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फर्रुखाबाद में एक सिरफिरे ने 23 बच्चों को 11 घंटे तक बंधक बनाए रखा, पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी पुलिस और उनकी टीम को 10 लाख रुपये सम्मान स्वरूप देने की घोषणा की है.

सिरफिरे सुभाष कश्यप के घर के बाहर पुलिस वाले ऑपरेशन के दौरान/ फोटो-स्पेशल अरेंजमेंट

लखनऊ: यूपी के फर्रुखाबाद में एक सिरफिरे ने बीती शाम दहशत फैला दी. सुभाष बाथम नामक युवक ने जन्मदिन के बहाने घर बुलाकर 23 बच्चों को 11 घंटे तक बंधक बनाए रखा. देर रात पुलिस के साथ 8 घंटे तक चली मुठभेड़ के बाद सभी बच्चों को सुरक्षित छुड़ा लिया गया है. पुलिस ने पीछे के दरवाजे से घुसकर सुभाष को मार गिराया और सभी बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला. इस बात की पुष्टी डीजीपी ओपी सिंह ने की.

डीजीपी ने बताया कि फर्रुखाबाद के केसरिया गांव के निवासी सुभाष ने गुरुवार शाम अपनी बेटी के जन्मदिन के बहाने मोहल्ले के बच्चों को अपने घर बुलाया और बंधक बना लिया. इसके बाद छत पर चढ़कर फायरिंग की और फिर घर के अंदर से पुलिस पार्टी पर गोलीबारी करता रहा. पूरे गांव में दहशत फैल गई. आनन फानन में लखनऊ से एटीएस भेजनी पड़ी. पुलिस ने सुभाष को समझाने की काफी कोशिश की लेकिन नहीं माना. लगभग 11 घंटे चले रेस्क्यू आपरेशन में सुभाष मारा गया वहीं उसकी पत्नी को भी इस दौरान गंभीर चोटें आई थी उसकी अस्पताल में मौत हो गई है.

उत्तर प्रदेश के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी और प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम अवनीश के अवस्थी ने कहा है कि इस मुठभेड़ में अपराधी को मार गिराने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी पुलिस और उनकी टीम को 10 लाख रुपये सम्मान स्वरूप देने की घोषणा की है. वह सभी पुलिस वाले जो इस अभियान में शामिल थे उन्हें सर्टिफिकेट और एप्रेसिएशन भी दिया जाएगा.

दहशत के वो 11 घंटे

गांव वालों का कहना था कि सुभाष की पत्नी की ओर से बच्ची का जन्मदिन मनाए जाने की बात कही गई. इस कारण गांव के कई बच्चे सुभाष के घर पर इकट्ठा हो गए फिर सुभाष ने अपना दरवाजा बंद कर लिया. वह छत पर चढ़कर चीखने लगा कि अब पुलिस उसे पकड़ने आई तो नतीजा भुगतना पड़ेगा. इसके बाद मोहल्ले के लोग जमा हो गए. घर के अंदर से बच्चों के रोने की अवाजें आने लगीं.

चश्मदीद दिलीप कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘सूचना मिलने पर जब पुलिस मौके पर पहुंची तो उसने पुलिस पर भी हमला कर दिया. उसने पहले गोलियां चलाईं और फिर हैंड ग्रेनेड से हमला किया. इस दौरान दो पुलिसकर्मी घायल हो गए. फिर पूरे घर को बारूद से उड़ाने की धमकी दे दी.’

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‘पूरे गांव में दहशत का माहौल बना हुआ था, उसके घर के बाहर गांव वाले इकट्ठा हो गए थे.’

चश्मदीद दिलीप ने आगे बताया, ‘सुभाष की ओर से डीएम को एक मांग पत्र भी सौंपा गया जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय आदि की मांग थी. प्रशासन सुभाष की सभी शर्तें मांगने को तैयार था लेकिन फिर भी वह दरवाजा नहीं खोल रहा था.’

आईजी कानपुर जोन मोहित अग्रवाल ने मीडिया को बताया,  ‘पुलिस प्रशासन सुभाष से संवाद करने की कोशिश करती रही लेकिन वो नहीं माना. निराश होते ग्रामीणों ने सुभाष के घर पर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए. इस बीच घर पर हलचल बढ़ी और पीछे गेट से पुलिस ने घुसने का प्रयास शुरू किया. इस दौरान सुभाष की ओर से फायरिंग की गई. फिर जवाबी फायरिंग में सुभाष के गोली लग गई और घटनास्थल पर ही मौत हो गई.’

हाल ही में जेल से छूटकर आया था

दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक आरोपी सुभाष बाथम हाल ही में जेल से छूट कर आया था. सुभाष ने 2001 में गांव के ही एक व्यक्ति की हत्या की थी. इस मामले में उसे उम्रकैद की सजा हुई और फिलहाल वह जमानत पर बाहर आया था. मर्डर के अलावा उस पर चोरी के भी इल्जाम थे. उसकी खुन्नस अपने घर के आसपास वालों से थी क्योंकि उसे लगता था कि वे लोग ही उसके जेल जाने के जिम्मेदार हैं.

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