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पलकी शर्मा उभरते, गुस्से से भरे भारत की अनौपचारिक राजदूत हैं, उनके दुश्मनों की लिस्ट लंबी है

पलकी शी जिनपिंग को बुलाते हुए खुला पत्र लिखती हैं, न्यूयॉर्क टाइम्स को ‘रद्द’ करती हैं और फर्स्टपोस्ट के वेंटेज पर हर रात सोरोस गुट पर हमला करती है.

अपने ऑफिस में पलकी शर्मा | मनीषा मोंडल/दिप्रिंट
अपने ऑफिस में पलकी शर्मा | मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

नई दिल्ली: पत्रकार पलकी शर्मा युद्ध के मार्ग पर हैं. वो भारत के सभी दुश्मनों से लड़ रही हैं. हालांकि, वो फ्रंटलाइन पर नहीं हैं और कोई सेफ्टी गियर भी नहीं पहनती हैं. फर्स्टपोस्ट स्टूडियो से हर रात, वो भारत के लिए बल्लेबाजी कर रही हैं — एक ऐसा भारत जिसके साथ अन्याय हुआ है, एक ऐसा भारत जो गौरवान्वित और महत्वाकांक्षी है, एक ऐसा भारत जिसे अब और दबाया नहीं जाएगा.

फर्स्टपोस्ट के शानदार और स्टाइलिश 22वीं मंजिल के खुले स्टूडियो में शर्मा पूरे जोश के साथ दिन की मुख्य खबरें पेश कर रही हैं — भारत में जी20 शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनुपस्थिति. वो अपने दर्शकों को सत्ता के चीनी गलियारों के बंद दरवाजे की अराजकता के अंदर ले जाती हैं और कैसे कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठों द्वारा जिनपिंग के नेतृत्व पर सवाल उठाए गए थे. वे इसे जी20 से जोड़ती हैं और विश्वास से कहती हैं, “गिरती अर्थव्यवस्था के कारण जिनपिंग को अपने देश में चेहरा खोना पड़ा” और वो नहीं चाहते कि जी20 में इस बारे में उनसे पूछताछ की जाए, जो उनकी अनुपस्थिति को स्पष्ट करता है, वे अपनी सिग्नेचर डिलीवरी स्टाइल में जारी रखती हैं — हर कुछ वाक्यों में विराम के साथ छोटी, स्पष्ट पंक्तियां.

कई मायनों में शर्मा भारत की एक ऐसी अनौपचारिक राजदूत हैं जो किसी भी दूतावास के पास नहीं हैं. भारत के दुश्मनों की उनकी लिस्ट लगातार बढ़ रही है — बीजिंग से लेकर वाशिंगटन की सहमति तक, सोरोस द्वारा वित्त पोषित उदारवादी पश्चिम से लेकर अमेरिकी डॉलर के अत्याचार तक — वो एक महिला सेना हैं, प्रकृति की एक प्रकार की शक्ति है और उनके सवाल निरंतर हैं.

जब वे बोलती हैं, तो राजनयिक, सैन्य विशेषज्ञ और भारतीय सीईओ और सीएफओ बैठ जाते हैं और उनकी बात पर गौर करते हैं.

शर्मा ने दिप्रिंट से कहा, “हमें अपनी खबरों पर कंट्रोल करने की ज़रूरत है क्योंकि अन्यथा हम अपनी सच्चाई के किसी और संस्करण में फंस जाएंगे और हमें ऐसा क्यों होने देना चाहिए?”

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और पिछले छह साल में शर्मा ने अपने शो में कई रूढ़ियों को तोड़ा है. 50 मिनट लंबे शो में — पहले WION के ग्रेविटास और फिर फर्स्टपोस्ट के वेंटेज — शर्मा ने वैश्विक व्यवस्था और उसमें भारत के स्थान पर सवाल उठाया है. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और व्यवसाय में पश्चिम के आधिपत्य को चुनौती दी है, चीन के दमनकारी शासन पर बड़े पैमाने पर रिपोर्ट की है और यहां तक कि पश्चिमी मीडिया और भारत की उनकी आलोचना पर भी हमला किया है. उनके शो आकांक्षी भारत और विश्वगुरु क्षण के अनुरूप हैं.

