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‘एनकाउंटर प्रदेश’: सरेंडर करने गया और मारा गया

हनीफा बेगम, असलम की मां

दस महीने में 39 गैंगस्टरों का सफाया करके अपराध पर लगाम लगाने के जो दावे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कर रही है उसकी हकीकत का खुलासा कर रही है ‘दिप्रिंट’ की यह खोजी रिपोर्ट. प्रस्तुत है इसकी दूसरी किस्त:

शामली: दस महीने में 39 गैंगस्टरों का सफाया कर देने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस अपनी पीठ थपथपाते थक नहीं रही है. लेकिन जैसा कि इस धारावाहिक खोजी रिपोर्ट की पहली किस्त में हमने देखा, इन एनकाउंटरों के दावों में कई घपले भी हैं और उनको लेकर कई सवाल भी उभर रहे हैं. मारे गए अपराधियों के शरीर पर ऐसी चोटें पाई गई हैं जिनकी कोई वजह स्पष्ट नहीं है. उनके परिवारवाले दावे कर रहे हैं कि उन अपराधियों को पुलिस ने उठा लिया, हिरासत में उन्हें भयानक यातनाएं दी और फिर गोली मार दी.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले में हुए छह में से चार एनकाउंटर इसके सबसे स्पष्ट उदाहरण हैं. शामली जिला 2011 में मुजफ्फरनगर जिले को काट कर बनाया गया था. यहां मुस्लिम आबादी 30 प्रतिशत से भी ज्यादा है. डकैती, लूटपाट, फिरौती की वसूली जैसे अपराध इस जिले में धड़ल्ले से चलते हैं और यहां के व्यापारी इससे परेशान हैं. उनमें से कई ने तो अपना कारोबार शामली से हटा लिया है और बाहर चले गए हैं. जुलाई 2017 के बाद से इस जिले में हर महीने औसतन एक एनकाउंटर हो रहा है और ऐसा लगता है कि पुलिस इस औसत को बढ़ाने को तत्पर है.

‘दिप्रिंट’ जिस दिन कैराना पुलिस थाने पहुंचा, उस दिन पुलिसवाले एक कथित गैंगस्टर की फाइल तैयार कर रहे थे. उनमें से एक अफसर दूसरे से कह रहा था कि ‘‘अगली बारी उसी की है’’ और दूसरा जवाब दे रहा था कि ‘‘अच्छा रहेगा. उसने हमें बहुत परेशान कर रखा है.’’

इन एनकाउंटरों के बारे में पूछे जाने पर पुलिसवाले यही कहते हैं कि लोग उनकी कार्रवाई से खुश हैं. इसलिए उन पर सवाल उठाने की जगह उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए. लेकिन जिले के छह एनकाउंटरों की पड़ताल करने पर ‘दिप्रिंट’ के रिपोर्टरों ने पाया कि इन चार मामलों में भी कई घपले थे और उनके कारण कई सवाल उभर रहे थे. छह में से तीन मामले में मारे गए कथित अपराधियों के संबंध समाजवादी पार्टी से थे. कुछ स्थानीय लोगों ने यह भी सवाल उठाया कि इन हत्याओं के पीछे कोई राजनीति तो नहीं है? या क्या पुलिस को हत्या करने का लाइसेंस दे दिया गया है, जिसका लाभ उठाकर वह घोषित इनाम हड़प रही है?

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एनकाउंटर की रिपोर्ट दो दिन पहले ही तैयार की गई

नाम: नौशाद (23 वर्ष) और सरवर (27)
मारे जाने का समय और स्थान: सुबह 4 बजे; शामली
तारीख: 29 जुलाई २०१७

नौशाद के खिलाफ दर्ज मामले: 19. आर्म्स एक्ट का उल्लंघन, लूटपाट, फिरौती वसूली, चोरी, कत्ल का कोई मामला नहीं.
सरवर के खिलाफ दर्ज मामले: 8. चोरी के तीन मामले, आर्म्स एक्ट का उल्लंघन, दंगा.
चोट: गरदन पर घाव; छाती, पैरों और पीठ पर गोली के निशान.

