सामाजिक-राजनीतिक स्तर पर ध्रुवीकृत हो चुके समय में मोहन भागवत का दिल्ली की मस्जिद में जाना एक महत्वपूर्ण संकेत है. केएस सुदर्शन के बाद ऐसा करने वाले वे दूसरे संघ प्रमुख हैं. यह मुस्लिमों के बीच पहुंच में देरी को दिखाता है. हालांकि दोनों के बीच अविश्वास की खाई बड़ी है. लेकिन लगातार बातचीत महत्वपूर्ण साबित हो सकती है.
RSS और मुस्लिमों के बीच अविश्वास की खाई है, देर से ही सही लेकिन भागवत ने एक कोशिश की है
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