वे आबादी के एक बड़े हिस्से को एक विकल्प प्रदान कर रही हैं जो महसूस कर सकता है कि भारत को अपनी आवाज़ की ज़रूरत है – हर्ष वी पंत, ओआरएफ

नई दिल्ली स्थित ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन आधारित थिंक टैंक में अध्ययन और विदेश नीति के उपाध्यक्ष हर्ष वी पंत बताते हैं कि उनके दर्शकों के लिए, उनके शो वैश्विक मुद्दों पर एक ताज़ा विचार हैं, जिनका अब तक केवल पश्चिमी मीडिया के चश्मे से मूल्यांकन किया जाता था.

पंत कहते हैं, “पल्की का कहना है कि जिस तरह से भारत को कवर किया गया है उसमें एक पूर्वाग्रह है. भारत में आंतरिक रूप से कई लोग ऐसा ही महसूस कर सकते हैं. वो आबादी के एक बड़े हिस्से को एक विकल्प प्रदान कर रही हैं जो महसूस कर सकता है कि भारत को अपनी आवाज़ की ज़रूरत है और वो उस भावना का दोहन कर रही हैं. वहां दर्शकों के साथ एक जुड़ाव है.”

आखिरकार, ऐसे बहुत से भारतीय पत्रकार नहीं हैं जो सीधे तौर पर शी जिनपिंग को पत्र लिखकर कोरोना वायरस पर चीन के दुष्प्रचार के बारे में बता सकें. उन्होंने सिनो-फोबिया को एक नया लुक और स्वैग दिया है.


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विचारों को बढ़ावा देना

ऐसे समय में जब टीवी चैनलों पर प्राइमटाइम समाचार मेहमानों के एक-दूसरे पर चिल्लाने तक सीमित हो गए हैं, पलकी शर्मा के नैतिक एकालाप को नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है. उन्होंने मेहमानों और विशेषज्ञों से दूरी बना ली, विदेशी मामलों की खबरों को सरल, शब्दजाल-मुक्त, प्रासंगिक खबरों में तोड़ दिया और अपनी बात रखने के लिए उन्हें डेटा से भर दिया.

आज, समाचार प्रस्तुति की ‘पलकी शैली’ न केवल भारत में, बल्कि विश्व स्तर पर हिट है.

कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के G20 कार्यकाल पर उनके वीडियो के तहत यूट्यूब पर एक टिप्पणी में कहा गया, “इस भारतीय रिपोर्टर का व्यक्तित्व बहुत अच्छा है. वो हमारे जागृत पत्रकारों के विपरीत बिल्कुल सीधी हैं. ज्यादा से ज्यादा कनाडाई लोगों को इस अद्भुत रिपोर्ट को देखना चाहिए.” उसी वीडियो के एक अन्य दर्शक ने कहा, “पल्की कई वर्षों से मुझे सूचनाएं दे रही हैं, जिसे करने में हमारा अपना कनाडाई मीडिया विफल रहता है.”

इस प्रारूप की लत ऐसी है कि उनके पिछले संगठन (WION) में उनकी जगह लेने वाले एंकर समाचार सुनाने की इस शैली का पालन कर रहे हैं.

लेकिन यह सब शर्मा के लिए प्रशंसा नहीं हैं. उनके खराब शोध के लिए उन्हें पश्चिमी मीडिया और भारतीय मीडिया निगरानीकर्ताओं द्वारा बुलाया गया है.

लेकिन जितनी अधिक उनकी आलोचना की जाती है, उतना ही अधिक उनके दर्शकों को भारत के प्रति पश्चिमी पूर्वाग्रह की पुष्टि मिलती है. वास्तव में, ‘bias’ एक मजबूत विषय है जो उनके तर्कों को बढ़ावा देता है. ग्लोब्ल वेस्ट, उसका मीडिया और उदारवादी आम सहमति भारत के प्रति पक्षपाती हैं और इसे बढ़ने नहीं दे रहे हैं. उनके शो फॉक्स न्यूज़ पर द इंग्राहम एंगल का भारतीय संस्करण हैं.

फर्स्टपोस्ट न्यूज़रूम में पलकी शर्मा | मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

लेकिन विरोध के बावजूद शर्मा की लोकप्रियता बढ़ रही है, उन्होंने अपने लिए जगह बनाई है. फर्स्टपोस्ट के यूट्यूब चैनल पर वेंटेज लॉन्च करने के पांच महीनों के भीतर, दर्शकों की संख्या 600 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई. सात महीनों में चैनल ने दो मिलियन सब्सक्राइबर्स जुटा लिए.