नौशाद और सरवर, दो दोस्त साथ-साथ बड़े हुए और इलाके में चोरियां और छीनाझपटी करने लगे. उसी दिन उन्हें गोली मार दी गई. उनके ऊपर 15,000 रु. का इनाम घोषित था. प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज एफआइआर के मुताबिक ये दोनों ‘खतरनाक’ अपराध को अंजाम देने वाले थे जब पुलिस को इसकी खुफिया जानकारी मिली. उसने उन्हें पकड़ने के लिए जाल बिछाया. केस फाइल के मुताबिक, मुखबिरों ने पुलिस को बताया था कि ये दोनों भूरा गांव की कब्रगाह पर पहुंचने वाले थे. वहां वे पिस्तौल से लैस होकर पहुंचे थे. पुलिस ने मुखबिर से उन दोनों की शिनाख्त करने को कहा क्योंकि वह उन पर कार्रवाई करने के पहले एकदम पक्का हो जाना चाहती थी. मुखबिर ने हरी झंडी दे दी तो पुलिस ने उन दोनों को घेर लिया.

वारदात की रपट बताती है कि पुलिस को देखते ही नौशाद और सरवर ने गोली चला दी. वे चीखे, ‘‘पुलिसवाले हैं… जान से मारो.’’ पुलिस का दावा है कि उसने उन्हें सरेंडर करने के लिए कहा लेकिन वे गोलियां चलाते रहे. तब पुलिस ने भी गोली चलाई और अपराधी मारे गए. पुलिस ने उनके पास से .32 बोर और .315 बोर की पिस्तौलें और जिंदा करतूसें बरामद की.

पुलिस के दावे के विपरीत, जिला प्रशासन में एक सूत्र ने ‘दिप्रिंट’ को बताया कि इस एनकाउंटर की बाकायदा योजना बनाई गई थी और इसकी रपट का शुरुआती ढांचा तीन दिन पहले ही तैयार कर लिया गया था. उस दिन पुलिस ने वैसा ही जाल बिछाया था मगर खुफिया जानकारी सही नहीं थी और मुखबिरों के कहे मुताबिक वे दोनों अपराधी उस स्थान पर नहीं आए.

नौशाद के पिता जमील

‘दिप्रिंट’ की रिपोर्टर जब नौशाद और सरवर के परिवारवालों से मिलने गई तो एक स्थानीय पुलिसवाला उसके साथ लग गया और वह लगातार सुनता रहा कि उनके परिवार के लोग क्या कह रहे हैं. अपने कच्चे कमरे में, जहां बिजली का कनेक्शन नहीं था, नौशाद के पिता जमील ने बताया कि उनके बेटे को कैसे फंसा कर मारा गया. लेकिन पुलिसवाले ने उन्हें टोका, ‘‘बताइए कि आपको एनकाउंटर पर कोई शक नहीं है. बताइए कि वह आवारा था, कितने केस थे उस पर.’’ जमील चुप हो गए.

पुलिसवाले के सामने नौशाद और सरवर के रिश्तेदारों ने प्रायः यही कहा कि उन पर कई मामले थे और वे प्रायः घर से बाहर ही रहते थे. सरवर की आन्टी नूरजहां ने कहा, ‘‘मैंने उन्हें बचपन से देखा है. मैं उन्हें कहा करती थी कि यह सब छोड़ कर खेती में लग जाओ लेकिन वे सुनते ही नहीं थे.’’

कोई भी परिवार न तो अदालत में जाना चाहता है और न एनकाउंटर की जांच करवाना चाहता है. उन्हें न तो एफआइआर की कॉपी दी गई है, न ही पोस्ट मॉर्टम की.

सोने का हार, सोनाटा घड़ी, 8700 रु. छीनने पर मारा गया?

नाम: इकराम (28)
हत्या का स्थान और समय: रात 11.40 बजे. कांधला.
तारीख: 10 अगस्त 2017
मामले दर्ज: 11. हत्या, चोरी, डकैती, अनधिकार प्रवेश, आर्म्स एक्ट का उल्लंघन. 5000 रु. का इनाम घोषित.
चोट: छाती और घुटनों की हड्डी में टूट, खोपड़ी में चोट.

