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अस्पताल में भर्ती होने के आधार पर सरकार का अनुमान, भारत 10-20 लाख ओमीक्रॉन के मामले रोजाना झेल सकता है

ओमिक्रॉन वैरिएंट के प्रभावी होने के बाद दुनियाभर के देशों के अनुभव के आधार पर सरकार का मानना है कि बहुत संभव है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले कोविड मरीजों की संख्या पहले के मुकाबले 5-10% तक कम हो सकती है.

कोलकाता के एक अस्पताल में एडमिट किए गए कोविड मरीज की सहायता करते हुए डॉक्टर्स । प्रतीकात्मक तस्वीर । एएनआई

नई दिल्ली: देश में कोरोनावायरस का ओमिक्रॉन वैरिएंट जिस तरह अन्य वैरिएंट को पीछे छोड़कर तेजी से फैलता जा रहा है, शीर्ष सरकारी सूत्रों का कहना है कि इन मामलों में मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने का ट्रेंड देखते हुए भारत दैनिक आधार पर 10 लाख से 20 लाख मामलों को संभालने में सक्षम है.

देश में 24 घंटे पहले गुरुवार को 2,47,417 नए मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें टेस्ट पॉजिटिविटी रेट 13.11 प्रतिशत था.

महामारी प्रबंधन में बेहद करीब से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि ओमिक्रॉन वैरिएंट के संदर्भ में तमाम देशों के अनुभव को देखते हुए संभव है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले कोविड मरीजों की संख्या 5-10 प्रतिशत के अनुमान से भी कम हो, जिसकी जानकारी भारत सरकार ने इस सप्ताह के शुरू में राज्यों के भेजे एक पत्र में भी दी थी.

अधिकारी ने कहा, ‘ब्रिटेन में जब पहली बार ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता चला तब अस्पताल में भर्ती होने की दर 6 प्रतिशत थी. लेकिन जैसे-जैसे महामारी बढ़ी और इस अधिक संक्रामक वैरिएंट ने दूसरे वैरिएंट को पीछे छोड़ दिया, यह दर घटकर एक प्रतिशत रह गई. भारत में, हमने दूसरी लहर—जिसमें प्रमुख तौर पर डेल्टा वैरिएंट हावी रहा—के अनुभवों के आधार पर आगे महामारी से निपटने की तैयारियां की हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘अगर हमें फिर से डेल्टा-आधारित लहर दिखाई दे, तो मैं कहूंगा कि हम लगभग पांच लाख मामलों को संभाल सकते हैं. यदि अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या उसकी तुलना में एक चौथाई तक कम है, तो हम उस संख्या का चार गुना संभाल सकते हैं. उस स्थिति में कह सकते हैं कि हम अनुमानित तौर पर 20 लाख तक मामले संभाल सकते हैं.’

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नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वी.के. पॉल ने भी 5 जनवरी को साप्ताहिक कोविड ब्रीफिंग के दौरान ओमिक्रॉन के संदर्भ में तैयारियों के बारे में किसी सीधी टिप्पणी से इनकार करते हुए कुछ इसी तरह की राय जाहिर की.

डॉ. पाल का कहना था, ‘यह सच है कि हमने पहले कहा था कि दैनिक आधार पर 4.5 से 5 लाख मामले बढ़ने के दौरान स्थिति संभाल सकते हैं. लेकिन वह डेल्टा वैरिएंट के संदर्भ में अस्पताल में भर्ती होने वाले नंबरों पर आधारित था. तैयारी की स्थिति के बारे में कोई बयान देने से पूर्व हमें ओमिक्रॉन से जुड़े आंकड़ों को समझने के लिए कुछ और समय चाहिए.’

10 जनवरी को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे अपने पत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने लिखा है कि देश में दूसरी लहर के दौरान 20 से 23 प्रतिशत कोविड मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ती थी. उन्होंने कहा कि इस समय मामलों में आए उछाल के दौरान, ‘5 से 10 प्रतिशत मरीजों को ही अब तक अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी है. चूंकि स्थिति लगातार बदल रही है ऐसे में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरतों में भी तेजी से बदलाव हो सकता है.’

उन्होंने राज्यों से सक्रिय कोविड केस की संख्या और अस्पताल में भर्ती होने वालों के आंकड़े और ऑक्सीजन की जरूरत आदि के आधार पर हर दिन स्थिति का आकलन करने का भी आग्रह किया.

देश में इस समय 18,03,266 आइसोलेशन बेड और 1,24,598 आईसीयू बेड हैं.


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कई राज्यों में तेजी से बढ़ रहे मामले

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के विश्लेषण से पता चलता है कि 12 जनवरी तक कई राज्यों में पिछले हफ्ते की तुलना में सक्रिय केस की संख्या कई गुना तक बढ़ गई. सबसे ज्यादा वृद्धि—लगभग 14 गुना (सक्रिय केस 3,173 से बढ़कर 44,466 हो गए)—उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई, जहां आने वाले कुछ हफ्तों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं.

एक अन्य चुनावी राज्य पंजाब में सक्रिय मामलों में तेजी का फैक्टर 8.65 रहा. मध्य प्रदेश और बिहार उन राज्यों में शामिल हैं, जहां पिछले हफ्ते की तुलना में क्रमश: 10.95 और 11.27 की उच्च दर से सक्रिय केस बढ़े.

हालांकि, भारत पिछली बार की तुलना में महामारी से बेहतर ढंग से निपटने की स्थिति में है, क्योंकि एक तो देश के शहरों में प्रमुख वैरिएंट बना ओमिक्रॉन अपेक्षाकृत कम घातक माना जा रहा है और साथ ही आबादी के बड़े हिस्से के टीकाकरण की स्थिति भी बेहतर हुई है.

बुधवार तक, 92 प्रतिशत भारतीय वयस्कों को टीके की कम से कम एक खुराक मिल चुकी थी, 68 प्रतिशत को दोनों खुराक मिल चुकी थी और 15-18 वर्ष की श्रेणी में 38 प्रतिशत नाबालिगों को कम से कम एक खुराक दी जा चुकी है. स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स और कोमोर्बिडिटी वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए बूस्टर डोज की शुरुआत भी हो गई है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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