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‘उनकी वर्दी का सम्मान करें’, भारत की सुरक्षा के लिए कोविड-19 से लड़ रहे पुलिस वालों के लिए गुलज़ार की कविता

पुलिस को कोरोना वॉरियर कहते हुए लेखक और गीतकार गुलज़ार देशवासियों से पुलिसकर्मियों को सलाम करने की गुज़ारिश करते हैं, जो हमारे लिए अपनी जान को जोखिम में डाल रहे हैं.

बाएं से एक अवारा कुत्ते को खाना खिलाते पुलिस वाले और एक गीत के लांचिंग के समय गुलज़ार | दिप्रिंट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद से इसे दो बार बढ़ाया जा चुका है, भारत पर इसका काफी असर हुआ है. प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा, कई व्यापार मालिकों के सामने आय का नुकसान और फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए पर्याप्त पीपीई किट की कमी से कुछ समस्याएं हैं जिनसे देश निपट रहा है.

जाने-माने कवि, गीतकार और लेखक गुलज़ार संकटों पर अपने विचारों को कलमबद्ध करते रहे हैं. उन्होंने इससे पहले लिखा था कि कैसे हमें अपने पड़ोसियों से उम्मीद करनी चाहिए और मदद करनी चाहिए और साथ ही आवारा जानवरों की देखभाल करनी चाहिए. और अब, उन्होंने देश की पुलिस के लिए दिल छूने वाली कविता लिखी और रिकॉर्ड की है, जिन्हें वह कोरोना योद्धा कहते हैं.

फेसबुक पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में, गुलज़ार ने कहते हैं कि कैसे हम मदद के लिए पुलिस पर निर्भर रहते हैं और आपात स्थिति में हमारे कॉल का पहला पोर्ट वे कैसे होते हैं. उन्होंने कहते हैं कैसे, कोरोनावायरस महामारी और लॉकडाउन में, पुलिस हमारी सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर वहां मौजूद है.

गुलज़ार कहते हैं-

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

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आपसे एक ज़रूरी बात कहना है, कि पुलिस-मैन एक मुहाफ़िज़ का नाम है, हिफ़ाज़त करने वाले का.. वो एक मददगार है, मदद करता है..

उस मुहाफ़िज़ की, उस मददगार की, उस पुलिस-मैन की इज़्ज़त करना, एहतराम करना, हर शहरी का फ़र्ज़ बनता है

मौज़ूदा हालात में वो आपकी हिफ़ाज़त के लिये खुद को खतरे में डाल कर ड्यूटी कर रहे हैं… चौक पर, चौराहे पर, सड़क पर.. ऐसी-ऐसी गलियों में जहां महामारी के हॉट्स्पॉट हैं, जहां आपको जाने की इजाज़त नहीं है, वहां जा-जा कर वो बंदोबस्त कर रहे हैं ..

उनकी इस कुरबानी के लिये उनको सलाम कीजिये, उनकी वर्दी को इज़्ज़त दीजिये

प्लीज़, शुक्रिया!

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