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अल्पसंख्यक समुदाय के 0.01 फीसदी स्ट्रीट वेंडर्स को केंद्र की लोन स्कीम से मिला लाभ, RTI से मिली जानकारी

केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के आकड़े बताते हैं कि जून 2020 और मई 2022 के बीच पीएम स्वनिधि योजना के तहत कुल 32.26 लाख लोगों को कर्ज बांटा गया है.

दिल्ली में एक स्ट्रीट वेंडर की तस्वीर | फोटो: फ़्लिकर / एडम कोह्न

नई दिल्ली: जून 2020 और मई 2022 के बीच अल्पसंख्यक समुदायों के सिर्फ 0.01 फीसदी रेहड़ी-पटरी लगाने वालों को केंद्र की पीएम स्वनिधि योजना का लाभ मिला है. सूचना का अधिकार (आरटीआई) से यह जानकारी सामने आई है.

कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव के सदस्य वेंकटेश नायक ने आरटीआई दाखिल की थी. उसके जवाब में केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा सामने आए आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान योजना के तहत कुल 32.26 लाख कर्ज बांटा गया है.

स्ट्रीट वेंडर्स को कर्ज देने के लिए केंद्र ने जून 2020 में देशव्यापी पीएम स्वनिधि योजना शुरू की थी. इसके अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में रेहड़ी-पटरी लगाने वालों को अपने व्यवसाय को फिर से शुरू करने में मदद करने के उद्देश्य से एक साल के लिए 10,000 रुपये तक के बिना किसी जमानत के बैंक से सस्ता कर्ज दिया जाता है. पहली बार में लिए गए कर्ज को समय पर चुकाने के बाद लाभार्थी अगली बार और अधिक कर्ज पाने का पात्र हो जाता है.

आरटीआई में यह भी पाया गया कि केवल 3.15 प्रतिशत लाभार्थी एसटी वर्ग से थे और सिर्फ 0.92 फीसदी विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) ने इस योजना का लाभ लिया था.


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अल्पसंख्यकों को दिया गया कर्ज

लाभार्थी अगर अल्पसंख्यक समुदाय से है तो उसे अपने लोन एप्लीकेशन फॉर्म में इसका उल्लेख करना होता है. जबकि फॉर्म में इन समुदायों के नामों का उल्लेख नहीं किया गया है. यह पांच धार्मिक समुदायों, अर्थात मुस्लिम, क्रिश्चियन, सिख, बौद्ध और पारसी समुदाय से जुड़े लोगों का अल्पसंख्यक के रूप में पहचान करता है.

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आरटीआई से यह भी पता चला कि महाराष्ट्र ने अल्पसंख्यक समुदायों के लाभार्थियों की सबसे अधिक संख्या (162) दर्ज की है. इसके बाद दिल्ली (110), तेलंगाना (22), गुजरात (12) और ओडिशा (8) आते हैं.

उत्तर प्रदेश ने सौ फीसदी की उच्चतम सफलता दर की सूचना दी, जिसका मतलब है कि सभी 12 आवेदन करने वाले पहली बार कर्ज पाने सक्षम थे. इसके बाद दिल्ली, तेलंगाना और गुजरात का नंबर आता है. भले ही महाराष्ट्र ने पहले और दूसरे दोनों लोन के लिए आवेदनों की सबसे बड़ी संख्या दर्ज की, लेकिन राज्य में सफलता दर केवल 56.45 प्रतिशत थी.

जब पीडब्ल्यूडी कैटेगरी की बात आती है, तो पहली बार लोन के लिए आवेदन करने वालों में तमिलनाडु (8,631)सबसे आगे था. उसके बाद उत्तर प्रदेश और कर्नाटक रहे.

उत्तर प्रदेश ने पीडब्ल्यूडी श्रेणी के लोगों को पहली और दूसरी बार दिए जाने वाले कर्ज के लिए सबसे अधिक संख्या (7,278) दर्ज की.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )


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