शर्मा के G20 कवरेज ने भी नेटवर्क को बड़ा बढ़ावा दिया, उन्होंने ब्राजील के राष्ट्रपति सिल्वा का इंटरव्यू लिया, दक्षिण अफ्रीकी अंतर्राष्ट्रीय संबंध और सहयोग मंत्री, ग्रेस नलेदी मंडिसा पंडोर और नाइजीरिया के विदेश मंत्री, यूसुफ तुग्गर का भी इंटरव्यू लिया है. 10 सितंबर को द इंडियन एक्सप्रेस में एक फ्रंट-पेज विज्ञापन में नेटवर्क 18 का दावा है कि यूट्यूब एनालिटिक्स और व्यूज़ से पता चलता है कि, जनवरी से अगस्त तक फर्स्टपोस्ट में 1,000 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई.

एक भारतीय लेंस

शर्मा ने 2017 में खुद को फिर से स्थापित किया जब वो वर्ल्ड इज़ वन न्यूज़ (WION) में शामिल हुईं, जो कि 2016 में ज़ी नेटवर्क द्वारा विशेष रूप से विदेशी मामलों के कवरेज के लिए शुरू किया गया एक चैनल था. चैनल के पास कम प्रतिस्पर्धी थे, यह अभी आकार ले रहा था. उस जगह शर्मा की प्रोग्रेस स्थिर थी.

प्राइमटाइम शो ग्रेविटास की हॉस्ट शर्मा कहती हैं, “हमने (WION में) आंकड़ों को लेकर खुद को परेशान नहीं किया. उसके बिना भी हम टीआरपी चार्ट में दिख रहे थे. हमें पता था कि हम कुछ सही कर रहे हैं.”

यह वो समय भी था जब ग्लोबल समाचार पीक पर थे. जिस समय वो वहां थीं, कई सरकारें चुनी गईं, कोविड-19 को महामारी घोषित कर दिया गया और रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हो गया. शर्मा और उनकी टीम इन विकासशील खबरों में शीर्ष पर थी.

फर्स्टपोस्ट के सीनियर प्रोड्यूसर, आदित्य धुन्ना, जो WION में शर्मा के शो का संचालन करते थे, ने कहा, “हम दिसंबर (2019) में कोविड-19 पर रिपोर्ट करने वाला पहला संस्थान थे, जब यह चीन में सिर्फ एक स्थानीय कहानी थी. हमने देखा कि फ्लू जैसी बीमारी फैल रही है और हमने इसकी रिपोर्ट करना शुरू किया. फिर भारत-चीन सीमा की स्थिति बनी. बाद में हम पहले भारतीय पत्रकार थे जिन्हें युद्ध कवर करने के लिए यूक्रेन जाने का वीज़ा मिला. ये सभी चीज़ें इस बात के लिए मानदंड स्थापित करती हैं कि शो ग्रेविटास कैसे काम कर सकता था.” फर्स्टपोस्ट में शामिल होने के लिए WION के एक दर्जन से अधिक कर्मचारी उनके साथ चले गए.

लेकिन शर्मा के लिए किसी खबर की मानक बारीकियों की रिपोर्ट करना ही पर्याप्त नहीं था. विदेश नीति विशेषज्ञों का कहना है कि उन्होंने मुद्दों पर स्पष्ट और निर्णायक रुख अपनाया और इसी वजह से उनकी खबरें सामने आईं.

पंत कहते हैं, “पल्की की सफलता तथ्यों और राय के अनूठे मिश्रण में निहित है, जो तेज़ी से आदर्श बनता जा रहा है. सोशल मीडिया के इस युग में, राय यह तय करती है कि आपके कितने फॉलोअर्स हैं.”

एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल (एएनआई) की संपादक स्मिता प्रकाश के साथ एक पॉडकास्ट में शर्मा कहती हैं, उनका शो एक अखबार के एडिट पेज की तरह है और वो समाचारों में “मूल्य जोड़ता है”.

यह मूल्यवर्धन उनका सेलिंग प्वाईंट बन गया है.

भारत के सबसे बड़े प्रतिद्वंदियों में से चीन उनके शो का बहुत अधिक प्रसारण समय लेता है. देश की अर्थव्यवस्था, वित्त, विकास, बेरोज़गारी और बाकी चीज़ों पर डेटा से भरपूर, वो लगातार यह बताती हैं कि दुनिया में चीन का प्रभाव कैसे कम हो रहा है और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की शक्ति कैसे कम हो रही है.

