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छत्तीसगढ़ में 9 दिन में 6 हाथी मरे, कोरोना के डर से केंद्रीय जांच दल अभी तक नहीं पहुंचा

छत्तीसगढ़ में पिछले 10 दिनों में छे हाथियों की मौत हुई है, सरकार का कहना है कि प्रदेश भर में हाथी दलों की ट्रैकिंग शुरू कर दी गयी है लेकिन राज्य के फॉरेस्ट और वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट्स इसे लापरवाही बता रहे हैं.

हाथियों का झुंड/स्पेशल अरेंजमेंट

रायपुर: छत्तीसगढ़ में छह हाथियों की मौत के बाद अब प्रदेश सरकार और राज्य के जंगल विभाग के खिलाफ लापरवाही और अयोग्यता के आरोप लगने लगे हैं. पिछले 9 दिनों राज्य में छह हाथियों की मौत हुई है.

प्रदेश में हाथी की छठी मौत रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ वनमंडल क्षेत्र में 17 जून को देर रात हुई. शव पास के ही गांव में 18 जून की सुबह मिला था, 16 जून को इसी वनमंडल में एक हाथी की खेत में करंट लगने से मौत हो गई थी इसके लिए खेत के मालिक ग्रामीण और एक अन्य को गिरफ्तार किया गया था. 14 जून को धमतरी जिले में दलदल में फंस जाने के कारण हाथी के एक बच्चे की मौत हुई. 9, 10 और 11 जून को सरगुजा के बलरामपुर और सूरजपुर जिलों के जंगलों में तीन मादा हाथियों के मौत के बाद प्रदेश सरकार में हड़कंप मच गया था.

सरकार का कहना है कि प्रदेश भर में हाथी दलों की ट्रैकिंग शुरू कर दी गयी है लेकिन राज्य के फॉरेस्ट और वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट्स का मानना है कि यदि समय रहते वन विभाग द्वारा उचित कार्यवाई की जाती तो 11 जून के बाद मरने वाले तीन हाथियों की जान बचाई जा सकती थी.

हालांकि हाथियों की मौत की जांच में कोरोना बहुत बड़ा कारण बना हुआ है क्योंकि क्वारेंटाइन होने के डर से केंद्र सरकार के वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो की टीम छ्त्तीसगढ़ आने से कतरा रही है.

पिछले दिनों डब्लूसीसीबी की टीम ने हाथियों की मौत के संबंध में जांच के सिलसिले में आने के लिए जब कलेक्टर ऑफिस से संपर्क किया तो कलेक्टर ने साफ कर दिया की पहले उन्हें ’14 दिन क्वारेंटाइन’ में रहना पड़ेगा.

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जब दिप्रिंट ने इस बात की तहकीकात डब्लूसीसीबी के अधिकारियों से करनी चाही तो उनका कहना था कि अभी तक इस संबंध में कुछ भी निर्णय नही लिया गया है.

ब्यूरो द्वारा वन्यजीव अपराधों की जांच में आनिवार्य रूप से भेजा जाता है लेकिन छ्त्तीसगढ़ आने में संस्थान के अधिकारी फिलहाल कतरा रहें हैं.

प्रदेश में लगातार हो रही हाथियों की मौत के सिलसिले में वन और वन्यजीव की सुरक्षा में काम कर रहे विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सरकार और वन विभाग के अधिकारी सतर्क रहते तो कम से कम 11 जून के बाद मरने वाले हाथियों की जान बचाई जा सकती थी.

वन्यप्राणी एक्टिविस्ट्स ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि राज्य में न रुकने वाला हाथियों के मरने का सिलसिला वन विभाग की अक्षमता ही नही बल्कि लापरवाही का भी एक बड़ा उदारहण है.


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लापरवाही ही लापरवाही

दिप्रिंट से बात करते हुए वन्यप्राणी विशेषज्ञ गौतम बंदोपाध्याय कहते हैं,’प्रदेश में पिछले 10 दिनों में छः हाथी मारे गए. यह साफ जाहिर है की ये हाथी क्यों मारे गए हैं.

वह आगे कहते हैं, ‘सबको दिख रहा है की प्रदेश में जारी मानव-वन्यजीव संघर्ष का ही परिणाम है फिर भी समय रहते वन विभाग के अधिकारी उचित कदम नही उठा पाए. हाथियों के मौत के मामलों में सरकार और अधिकारियों की बहुत बड़ी लापरवाही दिख रही है.’

