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अयोध्या रियल एस्टेट बूम वाला UP का नया शहर- राम मंदिर ने निवेशकों को आकर्षित किया, जमीन की कीमतें बढ़ीं

अयोध्या रियल एस्टेट बूम की राह पर चल पड़ा है. जमीन की कीमतें बढ़ गई हैं, जमीन के सौदे कई गुना बढ़ गए हैं, होटल, गेस्ट हाउस और बुनियादी सुविधाएं या तो बन रही हैं या फिर बहुत तेज गति से उनकी योजना बनाई जा रही है.

अयोध्या में एक फ्लाईओवर की दीवारें, राम के जीवन के दृश्यों को चित्रित करते हुए/ मौसमी दास गुप्ता/दिप्रिंट

अयोध्या: इस सप्ताह के अंत में अयोध्या के लिए विकास योजना की समीक्षा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस टेंपल सिटी में ‘हमारी परंपराओं की बेहतरीन और हमारे विकास की सबसे अच्छी’ झलक दिखनी चाहिए.

पीएमओ के एक बयान में कहा गया है कि अयोध्या को एक आध्यात्मिक केंद्र, वैश्विक पर्यटन केंद्र और एक स्थायी स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने की कोशिश है.

उस बदलाव के शुरुआती संकेत जमीनी स्तर पर पहले से ही नजर आने लगे हैं.

नवंबर 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले, जिसने राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है, के करीब डेढ़ साल बाद देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य का एक छोटा-सा शहर रियल एस्टेट बूम की राह पर चल पड़ा है.

जमीन की कीमतें बढ़ गई हैं, जमीन के सौदे कई गुना बढ़ गए हैं, होटल, गेस्ट हाउस और बुनियादी सुविधाएं या तो बन रही हैं या फिर बहुत तेज गति से उनकी योजना बनाई जा रही है—यह सब बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर देते हुए अयोध्या को ‘विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल’ में तब्दील करने की मोदी सरकार की कवायद के तहत हो रहा है.

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इस सबने विवादों को भी जन्म दिया, जिसमें भव्य राम मंदिर के निर्माण की जिम्मेदारी संभालने वाले राम जन्मभूमि ट्रस्ट को ज्यादा कीमत पर भूमि बेचे जाने जैसी अनियमितताओं का आरोप लगाया जा रहा है.

अयोध्या का प्रवेश द्वार/ मौसमी दास गुप्ता/दिप्रिंट

टेंपल सिटी आने वाले पर्यटकों की संख्या भी पिछले डेढ़ सालों में काफी बढ़ गई है, खासकर धार्मिक महत्व वाले रामनवमी जैसे दिनों में.

प्रशासनिक व्यवस्था से जुड़े लोगों के मुताबिक, देश में कोविड की पहली और दूसरी लहरों के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के दौरान शहर में पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के प्रवेश पर पाबंदी के बावजूद जब भी आगंतुकों को अनुमति दी गई है, टेंपल शहर पहुंचने वालों की संख्या बहुत ज्यादा रही.

इस बीच, अयोध्या को एक वैदिक शहर—जिसकी आत्मा तो परंपराओं को समाहित किए हो और सुविधाओं के मामले में आधुनिक हो—में बदलने के सरकार के प्रयास जारी हैं.

राष्ट्रीय राजमार्ग 28 के रास्ते शहर में प्रवेश करने वाले आगंतुकों का स्वागत मार्ग के किनारे-किनारे लगे ताड़ के पेड़ करते हैं जिन्हें हाल ही में सौंदर्यीकरण अभियान के तहत लगाया गया है. शहर के अंदर सड़कों का विकास किया जा रहा है और नदी के तट को भी संवारा जा रहा है.

एक नया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने जा रहा है, रेलवे स्टेशन का भी नवीनीकरण हो रहा है, एक नया बस टर्मिनस तैयार है, और पिछले डेढ़ साल में जिले भर में करीब एक दर्जन नए गेस्ट हाउस भी बन गए हैं.