जबकि दुनिया भर में मीडिया कोरोना वायरस को कोविड-19 महामारी के रूप में संदर्भित करता है, वो इसे “वुहान वायरस” कहती हैं. चीन द्वारा देश में WION को ब्लॉक करने और चीनी राजनयिकों द्वारा सोशल मीडिया पर चैनल को ब्लॉक करने के तीन महीने बाद जुलाई 2020 में शर्मा ने जिनपिंग को उनके असफल प्रचार पर फटकार लगाते हुए एक खुला पत्र लिखा.

यह बयानबाजी कि चीन की अर्थव्यवस्था गिर रही है और जिनपिंग द्वारा असहमति को कुचलने से उनका अंत हो जाएगा, उनके शो में लगातार बनी रहती है.

शर्मा के मुताबिक चीन जहां आक्रामक है, वहीं पश्चिम के साथ भी सब कुछ ठीक नहीं है. वो सवाल करती हैं कि अमेरिकी मीडिया को भारत में मानवाधिकारों के हनन के मुद्दे उठाने का क्या अधिकार है, जब उनका अपना देश नस्लवाद और बंदूक हिंसा से जूझ रहा है. वो सवाल करती हैं कि जब अमेरिका में महिलाओं के गर्भपात के अधिकार सुनिश्चित करने की बात आती है तो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन एक शक्तिहीन व्यक्ति क्यों हैं. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार क्षेत्र में वो सवाल करती हैं कि डॉलर को हावी क्यों होना चाहिए.

पलकी की सफलता तथ्यों और राय के अनूठे मिश्रण में निहित है, जो तेज़ी से आदर्श बनता जा रहा है – हर्ष वी पंत, ओआरएफ

पलकी सवाल करती हैं जैसा कि कई देशों को अमेरिकी डॉलर पर अत्यधिक निर्भर होने की सीमाओं का एहसास है, क्या बड़ी मुद्रा की निर्विरोध रैली समाप्त हो रही है. उनके डी-डॉलरीकरण के नारे बेहद लोकप्रिय हैं और कई भारतीय दर्शकों की उम्मीदों को बढ़ाते हैं. इस आह्वान का समर्थन तर्क से परे है, लेकिन राष्ट्रीय गौरव के लिए बहुत अच्छा काम करता है.

अमेरिकी डॉलर का ज़िक्र करते हुए अपने एक शो में वो कहती हैं, “दुनिया बदल रही है. देश नहीं चाहते कि उनकी किस्मत एक मुद्रा में, एक देश की दया पर निर्भर रहे.”

पलकी कहती हैं कि अपने शो के जरिए वो दुनिया के पश्चिमी-केंद्रित दृष्टिकोण से मुक्त होने की कोशिश करती हैं. उन्होंने कहा, “अगर मैं आज नेपाल पर एक स्टोरी करना चाहती हूं, तो मेरे पास वहां कोई रिपोर्टर या एजेंसी नहीं है, जहां तक मेरी पहुंच हो. इसलिए, मुझे पश्चिमी एजेंसियों पर भरोसा करना होगा और वो इन्हें विदेशी स्थानों के रूप में देखेंगे.” वो आगे कहती हैं, “अपने छोटे-छोटे तरीकों से अपने सीमित संसाधनों के साथ हम उस दृष्टिकोण को व्यापक बनाने में सक्षम हुए हैं.”

एक गैर-निवासी भारतीय मां की आत्महत्या की कहानी, क्योंकि उनके बच्चों को ऑस्ट्रेलिया में राज्य बाल देखभाल प्राधिकरण ने छीन लिया था, ने उनके शो, वेंटेज में जगह बनाई. उन्होंने जर्मनी और नॉर्वे में इसी तरह के अन्य मामलों का हवाला दिया.

उन्होंने 4 सितंबर को प्रसारित शो में पूछा, “जब भी ऐसा कोई मामला सुर्खियों में आता है तो यह एक कूटनीतिक घटना बन जाती है और हर बार एक ही सवाल उठाया जाता है — क्या यह बाल सुरक्षा का मामला है या यह अधिकारियों की अतिशयोक्ति है? आप सांस्कृतिक मतभेदों और सुरक्षा के बीच की रेखा कहां खींचते हैं?”

