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तेजस और भारी लड़ाकू विमानों के बीच फिट – लॉकहीड क्यों चाहता है कि भारत F-21 एयरक्राफ्ट खरीदे

लॉकहीड मार्टिन के इंडियन वाइस प्रेसिडेंट विलियम ब्लेयर ने कहा कि IAF के मल्टी-रोल लड़ाकू विमान प्रोग्राम ने देश में लड़ाकू विमान बनाने के लिए मुख्य स्रोत का काम किया है.

बेथेस्डा, यूएस में लॉकहीड मार्टिन मुख्यालय की एक प्रतीकात्मक तस्वीर | कॉमन्स

नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना के प्रस्तावित मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (एमआरएफए) प्रोग्राम पर अपनी दिलचस्पी दिखाते हुए, यूएस एविएशन दिग्गज लॉकहीड मार्टिन का कहना है कि उसने पहले ही इंडिया में निवेश कर दिया है और उनका एफ-21 एयरक्राफ्ट हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस, राफेल और एमकेआई एसयू- 30 के बीच पूरी तरह से फिट बैठता है.

लॉकहीड मार्टिन के इंडियन वाइस प्रेसिडेंट और मुख्य कार्यकारी विलियम ब्लेयर ने दिप्रिंट को बताया, “हम एमआरएफए के लिए एओएन (आवश्यकता की स्वीकृति) और एक आरएफपी (प्रस्ताव के लिए अनुरोध) की उम्मीद करते हैं. हम कई वर्षों से उसके लिए सबसे अच्छी क्षमता लाने के वास्ते संरेखित और पोजिशनिंग कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि बेंगलुरू में आगामी एयरो इंडिया में एफ-21 एयरक्राफ्ट का पूरा कॉकपिट डिमॉन्स्ट्रेटर होगा, जिसे कंपनी एमआरएफए प्रोग्राम के तहत पेश करेगी.

लॉकहीड मार्टिन ने 2019 में आईएफ प्रोग्राम के लिए अपने एफ-16 विमान के लेटेस्ट वैरिएंट, जिसे ब्लॉक 70 भी कहा जाता है को पिच किया था. कंपनी ने इन विमानों की खूब बिक्री की है.

2018 में 126 लड़ाकू जेट विमानों की खरीद के लिए अपनी पिछली बोली के बाद भारतीय वायुसेना के सूचना के अनुरोध (आरएफआई) के बाद यह पिच आई थी, नरेंद्र मोदी सरकार ने फ्लाई-अवे स्थिति में 36 राफेल लड़ाकू विमानों का विकल्प चुना था.

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ब्लेयर ने कहा कि उनका एफ-21, जो राफेल और अमेरिकी फर्म बोइंग के एफ-15ईएक्स सहित कई अन्य लड़ाकू विमानों के साथ मुकाबला करेगा, एमआरएफए ज़रूरतों के साथ अच्छी तरह से फिट बैठता है.

उन्होंने कहा, “हम कई वर्षों से भारतीय वायुसेना के साथ जुड़े हुए हैं. हम ज़रूरतों को समझते हैं और एफ-21 में ट्रिपल मिसाइल लॉन्चर एडॉप्टर और लॉअर लाइफ साइकिल लागत के साथ अनोखी क्षमता है.”

लॉकहीड के लिए, एमआरएफए भारत में लड़ाकू विमान बनाने का मुख्य स्रोत है.

यह पूछे जाने पर कि जब भारत के पास पहले से ही तेजस है तो सिंगल-इंजन फाइटर कैसे इसमें फिट बैठता है, उन्होंने कहा कि यह एलसीए और बड़े ट्विन-इंजन फाइटर्स के बीच फिट बैठता है.

उन्होंने कहा, “यह वास्तव में अच्छी तरह से फिट बैठता है और यह उपलब्ध भी है. यह कुछ ऐसा है जो लंबे समय तक चलने वाले प्रोग्राम (भारत के स्वदेशी) के समानांतर चल सकता है.”

