दो साल पहले उत्तर प्रदेश में दुर्भाग्यपूर्ण-लेकिन-चतुर तरीके से ‘जिन्ना बनाम गन्ना’ उपचुनावों की तरह, पाकिस्तान के संस्थापक ने एक बार फिर चुनावी मौसम में सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में एंट्री कर ली है. अखिलेश यादव का तथ्यात्मक तौर पर यह कहना सही है कि जिन्ना स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए लौटे थे. लेकिन उन्हें अच्छे से पता होना चाहिए कि यह ट्रोलर्स के लिए एक चारा है.
चुनावी मौसम में जिन्ना की वापसी, अखिलेश को पता होना चाहिए कि उनका जिक्र ट्रोलर्स के लिए चारा है
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