होम डिफेंस ‘गोल्डन लेटर डे’—कैप्टन अभिलाषा बराक सेना की पहली महिला लड़ाकू पायलट बनीं

‘गोल्डन लेटर डे’—कैप्टन अभिलाषा बराक सेना की पहली महिला लड़ाकू पायलट बनीं

भारतीय वायु सेना और नौसेना के विपरीत भारतीय सेना के उड़ान दस्ते में कोई महिला अधिकारी नहीं थी.

अभिलाषा बराक आर्मी एविएशन कॉर्प्स में शामिल होने वाली पहली महिला अधिकारी | Photo: Instagram/@indianarmy.adgpi

नई दिल्ली: कैप्टन अभिलाषा बराक बुधवार को आर्मी एविएशन कोर में कॉम्बैट एविएटर के रूप में शामिल होने वाली पहली महिला अधिकारी बन गईं.

कॉम्बैट आर्मी एविएशन ट्रेनिंग स्कूल, नासिक में आयोजित भारतीय सेना के ‘गोल्डन लेटर डे’ कहे जाने वाले एक विदाई समारोह में कैप्टन बराक को महानिदेशक और कर्नल कमांडेंट आर्मी एविएशन की तरफ से 36 अन्य आर्मी पायलटों के साथ कोवेटेड विंग्स से सम्मानित किया गया.

अब तक भारतीय वायु सेना और नौसेना के विपरीत सेना की फ्लाइंग ब्रांच में कोई महिला अधिकारी नहीं थीं. इसमें ग्राउंड ड्यूटी के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल संभालने के लिए महिला अधिकारी थीं.

हरियाणा की रहने वाली कैप्टन बराक को सितंबर 2018 में आर्मी एयर डिफेंस कोर में कमीशन मिला था.

सेना में शामिल होने से पहले वह अमेरिका में डेलॉइट में बिजनेस टेक्नोलॉजी एनालिस्ट के तौर पर काम कर रही थीं.

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वह कर्नल एस. ओम सिंह (रिटायर्ड) की बेटी हैं और आर्मी एविएशन कोर में शामिल होने से पहले कई प्रोफेशनल मिलिट्री कोर्स पूरे कर चुकी थीं.

कॉम्बैट एविएशन स्क्वाड्रन में एक नए एविएटर के तौर पर बराक अब अपनी पोस्टिंग के लिए तैयार हैं और जल्द ही हेलीकॉप्टर उड़ाती नजर आएंगी.

1 नवंबर 1986 को स्थापित आर्मी एविएशन कोर को पहली बार 1987 में जाफना में लिट्टे (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) के खिलाफ भारत की लड़ाई में तैनात किया गया था जिसे ‘ऑपरेशन पवन’ के तौर पर जाना जाता है. यह कोर एचएएल द्वारा विकसित चेतक और चीता हेलीकॉप्टर उड़ाती है.

आज यह कोर और उसके हेलीकॉप्टर सियाचिन ग्लेशियर जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देते हैं.

आर्मी एविएशन कोर भारतीय सेना की सबसे युवा कोर में से एक है और चेतक, चीता, एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (एएलएच) ध्रुव और रुद्र जैसे हेलीकॉप्टरों के बेड़े को ऑपरेट करती हैं.

ये हेलिकॉप्टर हमले के अलावा ऑब्जर्वेशन, टोही अभियान, हताहतों को निकालने, सामान या राहत सामग्री गिराने के साथ-साथ राहत एवं बचाव अभियान में भी अहम भूमिका निभाते हैं.

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