हाल ही के एक एपिसोड में पलकी शर्मा ने एक ऐसा सवाल पूछने का साहस किया, जिस पर सभी ने विचार किया था, लेकिन पूछने से बहुत डरते थे. भारत में iPhone इतने महंगे क्यों हैं? वो डिवाइस की कीमत में अधिक अंतर पर सवाल उठाती हैं और क्यों, भारत में विनिर्माण होने के बावजूद, वियतनाम और यूके जैसे चार अन्य देशों की तुलना में यहां फोन की कीमत बहुत अधिक है. वो कहती हैं कि एप्पल परिवहन और आयात करों पर बचत करता है, फिर भी भारत में फोन की कीमतें कम नहीं हुई हैं. उन्होने कहा, “नवाचार के बिना विकास. वो यह कैसे कर लेते हैं?” क्योंकि नए फोन में बिना किसी अनूठी विशेषता के भी एप्पल के शेयर बढ़ते जा रहे हैं.


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असल रिपोर्ट की ज़रूरत

बदलते समय के साथ भारतीय न्यूज़रूम को कैसे गतिशील होना चाहिए, इस पर शर्मा अपने सशक्त विचार रखती हैं. उनका दावा है कि मीडिया घरानों में प्रतिभा या पैसे की कोई कमी नहीं है. वो कहती हैं कि दुनिया भर से अलग हट कर मौलिक खबरों के लिए उन्हें ज़मीनी स्तर पर अधिक पत्रकारों की ज़रूरत है और भारतीय मीडिया संगठनों को अंतरराष्ट्रीय मीडिया घरानों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होने के लिए वास्तव में वैश्विक होना होगा.

उन्होंने कहा, “हम दृष्टि की चिंताजनक कमी प्रदर्शित कर रहे हैं. अगर मैं सच में बदलाव लाना चाहती हूं, अगर मैं सच में कुछ ऐसा करना चाहती हूं जो भारत की आवाज़ का प्रतिनिधित्व करता हो, तो मुझे दुनिया के विभिन्न शहरों में टीमें बनानी होंगी. मुझे असल खबर की ज़रूरत होगी.”

यूक्रेन युद्ध को कवर करने के लिए शर्मा के साथ चार लोगों की टीम थी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया घरानों की 30 सदस्यीय टीमों के लिए उनका कोई मुकाबला नहीं था.

वो आगे कहती हैं, “मुझे लगता है कि हम अंतरराष्ट्रीय चैनल में जो निवेश कर रहे हैं उसके संदर्भ में हम अभी तक वहां नहीं हैं. हमने यहां (फर्स्टपोस्ट पर) एक छोटी सी शुरुआत की है. देखतें हैं कि यह कहां जाता है.”

शर्मा कहती हैं कि इसके अलावा, न्यूज़रूम में टैलेंट को बनाए रखना एक निरंतर लड़ाई है. यह लोग ही हैं जो खबरों में जान डालते हैं, लेकिन प्रतिभाशाली लोग चले जाते हैं क्योंकि इंडस्ट्री उन्हें पर्याप्त मुआवजा नहीं दे रही.

वो दो दशकों से अधिक समय से पत्रकारिता से जुड़ी हुई हैं, यह आसान राह का संकेत नहीं है. शर्मा का कहना है कि आज उन्हें जो सफलता मिली है, वो उसकी हकदार हैं. उन्होंने कहा, “यह कभी-कभी भारी पड़ सकता है. मैं अपनी हड्डियों में थकान महसूस करती हूं. आप थका हुआ महसूस करते हैं. आपको लगता है कि आपको गति धीमी करने की ज़रूरत है, लेकिन मैं जो करती हूं और जिन लोगों के साथ काम करती हूं वो बहुत फायदेमंद अनुभव हो सकता है.”


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उभरता हुआ भारत

शर्मा की ग्लोबल कवरेज की पृष्ठभूमि में भारत का उदय हो रहा है और तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारत आगे बढ़ रहा है. वो इस नये, आगे बढ़ते भारत की कमान संभाल रही हैं.

उन्होंने दो सप्ताह में चंद्रयान-III पर 10 से अधिक शो किए. इन खबरों में न केवल अंतरिक्ष की दौड़ में भारत के मील के पत्थर के बारे में बात की गई, बल्कि इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि कैसे पश्चिम में लोगों का एक वर्ग भारत की सफलता से असुरक्षित है. अपने एक शो में जिसका टाइटल था, “पश्चिम भारत की उपलब्धियों पर सवाल क्यों उठा रहा है?” वो कहती हैं कि पश्चिम भारत की जीत को बदनाम कर रहा है और भारत के उद्देश्यों पर सवाल उठा रहा है.

