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बंगाल बिज़नेस समिट पर गवर्नर के सवाल के बाद ममता सरकार ने कहा कि 50% प्रस्ताव इम्प्लीमेंटेशन मोड में है

वित्त मंत्री अमित मित्रा का कहना है कि 2015 और 2019 के बीच बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट से 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्ताव प्राप्त हुए और 28 लाख नौकरियां पैदा हुईं है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और वित्त मंत्री अमित मित्रा की फाइल फोटो: एएनआई

कोलकाता: बंगाल के ग्लोबल बिज़नेस समिट्स (बीजीबीएस) के बारे में राज्यपाल जगदीप धनखड़ के सवालों का जवाब देते हुए, राज्य के वित्त, उद्योग और वाणिज्य मंत्री अमित मित्रा ने कहा कि 2015 के पहले शिखर सम्मेलन के बाद ममता बनर्जी सरकार को प्राप्त कुल निवेश प्रस्तावों में से लगभग आधे प्रस्ताव ‘कार्यान्वयन मोड’ में हैं.

बीजीबीएस तृणमूल कांग्रेस सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल में निवेश को आकर्षित करने के लिए एक प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम है, लेकिन यह पहली बार है जब सरकार ने शिखर सम्मेलन के परिणामों के बारे में आधिकारिक आंकड़े दिए हैं.

राज्यपाल धनखड़ ने अगस्त में दो पत्र – एक 8 अगस्त को मित्रा को और दूसरा 25 अगस्त को सीएम ममता बनर्जी को – बीजीबीएस के माध्यम से प्राप्त निवेश प्रस्तावों का विवरण उनके कार्यान्वयन और उत्पन्न रोजगार के बारे में पता करने के लिए लिखे थे.

24 सितंबर को जवाब देते हुए मित्रा ने कहा है कि 2015 और 2018 के बीच प्राप्त निवेश प्रस्तावों में से 50.27 प्रतिशत कार्यान्वयन मोड में हैं, और इसके माध्यम से 28 लाख नौकरियां सृजित हुई हैं.

मित्रा के पत्र को दिप्रिंट द्वारा एक्सेस किया गया – यह बताता है कि अब तक के पांच समिटों में, पश्चिम बंगाल सरकार को 12.32 लाख करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं.

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पत्र में लिखा है कि बीजीबीएस 2015 से 2019 तक प्राप्त इन्वेस्टमेंट प्रस्ताव में 12,32,603 ​​करोड़ रु मिले हैं. आपको यह जानकर खुशी होगी कि बीजीबीएस 2015 और बीजीबीएस 2018 के बीच, निवेश प्रस्तावों का 50.27 प्रतिशत कार्यान्वयन मोड में हैं.

मंत्री ने अपनी प्रतिक्रिया में आगे कहा कि इन वर्षों में 28 लाख से अधिक नौकरियां पैदा हुईं.

उन्होंने कहा, “बीजीबीएस 2019 के लिए, पहले से ही 71,646 करोड़ रुपये कार्यान्वयन मोड में हैं. इन निवेशों के माध्यम से उत्पन्न रोजगार और पहले के रोजगार मिलकर 28,00,000 है.

“बीजीबीएस का प्रभाव इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि राज्य की सकल घरेलू उत्पाद 2010-11 में 4.6 लाख करोड़ रुपये (कार्यालय आने से एक साल पहले) से बढ़कर 2019-20 में 12.5 लाख करोड़ रुपये हो गई है. इसी तरह, राज्य सरकार का कर संग्रह 2010-11 में 21,228 करोड़ रुपये से बढ़कर 2019-20 में बढ़कर 65,806 करोड़ रुपये हो गया है.


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राज्यपाल को अभी भी घोटाले की बू आ रही है

राज्यपाल धनखड़ ने 24 सितंबर को एक ट्वीट में वित्त मंत्री की प्रतिक्रिया को स्वीकार किया. जोर देकर कहा कि यह घोटाला था और यह ’50 दिनों के बाद वित्त मंत्री की प्रतिक्रिया से स्पष्ट’ था.

इस प्रतिक्रिया को ‘पीआर’ कहते हुए, धनखड़ ने कहा कि मित्रा और सीएम बनर्जी को लिखे गए उनके पत्रों में उठाए गए महत्वपूर्ण मुद्दे अनसुने रहे.

गवर्नर ने खर्चों, निवेशों, सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर, कार्यान्वयन और शिखर सम्मेलन से संबंधित नौकरियों के विवरण के साथ एक श्वेत पत्र प्रकाशित करने की भी मांग की है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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