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खुशवंत सिंह की किताब औरतें, सेक्स,लव और लस्ट हटाने वाले रत्न बोले- ‘मैं नहीं जानता वह कौन हैं’

राष्ट्रीय रेलवे यात्री सेवा समिति के अध्यक्ष रमेंश चंद्र रत्न बुधवार को भोपाल रेलवे स्टेशन के निरीक्षण के लिए पहुंचे थे. स्टेशन पर प्रसिद्ध लेखक खुशवंत सिंह के उपन्यास 'औरतें, सेक्स,लव और लस्ट' को देख आपत्ति जताई थी.

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फोटो : दिप्रिंट

नई दिल्ली: भोपाल के रेलवे स्टेशन पर प्रसिद्ध लेखक खुशवंत सिंह की किताब हटाने वाले राष्ट्रीय रेलवे यात्री सेवा समिति के अध्यक्ष रमेश चंद्र रत्न का कहना है कि ‘मैं नहीं जानता कि खुशवंत सिंह कौन हैं.’ उनका कहना था कि खुशवंत सिंह की किताब हटाने का आदेश देने के पीछे नियमों का पालन करना ही उनकी मंशा थी.

बुधवार को रमेंश चंद्र रत्न और समिति के सदस्य रमेश चंद्र शर्मा और पूजा विधानी भोपाल रेलवे स्टेशन पर निरीक्षण के लिए पहुंचे. इस दौरान वे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर एचबी व्हीलर्स के स्टॉल पर पहुंचे. यहां प्रसिद्ध लेखक खुशवंत सिंह के उपन्यास ‘औरते, सेक्स,लव और लस्ट’ को देख आपत्ति जताई. उन्होंने एक अन्य पुस्तक गर्भावस्था, प्रसव ज्ञान और शिशु पालन नामक पुस्तक को भी हटाने को कहा था. समिति के अध्यक्ष ने उसे अश्लील करार देते हुए बुक स्टॉल के मालिक को हिदायत की कि इस तरह की किताब को वह फौरन हटा दे. इसके साथ ही उन्होंने रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों को आदेश दिया कि इस तरह का अश्लील साहित्य रेलवे स्टेशन पर कोई भी न बेच पाए.

मेरा कोई एजेंडा नहीं, जो रेलवे से नियम मिले हैं उसका पालन कर रहा हूं

रमेश चंद्र रत्न ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘मुझे जो नियम ज्ञात है उसमें साफ तौर पर लिखा है कोई भी अशलील पुस्तक नहीं बेचा जा सकता है. हम कोई ऐसी चीज नहीं चलने देना चाहते हैं जिससे नई पीढ़ी को कोई आघात पहुंचे. मैं यह प्रश्न पूछना चाहता हूं कि ‘क्या लेखक इस तरीक़े की किताबे अपने घरों के लोगों को भी पढ़ाएंगे क्या? जब इस तरह की चींजे घर में नहीं पढ़ा सकते, तो फिर भारतीय रेलवे में ऐसी कोई अश्लील चीज नहीं बेची जा सकती है.’

रत्न ने कहा कि, ‘मेरा कोई निजी एजेंडा नहीं है. मुझे जो रेलवे की तरफ से नियम मिले है, उसी के हिसाब से चल रहा हूं. रेलवे के कुछ अफसर यह गलत तर्क दे रहे हैं कि इस तरह की किताबें बेची जा सकती है. यह पूरी तरह से गैर बुनियादी है. कई जगह सेक्स से संबंधित किताबें भी बंद करवाई है. अब क्या सेक्स करवाने या किताबें पढ़वाने का सिस्टम प्लेटफार्म पर चलवाया जाएगा क्या.’

रत्न ने कहा, ‘राष्ट्रीय रेलवे यात्री सेवा समिति बोर्ड की हर माह बैठक होती है. इसमें सभी अधिकारी और सदस्य होते हैं. पहले भी इस बैठक में कई बार इस विषय पर चर्चा हो चुकी है. इसे बाद से हमने इस तरह की किताबें नहीं बेचने के लिए कहा रहे है. मैंने पहले भी कई रेलवे स्टेशन पर अधिकारियों को भी इसके लिए सचेत किया और निर्देशित किया है कि अश्लील चीजें किसी बुक स्टॉल पर नहीं मिलने दें.

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यह भी पढ़ें : खुशवंत सिंह की किताब को अश्लील बताकर भोपाल रेलवे स्टेशन के स्टॉल से हटाने के निर्देश


रेलवे की पैसेंजर सर्विसेज़ कमेटी का गठन 16 अक्टूबर को किया गया था. कमेटी का कार्य ‘रेलवे स्टेशन का निरीक्षण करना है. इसके अलावा बुक्स स्टॉल पर कौन सी किताब मिलनी चाहिए कौन सी नहीं इसकी सिफारिश करना है.’

रेलवे के एक अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध पर दिप्रिंट को बताया, यह समिति क्षेत्रीय आवश्यकता के अनुसार पुस्तकों और प्रकाशनों की बिक्री के बारे में जांच और सिफारिश करेगी. जिसमें राष्ट्रीय एकीकरण, सामाजिक न्याय, सांप्रदायिक सौहार्द और ग्रामीण विकास जैसे थीम को ध्यान में रखा जायेगा.

ज्यादा बिकती है खुशवंत सिंह की किताब

रेलवे स्टेशन पर स्टाल पर किताब विक्रेता ने दिप्रिंट से कहा, ‘खुशवंत सिंह की किताब लोग ज्यादा खरीदते है. इसलिए रखी थी. जिस किताब को देख अधिकारी नाराज हुए थे, वह आखिरी ही बची थी. वैसे भी लोग आजकल आनलाइन किताबें खरीद रहे है. हमारी किताबें बिकती भी नहीं है. अब जब अधिकारी चाहते ही नहीं, ऐसी किताबें बेची जाए तो भविष्य में ध्यान रखेंगे.’

यह ​है खुशवंत ​सिंह की किताब में

लेखक, कवि और स्तंभकार खुशवंत सिंह ने कई प्रसिद्ध किताबें लिखीं है. मार्च 2014 में उनका निधन हुआ. पद्मविभूषण खुशवंत सिंह की अंग्रेज़ी पुस्तक विमेन, सेक्स, लव एंड लस्ट का ये हिंदी अनुवाद है. इस किताब में औरतों, प्यार, कामेच्छा और जीवन के यथार्थ का उनके चिर परिचित अंदाज़ में लिखे गए बेबाक लेख है. इस किताब में लेखक अपने प्यार और सेक्स संबंधी सवालों के जवाब देते हैं. मसलन प्रेम पहले आया या कामेच्छा. उनके अरेंज मेरेज, कौमार्य और ब्रह्मचर्य पर विचार इसमें मौजूद है. वे साथ ही अश्लीलता, इरोटिक (अश्लील) लेखन और पोर्नोग्राफी में फर्क को परिभाषित करते हैं.

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