होम देश कोरोनावायरस को सांप्रदायिक रंग देना घातक साबित हो सकता है: रघुराम राजन

कोरोनावायरस को सांप्रदायिक रंग देना घातक साबित हो सकता है: रघुराम राजन

राजन ने कहा कि देश में राष्ट्रवादी भावनाएं वायरस आने से पहले ही मजबूत थी लेकिन अब कोरोना संक्रमण के बीच यह और मुखर हो रही है.

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पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन की फाइल फोटो : ब्लूमबर्ग

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने लोगों को कोरोनावायरस महामारी को सांप्रदायिक रंग देने के प्रति आगाह किया है. उन्होंने कहा कि इस प्रकार का आचरण घातक हो सकता है और विभिन्न समुदाय के लोगों को साथ लेकर चलना मुश्किल हो सकता है.

तबलीगी जमात सदस्यों पर सामाजिक दूरी दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने और पिछले महीने सभी निर्देशों का उल्लंघन कर दिल्ली में निजामुद्दीन क्षेत्र में अपने केंद्र पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित करने के आरोप के बीच राजन ने यह बात कही है.

ऐसा माना जाता है कि इस कार्यक्रम की वजह से कोरोनावायरस संक्रमण तेजी से बढ़ा है. देश भर में हजारों मामले जमात के सदस्यों से जुड़े हैं.

देश में अबतक कोरोनावायरस संक्रमण से 19,000 लोग संक्रमित हुए हैं जबकि 600 लोगों की मौत हुई है.

राजन ने शिकागो विश्वविद्यालय की हार्पर व्याखयानमाला में व्याख्यान में कहा, ‘हम भारत में यह आरोप देख रहे हैं कि यह मुस्लिमों की साजिश हैं …इस प्रकार का आचरण घातक हो सकता है और देश में उनके समुदाय को साथ जोड़े रखना मुश्किल हो सकता है.’ कोरानावायरस संक्रमण के जोखिम के बीच यह व्याखान वीडियो कांफ्रेंस के जरिए आयोजित किया गया था.

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राजन ने सितंबर 2016 तक तीन साल के लिये आरबीआई के गवर्नर रहे. उन्होंने कहा कि देश में राष्ट्रवादी भावनाएं वायरस आने से पहले ही मजबूत थी लेकिन अब कोरोना संक्रमण के बीच यह और मुखर हो रही है.

उन्होंने उदाहरण दिया कि चीन कह रहा है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी की यह साजिश थी और अमेरिका कह रहा है कि यह चीन का काम है.

फिलहाल शिकागो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर राजन ने कहा कि दुनिया का कोई भी हिस्सा कोरोनावायरस के संक्रमण से नहीं बचा है.

उन्होंने कहा, ‘दुनिया का हर हिस्सा इससे प्रभावित है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई है. चालू वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी में 30 से 40 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है.’

राजन ने कहा कि 2020 की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने के बावजूद वैश्विक आथिक वृद्धि में गिरावट ही होगी.’

उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की हालत में सुधार एक साल बाद ही आने की संभावना है.

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