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2 ड्रोन, 2 तरह के IED, अलग-अलग हमले- आखिर कैसे बनी थी जम्मू वायुसेना स्टेशन पर हमले की योजना

ऐसा माना जाता है कि एक ही दिन में दो अलग- अलग हमलों की योजना बनाई गई थी. हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि दोनों मानव रहित हवाई विमान आए कहां से थे.

जम्मू: एनआईए के अधिकारी जम्मू में ड्रोन हमले की घटना की जांच के बाद लौटते हुए, बृहस्पतिवार, 1 जुलाई, फाइल फोटो.

जम्मू/नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि पिछले महीने जम्मू में हुए हमले में एक ड्रोन नहीं बल्कि ड्रोन्स की एक जोड़ी का इस्तेमाल लिया गया था जो जम्मू में वायुसेना स्टेशन के अंदर घुसने और दो अलग-अलग तरह के इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) को एक-दूसरे से कुछ हीं मिनटों के अंतराल में गिराने के बाद बहार निकलने में कामयाब रहे.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने यह भी बताया कि उस दिन हमलावरों ने जम्मू में दो आईईडी-आधारित हमलों की योजना बनाई थी, जो माना जाता है कि 2008 के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के लाहौर स्थित घर के बाहर हुए एक विस्फोट के ‘प्रतिशोध’ में किया गया था.

सूत्रों ने कहा कि वे अब इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हमले के दौरान दो ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था, जो भारत में अपनी तरह का पहला मामला था.

उन्होंने बताया कि एयर स्टेशन पर मौजूद चश्मदीदों ने पहले और दूसरे ड्रोन के अंदर आने और बाहर जाने की आवाज सुनी.


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एक सूत्र का कहना था कि ‘हालांकि, किसी ने ड्रोन को नहीं देखा केवल उसकी आवाज सुनी. तैनात संतरियों में से एक ने एक इमारत की छत पर कुछ गिरते देखा जो छत पर गिरते ही तुरंत फट गया. हवा में ड्रोन की गुनगुनाहट की आवाज सुनी गई, लेकिन अंधेरे में उन्हें देखा नहीं जा सका क्योंकि उनमें कोई रोशनी नहीं थी.

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दूसरे आईईडी को कुछ मिनट बाद ही, जैसे ही कुछ सुरक्षाकर्मी दौड़ कर वहां पहुंचे, गिराया गया.

एक दूसरे सूत्र ने कहा, ’हमले में दो ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था. दोनों ही हवा में अंदर और बाहर उड़ान भरने में कामयाब रहे.’

सूत्रों ने यह भी बताया कि जम्मू में उस दिन के लिए दो हमलों की योजना बनाई गई थी लेकिन एक दिन पहले हुई पांच किलो आरडीएक्स की बरामदगी ने इस योजना को बिगाड़ दिया.

दो अलग-अलग तरह के आईईडी का इस्तेमाल किया गया.

सूत्रों ने दिप्रिंट को यह भी बताया कि हमलावरों ने दो अलग-अलग तरह के आईईडी का इस्तेमाल किया.

उन्होंने बताया कि पहला आईईडी एक इमारत की छत पर गिरा और छत में बड़ा सा छेद बन गया. कमरे के अंदर एक व्यक्ति था लेकिन उसे चोट नहीं आई.

ऊपर दिए गए सूत्रों में से एक ने कहा, ‘पहला IED एक शेप्ड चार्ज था और इसे उस सतह में छेद करते हुए गुजरना था जिस पर यह गिरा था. दूसरा आईईडी, जो पहले से लगभग 20 मीटर नीचे गिरा था, उसमें चोट पहुंचाने के उद्देश्य से छर्रे भरे थे.’

ड्रोन द्वारा अपनाया गए मार्ग का अभी तक पता नहीं चला है

सूत्रों ने यह भी कहा कि यह अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि ये दो मानव रहित हवाई विमान आए कहां से थे. उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा संभावना उनके पाकिस्तान से उड़ के आने की है.

कई सारी टीमों ने वायुसेना स्टेशन के आस-पास के क्षेत्र की व्यापक तलाशी ली है, लेकिन इस तरह के ड्रोन या इस तरह के हमले को अंजाम देने की विशेषज्ञता रखने वाले किसी शख्श के बारे में कोई भी संकेत अथवा सबूत नहीं मिले हैं.

एक अन्य प्रकार विचार यह भी है कि कोई व्यक्ति या तो कश्मीर का निवासी या फिर पाकिस्तान से घुसपैठ करने वाला कोई व्यक्ति इस हमले को अंजाम दे सकता था.

दिप्रिंट ने पहले ही यह बताया था कि आईईडी का डिज़ाइन और उनकी बनावट पाकिस्तान के आयुध कारखानों की ओर इशारा करते हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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