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय-स्तर के सार्वजनिक पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच के लिए किया गया था, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, पूर्व सांसद और केंद्र सरकार के अधिकारी शामिल हैं.


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‘जागरूकता फैलाने की ज़रूरत’

3 मार्च 2020 को, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने नियमों की अधिसूचना जारी की, जिनके अनुसार किसी जन सेवक के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले व्यक्ति को, अपनी पहचान के सबूत के साथ एक सशपथ हलफ़नामा देना होता है. ऐसा ये सुनिश्चित करने के लिए किया गया, कि लोकपाल शिकायत पर आगे की प्रक्रिया कर सके.

2021-22 में लोकपाल द्वारा प्राप्त (फरवरी 2022 तक) कुल 4,244 शिकायतों में से, केवल 128 निर्धारित फॉरमेट में थीं. 2020-21 में कुल 2,355 शिकायतों में से 110 सही फॉरमेट में थीं, जबकि 2019 में प्राप्ट हुई कुल 1,427 शिकायतों में से सिर्फ 45 का फॉरमेट सही था.

एक वरिष्ठ लोकपाल अधिकारी ने समझाया, ‘इसका मतलब है कि लोगों को अभी तक मालूम नहीं है कि लोकपाल के उनकी शिकायतों को देखने के लिए, कुछ जानकारी देने की जरूरत होती है. नियमों के बारे में जानकारी पैदा करने के लिए, बड़े पैमाने पर आउटरीच की ज़रूरत है’.

अधिकारी ने कहा कि लोकपाल बेंच अब एक-एक शिकायत की जांच कर रही है और उसके गुण के आधार पर फैसले कर रही है. अधिकारी ने आगे कहा, ‘लोकपाल की सही भावना यही है, चूंकि ‘लोक’ का मतलब होता है लोग, और ‘पाल’ का मतलब है रक्षक. ये संस्थान लोगों का रक्षक है.

31 जनवरी 2022 तक, लोकपाल के पास जांच के लिए 36 सक्रिय शिकायतें थीं. इनमें से तीन मामलों में आगे जांच के आदेश दिए गए हैं.

जांच निदेशक नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू

वरिष्ठ लोकपाल अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि संस्थान में जांच निदेशक के अहम पद को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

जांच निदेशक का काम भ्रष्टाचार की शिकायतों की, शुरुआती जांच की निगरानी करना होता है. ये पद 19 मार्च 2019 से खाली रहा है, जब लोकपाल का गठन हुआ था.

अधिकारियों ने कहा कि लोकपाल सचिवालय में जिसकी स्वीकृत स्टाफ संख्या 124 है कई पद खाली हैं जिन्हें अब भरने की कोशिश की जा रही है.

28 दिसंबर 2021 को, 1988 बैच के भारतीय वन सेवा के एक अधिकारी भरत लाल को, लोकपाल सचिव नियुक्त किया गया था. जनवरी के बाद से एक संयुक्त सचिव और दो उप सचिव भी नियुक्त किए गए हैं.

इस रिपोर्ट के शुरू में हवाला दिए गए अधिकारी ने कहा, ‘दूसरे खाली पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है’.

लोकपाल में न्यायिक सदस्यों के चार में दो पद 2020 से खाली हैं, जिनमें से एक पर पहले जस्टिस दिलीप बी भोसले थे, जिन्होंने शपथ लेने के केवल नौ महीने बाद, जनवरी 2020 में इस्तीफा दे दिया था. एक और न्यायिक सदस्य, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी की मई 2020 में कोविड से मृत्यु हो गई.

फिलहाल, लोकपाल के अध्यक्ष पिनाकी चंद्र घोष हैं, जो रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं. दो सेवारत न्यायिक सदस्य हैं- झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रदीप कुमार मोहंती और मणिपुर हाईकोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश अभिलाषा कुमारी.

अधिकारी ने कहा कि एक मज़बूत लोकपाल सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है. अधिकारी ने आगे कहा, ‘प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने समय समय पर सार्वजनिक मंचों से, भ्रष्टाचार की बीमारी के खिलाफ बात की है’.

30 जनवरी को अपने मासिक रेडियो संबोधन मन की बात में पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार-मुक्त भारत की बात की थी. पीएम ने कहा, ‘भ्रष्टाचार दीमक की तरह देश को खोखला कर देता है. इससे छुटकारा पाने के लिए 2047 तक क्यों इंतज़ार करें? हम सभी देशवासियों को, आज के युवाओं को, ये काम साथ मिलकर करना है, जहां तक संभव हो सके, और उसके लिए बहुत ज़रूरी है कि हम अपने कर्त्तव्यों को प्राथमिकता दें’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़े के लिए यहां क्लिक करें)


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