स्पष्ट रूप से क्रोधित दिख रहे शर्मा कहती हैं, “जब चंद्रयान गया, हम सभी ने इसे लाइव देखा. फिर भी एक खबर बनाई गई कि यह एक फर्ज़ी लैंडिंग थी. यह कैसे ठीक है.” जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान अमेरिका से रिपोर्टिंग करते हुए, उन्होंने भारत में मानवाधिकारों के हनन की आलोचना करने के लिए पश्चिमी मीडिया और अमेरिकी थिंक टैंक पर निशाना साधा. उनका आरोप है कि यह भारत-अमेरिका संबंधों को खराब करने की कोशिश है. वो कहती हैं कि इस तरह के लेख अमेरिका की “श्रेष्ठता भावना” को दर्शाते हैं.

शो में वो कहती हैं, “लेकिन व्हाइट हाउस के अंदर के लोगों को यह महसूस करना चाहिए कि हर कोई किसी न किसी बिंदु पर धैर्य खो देता है.” भारत की विकास दर, जीडीपी अनुमान और अन्य आंकड़ों पर डेटा का उपयोग करते हुए, शर्मा अपने शो में भारत को एक पायदान पर रखती हैं. वो कहती हैं, “हम भारत को 1.4 बिलियन लोगों के देश के रूप में एक महत्वपूर्ण हितधारक के रूप में पेश कर रहे हैं. मुझे लगता है कि हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तरह फैसले लेने वाली मेज पर रहने का अधिकार है. अगर हम स्थायित्व के लायक नहीं हैं, तो मुझे नहीं पता कि कौन ऐसा करता है.”

उनका कहना है कि कोई भी देश समस्याओं से रहित नहीं है, लेकिन पश्चिमी मीडिया भारत में हो रही प्रगति को नज़रअंदाज कर रहा है. वो इस प्रगति को उजागर करना अपना कर्तव्य बताती हैं.

अगर मैं सच में बदलाव लाना चाहती हूं, अगर मैं सच में कुछ ऐसा करना चाहती हूं जो भारत की आवाज़ का प्रतिनिधित्व करता हो, तो मुझे दुनिया के विभिन्न शहरों में टीमें बनानी होंगी- पलकी शर्मा

चंद्रयान पर अपने एक शो में उन्होंने पूछा कि क्या न्यूयॉर्क टाइम्स एक नया कार्टून जारी करेगा जिसमें भारत को “कुलीन अंतरिक्ष मिशन क्लब” के दरवाजे पर दस्तक देने वाले देश के रूप में नहीं दिखाया जाएगा. उन्होंने फ्रांस में दंगों पर वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट को आड़े हाथों लिया. खबर में कहा गया है कि प्रदर्शनकारी सुदूर दक्षिणपंथ के लिए एक रास्ता तैयार कर रहे हैं, लेकिन शर्मा ने कहा कि प्रदर्शनकारी प्रणालीगत नस्लवाद के खिलाफ थे.

दिप्रिंट ने न्यूयॉर्क टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकारों से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

पंत कहते हैं, “भारत आज एक अत्यधिक आकांक्षी देश है. यह हमारा पल है. हम आ चुके हैं. इसलिए, जब आप ऐसी भाषा में बात करते हैं जो भारत के उत्थान और वैश्विक उपस्थिति के बारे में आकांक्षी है, तो आप अपने दर्शकों से जुड़ते हैं. यह लोगों के आकर्षण को दर्शाता है.”

इस जगह पर कब्जा करने से वो अंतरराष्ट्रीय समाचार क्षेत्र में एक प्रमुख आवाज़ बन गई हैं.

‘मोदी समर्थक पंडित’

पिछले महीने भारत के विदेशी समाचार कवरेज के बारे में एक लेख में द इकोनॉमिस्ट ने शर्मा को “मोदी समर्थक पंडित” कहा था. इसमें आगे कहा गया है कि अपने शो में वो “चीन और पाकिस्तान को लगातार कोसती हैं” और “पश्चिम को कोसती हैं”.

