होम देश जद-एस ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंप प्रज्वल से जुड़े यौन उत्पीड़न मामले...

जद-एस ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंप प्रज्वल से जुड़े यौन उत्पीड़न मामले की सीबीआई जांच की मांग की

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

बेंगलुरु, नौ मई (भाषा) जनता दल-सेकुलर (जद-एस) ने कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत को बृहस्पतिवार को ज्ञापन देकर हासन के सांसद प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की सिफारिश करने में उनके हस्तक्षेप की मांग की।

पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली पार्टी ने दावा किया कि मामले की तफ्तीश कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) से निष्पक्ष जांच की उम्मीद करना असंभव है, क्योंकि यह कथित तौर पर राज्य सरकार से प्रभावित है।

पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में पार्टी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि प्रज्वल द्वारा कथित रूप से महिलाओं का यौन शोषण करने के करीब तीन हजार वीडियो को प्रसारित करने के ‘मास्टरमाइंड’ (मुख्य साजिशकर्ता) राज्य के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार हैं। इसमें राज्यपाल से अनुरोध किया गया है कि वह मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को शिवकुमार को कैबिनेट से हटाने की सलाह दें।

हासन लोकसभा सीट से जद-एस के 33 वर्षीय उम्मीदवार प्रज्वल रेवन्ना यौन शोषण के आरोप का सामना कर रहे हैं। वह कुमारस्वामी के भतीजे और एचडी देवेगौड़ा के पोते हैं।

इस कांड ने राज्य में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है और सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा-जद (एस) आपस में भिड़ गए हैं।

कांग्रेस सरकार ने मामलों की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया है, जबकि भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल जद-एस ने मांग की है कि मामलों को सीबीआई को सौंपा जाए और अश्लील वीडियो के व्यापक प्रसार में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

जद-एस ने पहले ही प्रज्वल को पार्टी से निलंबित कर दिया है।

ज्ञापन में दावा किया गया है, “एसआईटी द्वारा की गई जांच पक्षपातपूर्ण है और पारदर्शी नहीं है, क्योंकि जांच स्थापित प्रक्रियाओं के अनुसार नहीं हो रही है। वे कथित पीड़िताओं को उनकी गोपनीयता और लज्जा की परवाह किये बिना शिकायत दर्ज कराने के लिए धमका रहे हैं।’’

जद-एस ने आरोप लगाया कि हासन संसदीय क्षेत्र में बस स्टैंड, पार्क और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर (लगभग 3,000 अश्लील वीडियो वाले) 25,000 से अधिक पेन ड्राइव के वितरण के पीछे शिवकुमार का हाथ है।

पार्टी ने कहा कि राज्य सरकार कथित वीडियो के प्रसार को रोकने में पूरी तरह से विफल रही है, जिससे कथित पीड़ितों के परिवारों को बहुत पीड़ा और अपमान का सामना करना पड़ा।

क्षेत्रीय पार्टी ने कहा कि राज्य सरकार शिकायत दर्ज कराए जाने के बावजूद नवीन गौड़ा जैसे व्यक्तियों को गिरफ्तार करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही है जो सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से और पेन ड्राइव के वितरण के जरिये सीधे तौर पर वीडियो के प्रसार में शामिल थे।

ज्ञापन में कहा गया कि इसलिए एसआईटी से निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की उम्मीद करना असंभव है, क्योंकि टीम राज्य सरकार से प्रभावित है।

उसमें कहा गया है कि लिहाज़ा राज्यपाल से मामले की सीबीआई से व्यापक जांच की सिफारिश करने के वास्ते हस्तक्षेप की मांग की गई है।

इससे पहले, कुमारस्वामी ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए आरोप लगाया कि उनके भतीजे और हासन से सांसद प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की एसआईटी की तफ्तीश ‘पटरी से उतर’ रही है।

कुमारस्वामी ने कहा कि वह चाहते हैं कि दोषी को कानून के मुताबिक सज़ा मिले, लेकिन उन्होंने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच की प्रगति पर सवाल उठाए।

अपहरण के आरोपों का सामना कर रहे प्रज्वल के पिता एवं विधायक एचडी रेवन्ना के खिलाफ जांच को लेकर भी सवाल उठाते हुए कुमारस्वामी ने पूछा कि कथित रूप से अगवा की गई महिला को मुक्त कराए जाने के बाद अबतक अदालत में पेश क्यों नहीं किया गया है।

कुमारस्वामी ने कहा, “अपहृत महिला को यहां लाए कितने दिन हो गए? क्या उसका बयान सीआरपीसी की धारा 164 (मजिस्ट्रेट द्वारा बयान दर्ज करना) के तहत दर्ज किया गया है? क्या उसे न्यायाधीश के सामने पेश किया गया है? पांच दिन हो गए, महिला को न्यायाधीश के सामने पेश क्यों नहीं किया गया? वह कहां से लाई गई थी? क्या उसे किसी फार्महाउस से लाया गया था जैसा कि मीडिया में दावा किया गया और खबरें आईं?’

रेवन्ना को बुधवार को यहां एक मजिस्ट्रेट अदालत ने 14 मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

भाषा नोमान सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

Exit mobile version