अयोध्या में सरयू रिवरफ्रंट का पुनर्विकास किया जा रहा है/ मौसमी दास गुप्ता/दिप्रिंट

इस सारी प्रगति ने इस टेंपल सिटी में अचल संपत्ति की कीमतों में इतना उछाल ला दिया है जो पहले कभी नहीं हुआ था.

प्रॉपर्टी डीलरों और स्थानीय निवासियों का कहना है कि पहले राम मंदिर के आसपास के 10 किलोमीटर के दायरे में संपत्ति की कीमतें सालाना पांच से सात प्रतिशत तक बढ़ती थीं, लेकिन नवंबर 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से इसमें लगभग चार से छह गुना वृद्धि दिखी है.

अयोध्या जिले के स्टाम्प एवं पंजीकरण विभाग की तरफ से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि 2017-18 की तुलना में 2020-21 में संपत्ति की बढ़ती कीमतों के साथ भूमि लेनदेन (संपत्ति पंजीकरण) में भी 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है.

स्टाम्प एवं पंजीकरण विभाग की तरफ से साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2017-18 में जिले में कुल 5,962 भूमि लेनदेन दर्ज किए गए, जबकि 2018-19 में यह संख्या 15,084 हो गई. 2019-20 में जिले में कुल 16,285 भूमि लेनदेन हुए, जो वित्तीय वर्ष 2020-21 में बढ़कर 19,818 हो गए.

वरिष्ठ स्टांप और पंजीकरण अधिकारियों ने कहा कि विभाग ने 2018-19 में भूमि पंजीकरण से राजस्व के तौर पर 112.35 करोड़ रुपये की कमाई की, यह आंकड़ा बढ़कर 2019-20 में 125.51 करोड़ रुपये और 2020-21 में 151.68 करोड़ रुपये हो गया.


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जमीन की बढ़ती कीमतें और बाहरी निवेशक

अधिकारियों ने कहा कि रियल एस्टेट बूम उत्तर प्रदेश से बाहर के कारोबारियों को भी जमीन की तलाश में अयोध्या लाया है—जो कि यहां के लिए एक नई बात हैं क्योंकि पूर्व में इस शहर में निवेश बहुत कम होता था.

सब-रजिस्ट्रार, अयोध्या (सदर और तहसील) एस.बी. सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘यह एक हालिया ट्रेंड है. इससे पहले, अयोध्या में जमीन में निवेश के लिए बाहर से बहुत कम लोग आते थे. लेकिन पिछले एक साल में बड़ी संख्या में जमीन के लेनदेन दर्ज किए गए हैं, जिसके मालिक दिल्ली, चंडीगढ़, हरियाणा और गुजरात के हैं.’

सदर और तहसील ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि लेनदेन संबंधी पंजीकरण का जिम्मा संभालती है.

राम मंदिर निर्माण स्थल से मात्र 500 मीटर की दूरी पर स्थित राम कोट के सुताती मोहल्ला निवासी एक दर्जी अख्तर अली को अपने घर के पास 1300 वर्ग फुट से अधिक जमीन 2016 में ही बेच देने का अफसोस है. उसने दिप्रिंट को बताया, ‘मुझे पैसों की सख्त जरूरत थी और मैंने एक बिस्वा (1360 वर्ग फुट) जमीन 3 लाख रुपये में बेच दी थी. आज, उसी प्लॉट की कीमत बढ़कर 26 लाख रुपये हो गई है.’

अयोध्या के सबसे बड़े और सबसे पुराने प्रॉपर्टी डीलरों में से एक मोहम्मद इरफान सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले और उसके बाद यहां संपत्ति की कीमतों में आए अंतर को बताने के लिए ‘अभूतपूर्व’ शब्द का उपयोग करते हैं.

मोहम्मद इरफ़ान (कुर्ता में), अयोध्या के सबसे पुराने और सबसे प्रसिद्ध प्रॉपर्टी डीलर हैं/मौसमी दास गुप्ता/ दिप्रिंट

इरफान ने 2000 की शुरुआत में प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त का कारोबार शुरू किया था और तब से अयोध्या में संपत्ति की कीमतों में वृद्धि पर बारीकी से नजर रखे हैं.

