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65% भारतीयों के परिचित लंबे समय तक कोरोना से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित रहे, 8% में लक्षण स्थायी : सर्वे

भारत में 82 फीसदी लोग किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिन्हें कोरोना से संक्रमित होने के बाद पूरी तरह से ठीक होने में छह महीने से कम समय लगा. वहीं, 6 फीसदी ने ऐसे लोगों के जानने की बात कही जिन्हें ठीक होने में छह महीने से एक साल तक का वक्त लगा.

पीपीई किट पहने हुए स्वास्थ्यकर्मी एक मरीज की देखभाल करते हुए, फाइल फोटो.

नई दिल्ली: भारत में 65 फीसदी लोग कम से कम एक ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिन्हें कोरोना से संक्रमित होने के बाद पूरी तरह से ठीक होने में कई हफ्ते लग गए. यह जानकारी एक सर्वे में सामने आई है.

सर्वे से यह भी पता चला है कि कोरोना संबंधित बीमारियों से लंबे समय तक जूझने वालो में 8 फीसदी लोगों में ये बीमारियां स्थायी तौर पर रह गईं. वहीं, अन्य संक्रमित लोगों में इन बीमारियों के ठीक होने में एक सप्ताह से लेकर सालभर तक का समय लगा.

यह सर्वे कम्युनिटी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म, लोकल सर्कल ने कराया है. इस सर्वे में भारत के 327 जिलों के 19,500 लोगों को शामिल किया गया.

सर्वे में शामिल दो फीसदी लोगों ने कहा कि वे कोरोना संक्रमित हो चुके 10 या उससे ज़्यादा ऐसे लोगों को जानते हैं जिन्हें रिकवर होने के कई हफ्ते के बाद भी समस्याओं का सामना करना पड़ा. इनमें चक्कर आना, जोड़ों और मांसपेशियों का दर्द, कफ, नींद न आना, सांस लेने और किसी काम में ध्यान लगाने में दिक्कत होना शामिल हैं.

सर्वे में शामिल छह फीसदी लोगों ने कहा कि वे कोरोना से रिकवर होने वाले ‘छह से नौ’ लोगों को जानते हैं जिनमें कोरोना के लक्षण कई हफ़्तों तक बने रहे. वहीं, 21 फीसदी लोगों ने ऐसे ‘तीन से पांच’ लोगों को जानने की बात कही. 36 फीसदी लोगों ने कहा कि वे ऐसे ‘एक या दो’ लोगों को जानते हैं.

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सिर्फ़ 22 फीसदी जवाब देने वाले ही कोरोना संक्रमण से रिकवर हो चुके किसी परिचित को नहीं जानते थे जिनमें संक्रमण के लक्षण लंबे समय तक बने रहे. बाकी 13 फीसदी लोगों ने ‘कह नहीं सकते’ को चुना.


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धीमी रिकवरी

सर्वे में यह जानने की कोशिश भी की गई कि एक व्यक्ति को कोरोना के लक्षणों से उबरने में कितना समय लगता है. इसमें प्रतिभागियों से यह भी पूछा गया कि उनको कोविड के एक या उससे ज़्यादा लक्षणों से निजात पाने में औसतन कितना समय लगा.

सर्वे में शामिल 21 फीसदी लोगों ने कहा कि कोविड संक्रमण के लक्षण एक से चार हफ्ते तक बने रहे. वहीं, 12 फीसदी ने इस अवधि को चार से आठ सप्ताह बताया. करीब 19 फीसदी ने इस अवधि को आठ से बारह सप्ताह, 30 फीसदी ने 12 से 24 सप्ताह और छह फीसदी ने 24 से 48 सप्ताह बताया.

आठ फीसदी लोगों ने कहा कि वे कोरोना से रिकवर हो चुके ऐसे लोग को जानते हैं जिनमें कोरोना के लक्षण स्थायी रह गए. बाकी छह फीसदी ने कहा कि ये लक्षण 24 से 48 सप्ताह तक रहे.

सर्वे में शामिल 82 फीसदी लोगों ने कहा कि उनके करीबी लोगों को कोविड संक्रमण से पूरी तरह से ठीक होने में छह महीने लगे. वहीं, आठ फीसदी लोगों ने कहा कि वह ऐसे लोगों को जानते हैं जो कोरोना से रिकवर होने के बाद भी स्थायी तौर पर कई शारीरिक दिक्कतों का सामना कर रहे हैं.

कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि कोरोना से रिकवर होने वालों में इसके लक्षण बने रह सकते हैं. वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के रिसर्च स्कॉलरों ने अपने अध्ययन में पाया कि कोविड से संक्रमित होने वाले लोगों में एक महीने से सालभर तक ह्दय संबंधी रोग होने का खतरा होता है.

इनमें अनियमित धड़कन, ह्दय में सूजन, खून का थक्का का जमना, स्ट्रॉक, ह्दय को रक्त पहुंचाने वाली धमनियों में गड़बड़ी, हार्ट अटैक और उसका काम करना बंद होना शामिल है. यहां तक कि रिकवरी के बाद मौत का भी खतरा बना रहता है.

एक अन्य अध्ययन में यह पता चला है कि कोरोना के इलाज के लिए आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों को शारीरिक और मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

लोकल सर्किल टीम ने अपने बयान में कहा है कि सर्वे में SARS-CoV-2 के सिर्फ़ अल्फ़ा, बीटा और डेल्टा वैरिएंट के संक्रमण बाद के असर का ही अध्ययन किया गया है. ओमिक्रॉन वैरिएंट के असर का आकलन कुछ महीने बाद ही संभव हो पाएगा.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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