पुलिस को वायरलेस से सूचना मिली कि शामली-कांधला रोड पर बलवा गेट के पास सोने का हार, कलाई घड़ी और एक मोटरबाइक छीन कर दो अपराधी कैराना की तरफ भागे हैं, तुरंत एक चेकपोस्ट खड़ा किया जाए. कुछ मिनटों में ही चेकपोस्ट लगाकर पुलिसवालों को तैनात कर दिया गया. रात करीब 11.40 बजे दो लोग दिखे, जिन्हें रुकने के लिए कहा गया. एफआइआर में कहा गया है, ‘‘हमने उनकी तरफ टॉर्च की रोशनी फेंकी. वे रुके नहीं बल्कि बाइक पर पीछे बैठे शख्स ने गोली चला दी.’’ , पुलिस ने 500 मीटर तक उनका पीछा किया, वे लोग एक खेत तक पहुंच गए. दोनों अपराधियों की बाइक फिसल गई, वे गिर गए और पैदल भागने लगे. पुलिस ने उन्हें सरेंडर करने को कहा लेकिन वे गोली चलाते रहे. जवाब में पुलिस ने गोली चलाई और इकराम घायल हो गया. दूसरे मामलों की तरह इस बार भी मारे गए अपराधी का साथी फरार हो गया.

तलाशी में पुलिस को .32 बोर की पिस्तौल, सोने का हार, एक घड़ी, एक जेब से 8700 रु. और दूसरी जेब से 440 रु. नकद बरामद हुए. यह पुलिस का दावा है. लेकिन इकराम की बीवी हनीफा पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाती हैं क्योंकि इकराम तो बाइक चलाना जानता भी नहीं था और वारदात के दिन शामली में था भी नहीं. हनीफा कहती हैं, ‘‘9 अगस्त की दोपहर वे बागपत में थे. वहां वे अपने दोस्त को देखने गए थे, जो अस्पताल में भर्ती था. 10 अगस्त को हमें खबर मिली कि उन्हें गोली मार दी गई है. दरअसल, उनके फोन को 9 अगस्त को ही बंद कर दिया गया था.’’ उनका सवाल था, ‘‘क्या उन्होंने उन्हें एक हार या एक घड़ी चुराने के लिए मार डाला? वे उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं कर पाए, या पैरों में गोली क्यों नहीं मारी? छाती में गोली मारने की क्या जरूरत थी?’’

इकराम की पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट बताती है कि उसकी पसलियां टूटी थीं और पीठ पर चोट लगी थी. हनीफा का कहना है, ‘‘उन्हें 9 अगस्त की दोपहर को ही गिरफ्तार करके हिरासत में पीटा गया था. बाइक से गिरने पर छाती की हड्डी नहीं टूटती. उनकी पूरी पीठ नीली हो गई थी. उनके मारे जाने की हमें खबर देने की जरूरत किसी पुलिसवाले को महसूस नहीं हुई. हमें इंटरनेट पर संदेश मिला. इसके बाद हम उन्हें 10 घंटे तक अस्पताल में खोजते रहे और अंत में मेरठ के एक अस्पताल में उन्हें पाया.’’

सरेंडर करने गया, उसकी मौत की खबर मिली

नाम: असलम (26)
मारे जाने का समय और स्थान: रात 8 बजे, दादरी
तारीख: 9 दिसंबर 2017
मामले दर्ज: चोरी, डकैती, आर्म्स एक्ट का उल्लंघन.

चोट: कई हड्डियां टूटी- कलाइयों और घुटनों की हड्डी टूटी. खोपड़ी में गोली मारी गई.

