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मई से NEP योजनाओं के तहत ग्रेजुएशन में शुरू किए जाएंगे कॉमन एंट्रेंस टेस्ट, एंट्री-एग्ज़िट विकल्प

ये स्कीमें फिलहाल सरकार के अधीन ही मंज़ूरी के विभिन्न स्तरों पर हैं. यह 2021-22 से शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा होगी.

दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र, फाइल फोटो | सूरज सिंह बिष्ट, दिप्रिंट

नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि शिक्षा मंत्रालय इस साल मई महीने से अधिकारिक रूप से 10 स्कीमें शुरू करने जा रहा है, जो नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत घोषित की गईं थीं.

ये स्कीमें फिलहाल सरकार के अंदर ही मंज़ूरी के विभिन्न स्तरों पर हैं.

मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि वो जिन नीतियों को लॉन्च करने जा रहा है, उनमें कॉलेजों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट, ग्रेजुएशन के दौरान मल्टिपल एंट्री-एग्ज़िट विकल्प और अन्य के अलावा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), तथा नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) की ओर से एकेडमिक क्रेडिट बैंक की स्थापना, शामिल है.

एक बार अधिकारिक रूप से लॉन्च हो जाने के बाद ये स्कीमें शैक्षणिक सत्र 2021-22 से प्रभाव में आ जाएंगी.

मंत्रालय के एक अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘हम कुछ महत्वपूर्ण स्कीमों को इस साल मई तक लॉन्च करने पर काम कर रहे हैं, जो एनईपी 2020 में घोषित की गईं थीं. ये सरकार के अंदर ही मंज़ूरी के विभिन्न स्तरों पर हैं, और मई के अंत तक लॉन्च के लिए तैयार हो जाएगी. मंत्रालय द्वारा लॉन्च किए जाने के बाद ये नीतियां शैक्षणिक सत्र 2021-22 से शिक्षा प्रणाली का हिस्सा बन जाएंगी.

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दिप्रिंट ने ईमेल के ज़रिए मंत्रालय के प्रवक्ता से टिप्पणी के लिए संपर्क किया लेकिन इस रिपोर्ट के छपने तक उधर से कोई जवाब नहीं मिला था.


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स्कीमें

जो स्कीमें लॉन्च होने जा रही हैं, उनमें कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों में दाख़िले के लिए कॉमन एंट्रेस टेस्ट शामिल है.

दाख़िले के इम्तिहान जिनका एनईपी में ज़िक्र किया गया है, उनका मक़सद अंडरग्रेजुएट कॉलेजों के ग़ैर-तकनीकी कोर्सेज़ में दाख़िले की प्रक्रिया को सरल बनाना है.

दिप्रिंट ने कॉमन एंट्रेस टेस्ट की डीटेल्स की ख़बर दी थी. विभिन्न कोर्सेज़ के लिए अलग-अलग टेस्ट होंगे, जिनका आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा किया जाएगा. ये वो एजेंसी है जो फिलहाल नीट और जेईई मेन्स कराती है.

दूसरी स्कीम जो अधिकारिक रूप से लॉन्च की जाएगी, वो है एकेडमिक क्रेडिट बैंक, जिसके लिए यूजीसी ने पहले ही मसौदा नियम तैयार कर लिए हैं, जो सरकार की मंज़ूरी हासिल करने की प्रक्रिया में हैं.

मसौदे में नियम बनाए गए हैं, जिनसे छात्र एकेडमिक कार्ड्स को बचाकर ट्रांसफर कर पाएंगे, जो उन्होंने किसी कोर्स विशेष में कमाए हैं. इन नियमों की सहायता से छात्र अपने ख़ुद के कोर्स डिज़ाइन कर पाएंगे, जिसमें अलग-अलग विषयों का मिश्रण और मैच किया जा सकेगा.

एक अन्य स्कीम है मल्टिपल एंट्री-एग्ज़िट विकल्प, जिसमें छात्रों को आज़ादी होगी कि अपने तीन या चार साल के ग्रेजुएशन के दौरान वो किसी भी समय किसी कोर्स को छोड़ सकते हैं.

इस स्कीम के तहत, अगर कोई छात्र एक साल के बाद कॉलेज छोड़ देता है, तो उसे एक सर्टिफिकेट दिया जाएगा. अगर कोई छात्र दो साल बाद कालेज छोड़ता है, तो उसे डिप्लोमा मिलेगा और अगर छात्र तीन साल के बाद छोड़ता है, तो उसे डिग्री मिलेगी. अगर छात्र ग्रेजुएशन के चार साल पूरे करता है, तो वो डिग्री रिसर्च के साथ होगी.

ये सब एकेडमिक क्रेडिट्स के आधार पर किया जाएगा, जो छात्र अपने कोर्स के दौरान कमाएगा.

एनआरएफ़

एनआरएफ, एक ऐसी इकाई जो पूरी तरह रिसर्च को समर्पित है, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के 2019 बजट भाषण में घोषित की गई थी.

2021 के बजट में वित्त मंत्री ने एनआरएफ को पांच वर्ष की अवधि के लिए, 50,000 करोड़ रुपए आवंटित किए.

एनआरएफ अलग-अलग मंत्रालयों की ओर से दिए गए शोध अनुदानों को आत्मसात करेगी, जो एक दूसरे से अलग होंगे. वो शैक्षणिक परिदृश्य के सभी विषयों में प्रतिस्पर्धात्मक रूप से रिसर्च को वित्त पोषित करेगी- जैसे चिकित्सा, भौतिकी, कृषि, आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस, नैनो साइंस, शिक्षा, समाजशास्त्र, पुरातत्व विज्ञान, आर्ट हिस्ट्री और साहित्य.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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