बंदोपाध्याय कहतें हैं, ‘यह राज्य सरकार द्वारा वन्यजीवों की सुरक्षा के प्रति संवेदनहीनता और भारी रणनीतिक चूक है.’

हाथियों के मौत के मुद्दे पर उच्च न्यायालय जाने की तैयारी कर रहे पेचीडर्म के संरक्षण के लिए काम करनेवाले नेचर क्लब के अनुराग शुक्ला ने पूछा है, ‘जब अधिकारियों को पता था हाथी मारे जा रहें हैं तो समय रहते कार्यवाई क्यों नही की गयी.’

वे कहते हैं, ‘वन विभाग द्वारा 9 जून को पहले हाथी की मौत के बाद ट्रैकिंग का काम चालू कर देना चाहिए था लेकिन ऐसा क्यों नही किया गया. अधिकारियों की कोताही का ही परिणाम है कि पिछले 10 दिनों में छः हाथी मारे गए हैं. हाथियों को यदि जंगल से बाहर आने से रोक लेते तो ये नही मरते.’

कोरोना ने रोकी वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो की जांच

प्रदेश सरकार के अधिकारियों की मानें तो हाथियों की मौत के सिलसिले में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण विभाग का वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो या वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (डब्लूसीसीबी) अभी तक अपनी जांच टीम नहीं भेज पाया है. अमूमन वन्यजीव अपराध के मुद्दों पर डब्लूसीसीबी कार्यवाई करने में देरी नही लगाता.

अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर विभाग के अधिकारियों ने दिप्रिंट से साफ कहा, ‘ब्यूरो की टीम कोरोना के चलते क्वारेंटाइन होने के डर से हाथियों की जांच के लिए प्रदेश में नहीं आना चाहती.’

वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट बताया, ‘डब्लूसीसीबी के जबलपुर स्थित रीजनल कार्यालय के अधिकारियों से इस संबंध में बात हुई थी लेकिन उनको डर है कि अंतर्राज्यीय ट्रेवल होने की वजह से उन्हें 14 दिनों के लिए क्वारेंटीन कर दिया जाएगा. इसी वजह से डब्लूसीसीबी द्वारा यहां अभी तक कोई टीम नहीं भेजी गई है.’

इस अधिकारी के मुताबिक डब्लूसीसीबी का डर उस वक्त और भी बढ़ गया जब इस संबंध में प्रदेश के एक जिला कलेक्टर ने इसकी पुष्टि कर दी. जब इस कलेक्टर को विभाग द्वारा अवगत कराया गया कि डब्लूसीसीबी की टीम हाथियों के मौत के संबंध में जांच के लिए आना चाहती है तो कलेक्टर ने साफ कर दिया की पहले उन्हें 14 दिन क्वारेंटाइन में रहना पड़ेगा.

जब दिप्रिंट ने इस बात की तहकीकात डब्लूसीसीबी के अधिकारियों से करनी चाही तो उनका कहना था कि अभी तक इस संबंध में कुछ भी निर्णय नही लिया गया है.

डब्लूसीसीबी के रीजनल डिप्टी डायरेक्टर अभिजीत रॉय चौधरी ने बताया, ‘अभी राज्य सरकार के अधिकारियों से समन्वय जारी है लेकिन ब्यूरो द्वारा जांच टीम भेजने के लिए अंतिम निर्णय नही लिया गया है. फिर भी इस संबंध में ज्यादा जानकारी राज्य वन विभाग के अधिकारी दे सकेंगे. उन्होंने भी एक जांच टीम बनाई है.’


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नौ दिनों में छः हाथी मारे गए

प्रदेश में हाथी की छठी मौत रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ वनमंडल क्षेत्र में 17 जून को देर रात हुई. इस बार मरने वाला हाथी नर था जिसका शव पास के ही गांव में 18 जून की सुबह पाया गया है. लगातार मारे जा रहे हाथियों को देखते हुए विभाग ने एक डीएफओ को ट्रांसफर के साथ कारण बताओ नोटस जारी कर, दो अफसरों सहित एक फारेस्ट गार्ड को निलंबित कर दिया है. इसके साथ ही राज्य के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने इसके जांच की जिम्मेदारी एक तीन सदस्यीय एसआईटी को सौप दिया था.

एसआईटी को एक महीने का समय दिए जाने पर वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट्स ने जांच के नतीजों पर सवाल उठाए थे. अब इनका कहना है कि तीन हाथियों की लगातार मौतों के बाद अधिकारियों ने प्रशासनिक कार्यवाई तो की लेकिन हाथियों की सुरक्षा के लिए कोई जमीनी कार्यवाई नही की गई.

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