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केरल के मंदिर बोर्ड ने प्रसाद में अरली के फूलों का उपयोग बंद करने का फैसला किया

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

तिरुवनंतपुरम, नौ मई (भाषा) केरल के ज्यादातर मंदिरों का प्रबंधन करने वाले दो प्रमुख देवास्वोम बोर्ड ने मंदिरों को प्रसाद के लिए अरली के फूलों (ओलियंडर) का उपयोग बंद करने का बृहस्पतिवार को निर्देश दिया।

त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (टीडीबी) और मालाबार देवास्वोम बोर्ड ने इन फूलों की जहरीली प्रकृति के बारे में चिंताओं के मद्देनजर यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया। बोर्ड ने कहा कि इन फूलों से मनुष्यों और जानवरों को नुकसान पहुंच सकता है।

टीडीबी के अध्यक्ष पी एस प्रशांत ने बृहस्पतिवार को यहां बोर्ड की बैठक के बाद अपने अधिकार क्षेत्र के तहत मंदिरों के संबंध में इस निर्णय की घोषणा की।

प्रशांत ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘टीडीबी के तहत मंदिरों में नैवेद्य (ईश्वर को चढ़ाये जाने वाले पदार्थ) और प्रसाद में अरली के फूलों के उपयोग से पूरी तरह से बचने का निर्णय लिया गया है। इसके बजाय, तुलसी (की मंजरी), थेची (इक्सोरा), चमेली और गुलाब जैसे अन्य फूलों का उपयोग किया जाएगा।

मालाबार देवास्वोम बोर्ड के अध्यक्ष एम आर मुरली ने कहा कि उसके अधिकार क्षेत्र के तहत 1,400 से अधिक मंदिरों में अनुष्ठानों के लिए अरली के फूलों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

मुरली ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मंदिरों में हालांकि अनुष्ठानों में अरली के फूल का व्यापक रूप से उपयोग नहीं किया जाता है, लेकिन भक्तों की सुरक्षा को देखते हुए इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अध्ययन में पाया गया है कि इस फूल में जहरीले पदार्थ होते हैं।’’

उन्होंने कहा कि इस संबंध में शुक्रवार को आदेश जारी किया जायेगा।

सूत्रों ने कहा कि यह फैसला अलप्पुझा और पथानामथिट्टा में सामने आई कई घटनाओं के बाद लिया गया है।

अलाप्पुझा में एक महिला की हाल में कथित तौर पर अरली के फूल और पत्तियां खाने के बाद मृत्यु हो गई थी। दो दिन पहले पथानामथिट्टा में ओलियंडर की पत्तियां खाने से एक गाय और बछड़े की मौत होने की भी खबरें आई थीं।

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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