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कविता की जमानत याचिका पर अदालत ने ईडी से अपना रुख बताने को कहा

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

नयी दिल्ली, 10 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धन शोधन के एक मामले में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता की जमानत याचिका पर शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से अपना रुख बताने को कहा।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने जांच एजेंसी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया और मामले में आगे की सुनवाई के लिए 24 मई की तारीख तय की।

नेता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने अदालत से मामले की सुनवाई अगले सप्ताह ही करने का आग्रह किया और कहा कि इससे पहले अधीनस्थ अदालत में दायर कविता की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय का जवाब पहले ही दर्ज किया जा चुका है।

दिल्ली की अधीनस्थ अदालत ने धन शोधन मामले में कविता की जमानत याचिका छह मई को खारिज कर दी थी। कविता ने अदालत के इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।

न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, ‘‘उन्हें जवाब दाखिल करना होगा। मैं नोटिस जारी करूंगा।’’

ईडी ने कविता (46) को हैदराबाद के बंजारा हिल्स स्थित उनके आवास से 15 मार्च को गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने उन्हें न्यायिक हिरासत से अपनी गिरफ्त में लिया था।

अधीनस्थ अदालत ने छह मई को ‘‘घोटाले’’ के संबंध में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में भी उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

यह कथित घोटाला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति तैयार करने और उसे क्रियान्वित करने में कथित भ्रष्टाचार और धनशोधन से संबंधित है। इस नीति को बाद में रद्द कर दिया गया था।

अधीनस्थ अदालत ने कविता को राहत देने से इनकार करते हुए कहा था कि दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में अनुकूल प्रावधान प्राप्त करने के लिए सह-आरोपियों के माध्यम से ‘आप’ (आम आदमी पार्टी) को अग्रिम धन का भुगतान करने के उद्देश्य से रची गई आपराधिक साजिश की मुख्य साजिशकर्ता के रूप में कविता की भूमिका प्रथम दृष्ट्या नजर आती है।

बीआरएस नेता ने उच्च न्यायालय में दायर अपनी जमानत याचिका में कहा है कि उनका आबकारी नीति से ‘‘कोई लेना-देना’’ नहीं है और उनके खिलाफ ‘‘केंद्र में सत्तारूढ़ दल ने प्रवर्तन निदेशालय की सक्रिय मिलीभगत से’’ आपराधिक साजिश रची है।

उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता और उन्हें उन गवाहों के बयानों के आधार पर फंसाया जा रहा है जिनकी विश्वसनीयता गंभीर संदेह के घेरे में है।

भाषा सिम्मी नरेश

नरेश

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