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इनस्पेस ने अंतरिक्ष नीति को लागू करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

नयी दिल्ली, तीन मई (भाषा) अंतरिक्ष नियामक ‘इनस्पेस’ ने शुक्रवार को भारतीय अंतरिक्ष नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए मानदंडों, दिशानिर्देशों और प्रक्रियाओं का अनावरण किया, जिसने इस क्षेत्र को निजी कंपनियों के वास्ते उपग्रहों के निर्माण और प्रक्षेपण से लेकर जमीनी स्टेशन स्थापित करने तथा दूर संवेदी विवरण साझा करने सहित कई गतिविधियों में शामिल होने के लिए खोल दिया है।

संबंधित 147 पृष्ठ का दस्तावेज उन अंतरिक्ष गतिविधियों को सूचीबद्ध करता है जिन्हें भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इनस्पेस) से मंजूरी की आवश्यकता होती है।

मानदंड, दिशानिर्देश और प्रक्रियाएं (एनजीपी) भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में एक पूर्वानुमानित नियामक व्यवस्था, पारदर्शिता और व्यापार करने में सुगमता प्रदान करने में सरकार के प्रयास का पूरक होंगी।

एनजीपी दस्तावेज के अनुसार, भारतीय या विदेशी कोई भी कंपनी अगर भारतीय क्षेत्र, इसके विशेष आर्थिक क्षेत्र या इसके अधिकार क्षेत्र से अंतरिक्ष गतिविधियाँ चलाएगी तो उसे इनस्पेस से मंजूरी की आवश्यकता होगी।

मंजूरी गतिविधियों की विस्तृत श्रृंखला के लिए आवश्यक है जिसमें भारतीय क्षेत्र में प्रक्षेपण, संचालन, मार्गदर्शन, अंतरिक्ष वस्तुओं के पुन: प्रवेश की योजना बनाना, संचार और दूर संवेदी उपग्रहों की स्थापना, अंतरिक्ष परिवहन प्रणालियों का संचालन और उच्च गुणवत्ता वाले दूर संवेदी डेटा का प्रसार करना शामिल है।

एनजीपी दस्तावेज में कहा गया है, ‘केवल भारतीय कंपनी ही मंजूरी के लिए इनस्पेस पर आवेदन कर सकती है। भारत में अंतरिक्ष गतिविधि संचालित करने की इच्छुक गैर-भारतीय कंपनियां किसी भारतीय इकाई के माध्यम से अनुमति के लिए इनस्पेस पर आवेदन कर सकती हैं, जो इसकी भारतीय सहायक कंपनी, संयुक्त उद्यम या भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कोई अन्य सहयोग व्यवस्था हो सकती है।’

यह भारत की राष्ट्रीय रजिस्ट्री में अंतरिक्ष वस्तुओं को पंजीकृत करने की प्रक्रिया की रूपरेखा भी प्रस्तुत करता है और संचालकों के लिए अंतरिक्ष मलबा शमन दिशानिर्देशों तथा परिचालन सुरक्षा प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए अपनी अंतरिक्ष वस्तुओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करना अनिवार्य बनाता है।

सरकार ने पिछले साल अंतरिक्ष नीति जारी की थी जिसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अंतरिक्ष विभाग जैसे कई सरकारी निकायों की भूमिका को रेखांकित किया गया है। इसके अलावा यह भी बताया गया है कि गैर-सरकारी संस्थाएं भारत के अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र में क्या भूमिका निभाएंगी।

भाषा

नेत्रपाल माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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