लेख में न केवल उनकी आलोचना की गई, बल्कि दुनिया में भारतीय मीडिया के उभरते फोकस की भी आलोचना की गई, जिसे “अतिपक्षपातपूर्ण, राष्ट्रवादी और अक्सर आश्चर्यजनक रूप से गलत जानकारी वाला” कहा गया. इसमें लिखा है, “भारतीय परिप्रेक्ष्य क्या है? मिस शर्मा को देखिए और एक संदेश उभरता है: बाकी सब जगह भयानक है.” लेख में फ्रांस में दंगों के बारे में शर्मा की कवरेज में तथ्यात्मक अशुद्धियों की ओर इशारा किया गया है और भारतीय मीडिया की कवरेज को मोदी के प्रति अति-रक्षात्मक करार दिया गया है.

उसी शाम लेख प्रकाशित हुआ शर्मा ने पत्रिका को उसके अहंकार के लिए लताड़ा.

उन्होंने शो में कहा, “यह विश्लेषण के रूप में लपेटा गया अपमान है.” “पश्चिमी मीडिया भारत की जितनी चाहें उतनी आलोचना कर सकता है, लेकिन जब भारत ऐसा करता है, तो यह प्रेस की स्वतंत्रता है, लेकिन जब भारतीय मीडिया पश्चिम की आलोचना करता है, तो वह गलत जानकारी देता है.”

शर्मा ने शो के पुराने संस्करणों को खंगाला, स्क्रीन पर दिखाया और बताया कि यह इराक पर अमेरिका के युद्ध का समर्थन करता है और कई अन्य बातों के अलावा, इसमें मंदी की भविष्यवाणी “गलत” थी.

शर्मा की कवरेज भी भारतीय मीडिया निगरानीकर्ताओं की जांच से बच नहीं पाई है. कोविड-19 महामारी के दौरान, शर्मा ने भारत की घातक दूसरी लहर पर रिपोर्टिंग करने के लिए अमेरिकी मीडिया की आलोचना की, जबकि अपने घरेलू मैदान पर इसकी अनदेखी की, लेकिन न्यूज़लॉन्ड्री की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शर्मा का शो प्रसारित होने से पहले, कई अमेरिकी मीडिया आउटलेट्स ने पहले ही अमेरिका में कोविड-19 के लिए संसाधनों की कमी के बारे में रिपोर्ट कर दी थी.

2022 में शर्मा ने कहा कि भारत सिंधु नदी पर अपने नियंत्रण के माध्यम से पाकिस्तान में “बाढ़ और सूखे की व्यवस्था” कर सकता है और सवाल किया कि भारत “इस शक्ति का प्रयोग करने” से क्यों कतराता है.

इसकी एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर तुरंत आलोचना हुई. एक यूजर ने कहा कि यह सुझाव सिंधु जल संधि और जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है.

प्रतिक्रिया के बाद पलकी ने स्पष्टीकरण देते हुए एक्स पर लिखा कि इसमें वीडियो स्टोरी की बारीकियों को शामिल नहीं किया गया है.


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पलकी का उदय

2022 तक WION की पहचान शर्मा का पर्याय बन गई. उन्होंने ‘ब्रांड पलकी’ को बनाया और जनवरी 2022 में प्रतिद्वंद्वी मीडिया संगठन, नेटवर्क 18 द्वारा इसकी लुप्त होता औचित्य, फर्स्टपोस्ट को पुनर्जीवित करने के लिए उन्हें यहां लाया गया था. WION से बाहर निकलने पर एक बेकार अदालती लड़ाई के बाद, शर्मा की नई पारी की घोषणा पूरे जोर-शोर से की गई थी -26 जनवरी 2023 को द इंडियन एक्सप्रेस में पेज विज्ञापन के साथ.

लेकिन उनके पूर्व सहयोगियों का कहना है कि इस जबरदस्त वृद्धि के पीछे दशकों की कड़ी मेहनत थी. 2000 के दशक की शुरुआत में दूरदर्शन में आने से पहले उन्होंने अपने गृह नगर जयपुर में मीडिया आउटलेट्स के साथ अपना करियर शुरू किया. हिंदुस्तान टाइम्स में एक कार्यकाल के बाद वो 2005 में पूर्ववर्ती CNN-IBN में चली गईं. उन्होंने 2016 तक चैनल के ब्रेकफास्ट शो को होस्ट किया, जिसके बाद वो 2017 में WION में चली गईं.

समाचार एंकर और शर्मा की पूर्व सहयोगी श्रेया ढौंडियाल कहती हैं, उनके शो (सीएनएन-आईबीएन पर) कभी-कभी चैनल के प्राइमटाइम शो की तुलना में अधिक दर्शकों को आकर्षित करते हैं.

