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विनोद खन्ना की फिल्म ‘इम्तिहान’ उनकी प्रतिभा और अभिनय की बेजोड़ मिसाल है

विनोद खन्ना गिरगिट की तरह किरदार के रंग बदलते थे. जब कभी साथी कलाकारों को तवज्जो देनी हो तो परिदृश्य में घुल से जाते थे- जैसे मौजूद ही न हों.

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इम्तिहान फिल्म का दृश्य । यूट्यूब

विनोद खन्ना को हमेशा फ़िल्मी दौर के जाने-माने कलाकारों की फ़ेहरिस्त में शामिल एक चमकते सितारे के तौर पर याद किया जाता रहा है, और आगे भी किया जायेगा. 1968 से 2015 तक विनोद खन्ना ने मेरा गांव मेरा देश, अचानक, मुकद्दर का सिकंदर, इनकार, अमर अकबर एंथोनी जैसी कई सुपरहिट फिल्मों से दर्शकों का दिल जीता. फ़िल्मी परदे पर खलनायक से नायक तक का सफर तय करने वाले खन्ना ने राजनीति में भी हाथ आज़माया.

आज उनके जन्मदिन पर, उनकी सबसे हिट फिल्मों में से एक- इम्तिहान (1974) को हम आप से रूबरू करवा रहे हैं.

इस बात से सब वाक़िफ़ हैं की किसी भी छात्र को बुलंदियों तक पहुंचाने में उसके शिक्षक का योगदान अतुलनीय होता है. एक अच्छा शिक्षक छात्र के जीवन में वो बदलाव ला सकता है जो कई बार उसके मां- बाप भी नहीं ला पाते. यही बात विनोद खन्ना ‘इम्तिहान’ में साबित करते हैं. एक शिक्षक अंदरूनी तौर पर खोखले हो चुके कॉलेज में पढ़ाने जाता है और वहां के छात्रों और अन्य साथी शिक्षकों की ज़िंदगी बदल देता है. उस शिक्षक के रास्ते में कई रुकावटें आती हैं. बिगडैल और जिद्दी छात्र, एक प्यार में पड़ चुकी छात्रा और यहां तक की दुर्व्यवहार के झूठे आरोप भी उसे रोक नहीं पाते. और जैसा कि हमें हमेशा से बताया गया है- अंत में सच्चाई और अच्छाई की जीत होती है.

विनोद खन्ना हमें नज़र आते हैं प्रमोद शर्मा के किरदार में- जो कि एक ईमानदार प्रोफेसर है और एक संपन्न घराने से सम्बन्ध रखने के बावजूद इस पेशे में आया क्योंकि वह कुछ अच्छा करने में विश्वास रखता है. मदन सिन्हा निर्देशित इस फिल्म को खन्ना की सबसे हिट फिल्मों में से एक माना गया- जिसका श्रेय विनोद खन्ना द्वारा बखूबी निभाए हुए एक सुशील, समझदार पर कठोर शिक्षक के किरदार को पूरी तरह से दिया जा सकता है. एक एक्टर के तौर पर खन्ना की कुशलता और परिपक्वता इस किरदार के ज़रिये साफ़ झलकती है. अपने उसूलों के पक्के और लोगों की ज़िन्दगी में एक सकारात्मक बदलाव लाने वाले शिक्षक के रूप में विनोद खन्ना को लोगों ने खूब पसंद किया. अपने करियर के चरम पर एक्शन फिल्में और अन्य नकारात्मक किरदार निभाते हुए इम्तिहान जैसी फिल्म करना खन्ना के लिए एक चुनौती था- जिसे जनता ने न सिर्फ पसंद किया बल्कि उन्हें अपने सर आंखों पर बिठाया.

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अंग्रेजी फिल्म ‘टू सर, विथ लव’ पर आधारित ये फिल्म ज़िंदगी के अलग-अलग पड़ाव पर होते इम्तिहानों की बात करती है. हर इंसान कभी न कभी चरित्र, हौसले और भरोसे की तराजू पर तौला जाता है. छोटे से स्तर पर कुछ अच्छा करने की कोशिश भी कई बार भारी लगने लगती है. इंसान के धीरज और इच्छा शक्ति की कई बार परीक्षा होती है. एक अच्छा शिक्षक होना भी कतई आसान नहीं- आपका पाला ऐसे लोगों से पड़ता है जो समझते हैं की उन्हें सब पता है, पर असलियत में वे मूर्ख भी हो सकते हैं.


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इम्तिहान में बिंदु और तनूजा ने भी काफी रोचक किरदार निभाया है. तनूजा, मधु के किरदार में नज़र आती है- जो आत्मनिर्भर है, जानती है कि उसे क्या चाहिए और किसी भी बात के लिए प्रमोद की मंजूरी की राह नहीं तकती. वहीं दूसरी और बिंदु, जो उस दौर की फिल्मों में खलनायिका के किरदार निभाने के लिए प्रसिद्ध थीं, इस फिल्म में एक बिगडैल लड़की है जिसे जीवन में जो चाहिए वो सब कुछ मिला है, और किसी के सामने नहीं झुकती है.

इम्तिहान को अपने शानदार संगीत के लिए भी याद किया जाता है. ‘रुक जाना नहीं’ और ‘बुझादे…जल गयी’ जैसे गीत लोग आज भी गुनगुनाते मिलेंगे. मजरूह सुल्तानपुरी के बोल और लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल के संगीत ने इस एल्बम में जान फूंक दी है.

विनोद खन्ना गिरगिट की तरह किरदार के रंग बदलते थे. जब कभी साथी कलाकारों को तवज्जो देनी हो तो परिदृश्य में घुल से जाते थे- जैसे मौजूद ही न हों, वहीं छोटे से छोटे दृश्य में शामिल होते हुए भी अमिट छाप छोड़ जाते थे. ऐसी ही छाप छोड़ जाने वाली फिल्मों में से एक है इम्तिहान – जो खन्ना के बेहतरीन अदाकारी की एक बानगी है.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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