नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्थानीय सरकार से राष्ट्रीय राजधानी में 691 अधीनस्थ अदालतों में मिश्रित (हाइब्रिड) सुनवाई की सुविधा के लिए मोटे तौर पर 387 करोड़ रुपये की मंजूरी में तेजी लाने और परियोजना को प्राथमिकता के साथ लागू करने के लिए कहा है।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने जिला अदालतों में हाइब्रिड सुनवाई के लिए बुनियादी ढांचे से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए लोकनिर्माण विभाग को नेटवर्किंग, सजीव प्रसारण मंच और डाटा केंद्र के घटकों को परियोजना के प्रथम चरण के तहत प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराने के लिए प्रारंभिक आकलन प्रस्तुत करने के लिए कहा।
न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की सदस्यता वाली पीठ ने आदेश दिया कि अन्य सभी अदालतों में परियोजना को लागू करने से पहले उनके प्रदर्शन का आकलन करने के लिए प्रत्येक जिले में शुरू में दो पायलट अदालतें स्थापित की जाएंगी।
अदालत का आदेश वकील अनिल कुमार हाजेले की याचिका पर आया, जो 2021 में कोविड-19 महामारी के दौरान दायर की गई थी। याचिका में हाइब्रिड सुनवाई सहित विभिन्न प्रकार के अनुरोध किये गये थे।
अपने हालिया आदेश में पीठ ने कहा कि 3,87,03,19,388 रुपये की राशि का प्रारंभिक अनुमान शहर के अधिकारियों द्वारा आदर्श आचार संहिता से छूट पाने के लिए भारत के चुनाव आयोग को भेजा गया है।
अदालत को बताया गया कि आयोग द्वारा छूट मिलने के बाद प्रस्ताव पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी और प्रशासनिक अनुमोदन और व्यय मंजूरी प्राप्त करने के लिए सक्षम प्राधिकारी के समक्ष रखा जाएगा।
अदालत ने 29 अप्रैल को पारित एक आदेश में कहा, ‘‘दिल्ली सरकार को एनआईसी द्वारा अनुमोदित प्रारूप के अनुसार 3,87,03,19,388 रुपये की राशि के लिए 19 अप्रैल, 2024 के प्रारंभिक आकलन के अनुसार सभी 691 अदालतों के संबंध में वित्तीय मंजूरी देने में तेजी लाने और इसे लागू करने का निर्देश दिया गया है।’’
भाषा संतोष सुरेश
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