ढौंडियाल कहती हैं, “एक एंकर के रूप में पलकी की अपनी शैली है. उनमें कई चीज़ें करने और उन्हें सहज बनाने की क्षमता है. यह उनकी एंकरिंग में भी दिखता है.”

उन्होंने कहा, उनकी पीढ़ी के पत्रकारों में शर्मा शायद एकमात्र ब्रेकआउट स्टार हैं. शर्मा की सहज स्क्रिप्ट और आसान समाचार डिलीवरी तुरंत हिट हो गई. वो अपनी टिप्पणी को गहराई तक ले जाने के लिए रणनीतिक रूप से रुकती हैं.

WION में बतौर फील्ड प्रोड्यूसर पलकी के साथ काम करने वाले शशांक चौधरी कहते हैं, “पल्की जो करती है उसमें शानदार हैं. उन्होंने प्राइमटाइम को फिर से परिभाषित किया है. वो समाचारों को अधिक आसान बनाती है. उन्होंने दिखाया है कि आपको सुनने के लिए चिल्लाने की ज़रूरत नहीं है. वो आपसे बात नहीं कर रही हैं, लेकिन वो आपसे बात कर रही है (जब वह प्रस्तुत करती हैं). इससे बहुत फर्क पड़ता है.”

भले ही शर्मा राष्ट्रीय राजधानी में रहती हैं और काम करती हैं, लेकिन किताबों, कला और संस्कृति के प्रति उनका प्यार उन्हें जयपुर वापस खींचता रहता है. नाम न छापने की शर्त पर जयपुर के एक पत्रकार और विजुअल स्टोरीटेलर ने बताया कि उन्हें अक्सर जयपुर लिटरेचर फेस्ट में किताबों, संगीत और राजनीति पर चर्चा करते हुए देखा जाता है.

फर्स्टपोस्ट में शर्मा के डेस्क पर हेनरी किसिंजर की लीडरशिप: सिक्स स्टडीज़ इन वर्ल्ड स्ट्रेटेजी की एक कॉपी है. किताब के अंत में पृष्ठों के बीच करीने से रखी गई एक पेंसिल एक बुकमार्क के रूप में कार्य करती है.

वो कहती हैं, “मैं पढ़ती हूं, किताब में नोट्स बनाती हूं. इसलिए, मैं अपनी किताबें किसी को उधार नहीं दे सकती.”

उनके डेस्क पर चार टीवी स्क्रीन हैं, उन पर बीबीसी, रूस टीवी, अल जज़ीरा और डॉयचे वेले (डीडब्लयू) चल रहे हैं. शाम का प्रोडक्शन रश अभी शुरू होना बाकी है और उनकी टीम दिन की शीर्ष अंतरराष्ट्रीय खबरों को देखते हुए कड़ी मेहनत कर रही है. उनके कीबोर्ड की क्लिक-क्लिक अन्यथा शांत समाचार कक्ष में सन्नाटे को तोड़ रही है.

पलकी शर्मा अपने शो की तैयारी करते हुए | मनीषा मंडल/दिप्रिंट

अपने कार्यदिवस शो वेंटेज के अलावा, शर्मा फ्लैशबैक और बिटवीन द लाइन्स की भी एंकर हैं. पहला ऐतिहासिक घटनाओं पर एक साप्ताहिक शो है और दूसरा रविवार को प्रसारित होता है और यह लैंगिक वेतन अंतर, बुनियादी अधिकार के रूप में इंटरनेट जैसे प्रमुख मुद्दों पर आधारित है.

वो कहती हैं, “मुझे लगता है कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में वास्तविक रुचि है, जैसा कि हम इसे कहते हैं और अगर यह इतने सारे लोगों को परेशान करता है, तो वो कहती है कि वो ज़रूर कुछ सही कर रही होगी.”

शर्मा पूछती हैं, “भारत को हिंदू-मुस्लिम विभाजन वाले देश, या एक गरीब देश, या अति-राष्ट्रवाद वाले देश के रूप में खारिज नहीं किया जा सकता है. ये तो हैं भारत की हकीकतें, लेकिन और भी कई हकीकतें हैं. और अगर हम नहीं दिखाएंगे तो उन वास्तविकताओं को कौन दिखाएगा”

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस ग्राऊंड रिपोर्ट को अग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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