उसकी बीवी इसराना (24) नौ महीने से गर्भवती हैं. करीब दो महीने पहले उन्होंने पति असलम को अपने होने वाले बच्चे की कसम दिलवाई थी कि वह पुलिस के आगे आत्मसमर्पण कर देगा. उन्हें डर था कि किसी दिन उसे मार दिया जा सकता है और दो, तीन, चार वर्ष के उसके बच्चे अनाथ हो जाएंगे. असलम सरेंडर करने को राजी हो गया था. शुक्रवार 8 दिसंबर को वह हरियाणा के जगाधरी में अपने घर से वकील के दफ्तर जाने वाला था कि उससे मिलने के लिए दो लोग आए. वह 24 दिन पहले बीवी-बच्चों के साथ जगाधरीं आ गया था. उन लोगों ने असलम से किसी जरूरी काम के वास्ते साथ चलने को कहा. बाहर जाने से पहले असलम ने अपनी बीवी से कहा कि अगर दो दिन तक वह घर न लौटे तो मान लेना कि उसने सरेंडर कर दिया है. तब वह बच्चों के साथ शामली लौट जाए, जहां उसके माता-पिता रहते हैं. इसराना ने उसके बाद असलम को फिर नहीं देखा. एक दिन बाद उसे दादरी में उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ एनकाउंटर में मार दिया गया.

इसराना ने बताया, ‘‘जब वे दो दिन तक नहीं लौटे और उनका फोन भी बंद मिला, तो मैंने मान लिया कि वे जेल में ही होंगे. एक सप्ताह बाद जब मैं शामली लौटी तभी मुझे बताया गया कि उन्हें पुलिस ने गोली मार दी है. मैं तो उनके जनाजे में भी नहीं शामिल हो सकी.’’

असलम के खिलाफ डकैती, चोरी और आर्म्स एक्ट के उल्लंघन के 12 से ज्यादा मामले दर्ज थे और उसके ऊपर 50,000 रु. का इनाम भी, बताया जाता है कि, उसे मारे जाने के कुछ हफ्ते पहले ही घोषित किया गया था. उसका एनकाउटर जिन परिस्थितियों में किया गया वे ऐसे बाकी 38 मामलों से काफी मिलती-जुलती थीं. पुलिस का दावा है कि वह रुपवास चौराहे के पास सुरक्षा जांच कर रही थी कि उसने टीवीएस अपाची बाइक पर असलम को आते देखा. उसकी पिछली सीट पर उसका साथी बैठा था. पुलिस ने उसे रुकने का संकेत किया तो उन लोगों ने पुलिस पार्टी पर गोली चला दी. जवाब में पुलिस ने गोली चलाई, जो असलम को लगी. वह गिर पड़ा और उसका साथी अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गया. असलम को अस्पताल लाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. घटना में दो पुलिसवाले भी मामूली रूप से घायल हुए.

पुलिस का तो दावा है कि असलम जवाबी गोलीबारी में मारा गया, लेकिन उसकी पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट बताती है कि उसकी पिटाई की गई थी और यातनाएं दी गई थीं. उसकी खोपड़ी में घातक गोली लगने का 1.5 गुना 1.5 सेमी का निशान था और दोनों कलाइयों तथा घुटनों की हड्डियां टूटी हुई थीं. उसकी पीठ पर कई घाव थे.

इसराना का आरोप है, ‘‘अब मुझे पता चला है कि जो लोग असलम को लेने आए थे, वे मुखबिर थे. वे उन्हें बहलाकर ले गए. वह शुक्रवार का दिन था और असलम नमाज के लिए मस्जिद गए थे. उन लोगों ने पुलिस को खबर कर दी और पुलिस ने उन्हें वहीं से उठा लिया. उन्हें हिरासत में रखकर खूब पिटाई की और फिर नोएडा में मार डाला.’’

मौसम अली सवाल करते हैं, ‘‘तीन महीने पहले असलम ने 25 हजार रुपये का इंतजाम किया था और वकील से बात की थी. वह सरेंडर करना चाहता था लेकिन वकील ने उसे इंतजार करने के लिए कहा. जब कोई आदमी सरेंडर करने वाला था तो उसे मार क्यों डाला?’’ स्थानीय लोगों का का भी आरोप है कि यह हत्या राजनीतिक बदले के लिए की गई. शामली के एक निवासी ने, जो पुलिस के डर से अपना नाम जाहिर नहीं करना चाहते, कहा कि ‘‘वह समाजवादी पार्टी के एक स्थानीय नेता से जुड़ा हुआ था. जाहिर है कि उसे निशाना बनाकर मार डाला गया.’’

