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सैन्य क्षमता को मजबूती देने के लिए सेना ने स्वार्म ड्रोन्स के दो सेट्स शामिल किए

सेना ने दो विशेष स्वार्म ड्रोन्स पर भी काम शुरू कर दिया है, जिन्हें पूर्वी लद्दाख़ जैसे इलाक़ों में तैनात किया जा सकता है, जहां वो चीनी सैनिक टुकड़ियों के साथ एक गतिरोध में है.

स्वॉर्म ड्रोन | Sameerjoshi73.medium.com

नई दिल्ली: अपनी आधुनिकीकरण प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना ने निगरानी और दंडात्मक कार्रवाइयों के लिए स्वार्म ड्रोन्स के दो सेट्स को अपने बेड़े में शामिल किया है.

स्वार्म ड्रोन्स उन मानव-रहित हवाई वाहनों को कहा जाता है, जो समन्वय के साथ काम करते हैं. ये ड्रोन्स आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस (एआई) से लैस होते हैं, और कंट्रोल स्टेशन के अलावा एक दूसरे के साथ भी संचार कर सकते हैं. एआई-आधारित एलगॉरिदम्स जिनपर ड्रोन काम करते हैं, उन्हें काम को बांटने, परिचालन क्षेत्रों में मार्गनिर्देशन करने और टोही उड़ानों के दौरान टकराव को रोकने में सक्षम बनाते हैं.

सेना ने दो विशेष स्वार्म ड्रोन्स पर भी काम शुरू कर दिया है, जिन्हें पूर्वी लद्दाख़ जैसे अधिक ऊंचाई वाले इलाक़ों में तैनात किया जा सकता है, जहां वो दो साल से अधिक समय से, चीनी सैनिक टुकड़ियों के साथ एक गतिरोध में है.

रक्षा एवं सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि ड्रोन्स सैन्य कार्रवाइयों में एक फोर्स मल्टीप्लायर साबित होंगे, जैसी कि यूक्रेन संकट और दुनिया के दूसरे संघर्षों में इसके उपयोग से ज़ाहिर है, जिनमें आर्मेनिया, अज़रबैजान, सीरिया, और सऊदी अरब के तेल क्षेत्रों पर हमले शामिल हैं.

ये स्वार्म ड्रोन्स दो भारतीय स्टार्ट-अप्स से ख़रीदे गए हैं- पूर्व भारतीय वायुसेना अधिकारी समीर जोशी द्वारा चलाई जा रही बेंगलुरू-स्थित न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नॉलजी, और नोएडा-स्थित राफे एमफिबर प्राइवेट लिमिटेड.

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इन स्वार्म ड्रोन्स के लिए पिछले साल सितंबर में अनुबंध पर दस्तख़त किए गए थे और दिप्रिंट ने ख़बर दी थी कि इन्हें सैन्य मामलात में एक क्रांति (आरएमए) कहकर पुकारा गया था.

सेना ड्रोन तकनीक पर बहुत फोकस करती आ रही है, और विभिन्न प्रकार के मानव-रहित हवाई वाहनों को अपने बेड़े में शामिल करने की प्रक्रिया में है. बल ने ड्रोन फॉरमेशंस में कुछ प्रमुख बदलावभी किए हैं, और अपनी अधुनिकीकरण प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करने के लिए, अपनी संपत्ति को आर्टिलरी से निकालकर आर्मी एविएशन कोर के हवाले कर दिया है.


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निगरानी और क़रीब से पता लगाने के लिए स्वॉर्म ड्रोन्स

सूत्रों ने कहा कि जमीनी बलों के साथ मिलकर स्वार्म ड्रोन्स का समूह, आक्रामक और रक्षात्मक कार्रवाइयों के दौरान हवाई पैंतरेबाज़ी की क्षमता उपलब्ध कराएगा, जिससे सेना की मुकाबले की क्षमता में इजाफा होगा.

इन ड्रोन्स को मिकेनाइज़्ड और आर्मर्ड दोनों कॉलम्स के साथ जोड़ा जाएगा.

एक सूत्र ने कहा, ‘हमें स्वार्म ड्रोन्स की ज़रूरत है ताकि सामरिक कमांडरों को एक ऐसा फोर्स मल्टीप्लायर मिल सके, जो निगरानी इनपुट्स मुहैया कराने, और किसी दूसरे आईएसआर संसाधनों से मिले इनपुट्स की पुष्टि करने के लिए, क़रीब से रेकी करने में सक्षम हो, और साथ ही तोपख़ाने तथा हवाई रक्षा उपकरणों, दुश्मन के कमान और नियंत्रण केंद्रों, और बख्तरबंद वाहनों जैसे विभिन्न लक्ष्यों के साथ इंगेज करने की क्षमता भी रखते हों.

‘स्वार्म ड्रोन्स में एआई-आधारित स्वचालित लक्ष्य पहचान (एटीआर) की विशेषता, इन हवाई वाहनों को टैंकों, तोपों, वाहनों और इंसानों जैसे लक्ष्यों को स्वत: पहचानने, और साथ ही कंट्रोल स्टेशन स्क्रीन पर सूचना को वापस भेजने में सक्षम बनाती है.

सूत्रों ने आगे कहा कि इससे ऑपरेटर के किसी लक्ष्य से चूकने की संभावनाएं न्यूनतम हो जाती हैं, और उसे उपयुक्त प्रकार के हथियार प्लेटफॉर्म से इंगेज करने में भी सुविधा होती है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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