ब्लेयर ने कहा कि एफ-21 में दो इंजन वाले लड़ाकू विमानों की तुलना में 30 फीसदी लॉअर लाइफ साइकिल लागत और कार्बन फुटप्रिंट है.

उन्होंने कहा, “लागत अनुपात की क्षमता के मामले में यह लाजवाब है. इंडिया हल्के, मध्यम और भारी लड़ाकू विमानों के साथ ओपरेट करता है, दोनों सिंगल और ट्विन इंजन में एफ-21 पूरी तरह से फिट बैठता है, ”


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‘पहले से ही भारत में निवेश’

2016 में, सरकार और भारतीय वायु सेना ने लागत को ध्यान में रखते हुए सिंगल-इंजन लड़ाकू विमान के लिए एक टेंडर लाने पर काम करना शुरू कर दिया था.

हालांकि, जब स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) प्रोग्राम चल रहा था, तब सिंगल इंजन वाले विदेशी लड़ाकू विमान की ज़रूरत पर सवाल उठाकर रक्षा मंत्रालय ने चौंका दिया था.

यह तब था जब आईएएफ ने अप्रैल 2018 में लॉकहीड और कई अन्य खिलाड़ियों को मैदान में लाते हुए आरएफआई लाने की अपनी ज़रूरत को दोहराया था.

ब्लेयर ने कहा, लॉकहीड मार्टिन ने पहले ही भारत में निवेश कर दिया है और एफ-21 प्रोग्राम और इसके हेलीकॉप्टरों और विमानों की श्रेणी के लिए टियर 1 और टियर 2 आपूर्तिकर्ताओं के लिए काम किया है.

वह ग्लोबल ऑर्डर के लिए भारत में एस-92 हेलीकॉप्टरों के 157 केबिनों के प्रोडक्शन का ज़िक्र कर रहे थे. इसका मतलब यह था कि दुनिया में डिलीवर किया गया हर एक एस-92 हेलीकॉप्टर, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति का विमान भी शामिल है, भारत से आते हैं.

लॉकहीड ने टाटा समूह के साथ अपने संयुक्त उद्यम के माध्यम से भारत से सी-130जे विमान के 187 विमान भी मंगाए हैं. हालांकि, भारत को केवल 12 विमान ही सौंपे गए हैं.

ब्लेयर ने कहा, “हमने टाटा के साथ एफ-16एस और एफ-21एस के विंग उत्पादन के लिए क्वालिफाई किया है.”

“यह न केवल टाटा बल्कि टियर 1 और टियर 2 आपूर्तिकर्ताओं की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित करता है. हम इसे एमआरएफए आवश्यकता से पहले पहले निवेश के रूप में देखते हैं.”

टाटा-लॉकहीड मार्टिन संयुक्त उद्यम अब पहला ईंधन ले जाने वाले, 9जी-सक्षम, एफ-16 विमान के पंखों के निर्माण के लिए बोली लगा सकता है.

उन्होंने कहा, “आपको पहले निवेश करने के लिए तैयार रहना होगा. हम यह नहीं कहने जा रहे हैं कि हम भारत में क्या उत्पादन करेंगे. हम पहले से ही भारत में उत्पादन कर रहे हैं. हम आत्मनिर्भर भारत के साथ गठबंधन कर चुके हैं.”

उन्होंने कहा कि भारत में एफ-21 कार्यक्रम 160 अरब डॉलर के वैश्विक सतत बाजार का हिस्सा बन जाएगा. एफ-16एस के विंग्स के अलावा, एस-92 के केबिनों का उत्पादन और सी-130जे विमानों के लिए जहाज़ों का उत्पादन ज़रूरत से पहले ही भारत में किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, “हम ऐसा अवसर से बाहर करते हैं दायित्व के तहत नहीं.”

(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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