इरफान ने कहा, ‘नवंबर 2019 से पहले राम मंदिर के 10 किलोमीटर के दायरे में एक भूखंड की दर 600 रुपये से 1,000 रुपये प्रति वर्ग फुट के बीच रही होगी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह बढ़कर 2,200 रुपये से 3,500 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई है. आज, मंदिर के पास के कुछ इलाकों में तो संपत्ति की दरें 5,000 रुपये से 7,000 रुपये प्रति वर्ग फुट तक पहुंच गई हैं’

इरफान के बेटे सुल्तान अंसारी ही उन दो व्यक्तियों में से एक हैं, जिन्होंने पहले 2017 में 1,208 हेक्टेयर का प्लॉट 2.5 करोड़ रुपये में खरीदा और फिर मार्च 2021 में राम जन्मभूमि ट्रस्ट को 18.5 करोड़ रुपये में बेच दिया. विपक्षी दलों ने इस लेन-देन में अनियमितता का आरोप लगाया है.

इरफान ने कहा कुछ साल पहले तक अयोध्या एक गांव की तरह थी. उन्होंने कहा, ‘लेकिन फिर यह विकसित होने लगी. जनसंख्या भी बढ़ी. राम मंदिर के फैसले ने विकास को गति दी. 2019 से पहले किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि एक दिन यहां जमीन सोने के भाव बिकेगी.’

अयोध्या के पुराने निवासी इस बात से सहमत हैं.

शहर के मुख्य मार्ग श्रीनगरहाट में 60 लोगों के बैठने की क्षमता वाला चंदा रेस्टोरेंट चलाने वाले 45 वर्षीय अचल गुप्ता तीसरी पीढ़ी के अयोध्या निवासी हैं. 2016 में उन्होंने माझा बरहटा के पास एक थ्री स्टार होटल बनाने के लिए 30 लाख रुपये में 54,000 वर्ग फुट जमीन खरीदी थी. माझा बरहटा और आसपास का क्षेत्र एक बहुप्रचारित ग्रीनफील्ड टाउनशिप में आ रहा है.

तीसरी पीढ़ी के अयोध्या निवासी अचल गुप्ता, मंदिर के शहर में होटल खोलने की योजना है/ मौसमी दास गुप्ता/ दिप्रिंट

उन्होंने बताया, ‘आज मुझे अयोध्या के बाहर के खरीदारों के फोन आ रहे हैं जो मुझे उस भूखंड के लिए 20 करोड़ रुपये से अधिक कीमत देने को तैयार है. पांच साल में यहां जमीन की कीमतें इस तरह बढ़ी हैं. मेरे प्लॉट के आसपास जमीन का लगभग हर टुकड़ा बिक चुका है.’

लेकिन गुप्ता अपना होटल बनाने पर अटल हैं और आज अयोध्या में ऐसा सपना देखने वाले अकेले नहीं हैं.

यहां के तमाम निवासियों ने बदली स्थितियों के हिसाब से त्वरित प्रतिक्रिया दी है और कई ने पहले से ही छोटे गेस्ट हाउस और लॉज बनाने शुरू कर दिए हैं.

उन्होंन कहा, ‘जिस इलाके में मैं रहता हूं वहां पिछले छह महीनों में पांच लॉज बन गए हैं. पिछले डेढ़ साल में यहां कई नए मध्यम और छोटे आकार के होटल बने हैं.’

एक अन्य प्रॉपर्टी डीलर महफूज अहमद ने बताया कि अयोध्या के अंदर अधिकांश खाली जमीन आज सरकार की तरफ से अधिग्रहीत की जा चुकी है. उन्होंने बताया, ‘शायद ही कोई खाली प्लॉट बचा हो. जिनके पास जमीन हैं वो आसमान छूती कीमतें मांग रहे हैं. ज्यादा मांग और सीमित आपूर्ति शहर में जमीन की आसमान छूती कीमतों का एक प्रमुख कारण है.’

अहमद ने बताया कि उन्हें हर महीने दिल्ली, मुंबई, पटना, आगरा, कानपुर और अन्य जगहों से जमीन खरीदने के इच्छुक व्यापारियों या निवेशकों के दर्जनों फोन आते हैं.