सब्बीर के पिता हाशीम

एनकाउंटर के बाद घर पर हमला, पत्नी की हिरासत

नाम: सब्बीर (32)
मारे जाने का समय और स्थान: रात 11 बजे, झिंझाना, शामली
तरीख: 2 जनवरी 2018
मामल्¨ दर्ज: 17. हत्या, डकैती, आर्म्स एक्ट उल्लंघन, दंगा, लूटपाट, आपराधिक धमकी, हमले आदि के.
चोटें: गोली लगने के 16 घाव, घुटने में चोट.

रात करीब 10.40 पर गश्त लगा रहे पुलिसवालों को खुफिया खबर दी गई कि सब्बीर 2 जनवरी को अपनी पत्नी से मिलने जाएगा. यह खबर मिलते ही एक पुलिस टीम ने उसके घर को घेर लिया, जबकि अंदर कमरे में सब्बीर की पत्नी अपने एक साल के बेटे को गोद में उठाए उससे कह रही थी कि वह सरेंडर कर दे. एफआइआर कहती है कि सब्बीर ने जैसे ही पुलिस की घोषणा सुनी, वह कमरे से निकलकर छज्जे पर आया और अंधाधुंध गोलियां चलाने लगा. इस पर पुलिस ने जवाबी गोलीबारी की और उसका पीछा करके उसे मार गिराया. एक गोली एक पुलिसवाले को लगी और वह वहीं मारा गया, दूसरा पुलिसवाला घायल हो गया.

गोलियों की आवाज सुनकर सब्बीर की मां बाहर आई तो बेटे को मृत पाया. उसने बताया, ‘‘मैंने पुलिसवालों को केवल यह कहते सुना कि ‘गोली मार साले को, खतम कर’. दूसरा कह रहा था कि ‘भून दे गोलियों से, बच न पाए’. मैं मदद के लिए चीखी लेकिन मुझे एक पुलिसवाले की यह आवाज सुनाई पड़ी, ‘15 गोली मारी, खतम काम उसका’. मुझे लग गया था कि आज की रात वह बच नहीं पाएगा.’’

सब्बीर ने दो साल पहले तब सरेंडर किया था जब उस पर हत्या का एक मामला दायर किया गया था. तब वह जेल से नौ महीने बाद ही भाग गया था और तब से भगोड़ा बना घूम रहा था. एनकाउंटर के अगले दिन कुछ पुलिसवाले उसके घर गए और वहां तोड़फोड़ की. उन्होंने कथित तौर पर उसकी बीवी जुल्फाना को हिरासत में ले लिया, जबकि उनके साथ कोई महिला पुलिस नहीं थी.

सब्बीर के पिता आसिम कहते हैं, ‘‘वे जिद कर रहे थे कि हमने अस्लहा छिपाकर रखा है. एक टीम ने हमारी फर्नीचर, खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए, घर की औरतों से बदतमीजी की. हमने उनसे कहा कि हमारे पास कुछ भी नहीं है, वे तलाशी ले लें मगर वे कुछ सुनने को राजी नहीं थे.’’

हिरासत में जुल्फाना के साथ दुर्व्यवहार किया गया, उनसे सब्बीर के साथियों के बारे जानकारियां देने को कहा गया. वे बताती हैं, ‘‘मैंने उनसे पूछा कि वे मुझे क्यों ले जा रहे हैं मगर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. पुलिस ने थाने में मुझे नौ दिनों तक रखा. जब मैं उनसे कहती कि मुझे सब्बीर के कामकाज या साथियों के बारे में ज्यादा कुछ भी मालूम नहीं है तो वे मुझे थप्पड़ मारते थे, धक्के देते थे. उन्होंने मुझे अपने पति की मौत का गम भी नहीं मनाने दिया.’’

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