उन्होंने कहा, ‘निवेशकों ने 2019 के सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद ही अयोध्या की ओर रुख करना शुरू कर दिया था. मैं उनमें से बहुतों को टेंपल सिटी के आसपास जमीन दिखाने गया हूं. लेकिन ऊंची कीमतों के कारण उनमें से तमाम लोगों को पीछे हटना पड़ा.’

अहमद ने कहा कि कई निवेशक अपना पैसा लगाने से पहले ग्रीनफील्ड टाउनशिप के अस्तित्व में आने का इंतजार कर रहे हैं.


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एक वैदिक शहर का निर्माण

2019 के बाद से अयोध्या में पर्यटकों की संख्या में भी काफी उछाल देखा गया है.

अयोध्या के जिला मजिस्ट्रेट अनुज कुमार झा ने दिप्रिंट को बताया, ‘रामनवमी जैसे शुभ अवसरों पर एक दिन में टूरिस्ट फुटफॉल 1 लाख तक पहुंच जाता है. हम उम्मीद कर रहे हैं कि राम मंदिर बनने के बाद विशेष अवसरों पर एक दिन में भीड़ 15 लाख तक पहुंच जाएगी. हम यहां अपेक्षित यातायात वृद्धि के मद्देनजर बुनियादी ढांचे का विकास करने में लगे हैं.’

झा ने माना कि टेंपल सिटी में संपत्ति की दरें मुख्य रूप से शहर में हो रहे विकास कार्यों के कारण बढ़ी हैं.

उन्होंने बताया, ‘एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बन रहा है, जिसके लिए 70 फीसदी भूमि का अधिग्रहण हो चुका है. अयोध्या को रायबरेली और वाराणसी से जोड़ने वाले दो दो-लेन राजमार्गों को चार लेन वाले मार्गों में तब्दील किया जा रहा है.’ उन्होंने कहा कि यह यातायात में अपेक्षित वृद्धि को ध्यान में रखकर किया जा रहा है.

माझा बरहटा में ग्रीनफील्ड टाउनशिप 10,000 करोड़ रुपये की शुरुआती लागत के साथ 1,200 एकड़ के भूखंड पर बननी है. इसके लिए अपेक्षित भूमि के 54 फीसदी से अधिक हिस्से की व्यवस्था पहले ही की जा चुकी है. यह एक सोलर सिटी होगी और पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था के लिए यहां 80 सरकारी और अंतरराष्ट्रीय गेस्ट हाउस, 30 फाइव स्टार और थ्री स्टार होटल और 30 बजट होटल होंगे.

हालांकि, अयोध्या में सभी विकास कार्यों में एक आध्यात्मिकता नजर आती है जो पारंपरिक स्वरूप के साथ आधुनिकता का मिश्रण है.

उदाहरण के तौर पर शहर में एक फ्लाईओवर की दीवारों पर राम के जीवन के विभिन्न चरणों को दर्शाने वाले चित्र हैं.

नगर आयुक्त और अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह ने कहा, ‘अयोध्या को एक वैदिक शहर के रूप में विकसित करने का विचार है. विकास के सभी पहलुओं का मूल आध्यात्मिकता है.’

विशाल सिंह ने कहा कि उन्होंने स्कंद पुराण और वाल्मीकि रामायण सहित तमाम शास्त्र पढ़े हैं ताकि यह समझ सकें कि कि उनमें अयोध्या के बारे में क्या कहा गया है.

उन्होंने कहा, ‘विचार ये है कि पुराने शहर को फिर से खड़ा किया जाए और इसे आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा जाए. हम यरुशलम, वेटिकन, मक्का, तिरुपति और मथुरा जैसे अन्य अंतरराष्ट्रीय और घरेलू तीर्थस्थल वाले शहरों की सर्वोत्तम परंपराओं का भी अध्ययन कर रहे हैं, यह देखने के लिए कि उन्होंने किस तरह का बुनियादी ढांचा स्थापित किया है और हम उनसे क्या सीख सकते हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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