होम 2019 लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश की वो लोकसभा सीट जहां पर ‘राम’ बनते हैं सांसद

उत्तर प्रदेश की वो लोकसभा सीट जहां पर ‘राम’ बनते हैं सांसद

सोनभद्र ज़िले की राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट का इतिहास काफी दिलचस्प है .ऊर्जांचल के नाम मशहूर इस ज़िले में प्राकृतिक संसाधनों की कोई कमी नहीं है.

news on politics
फोटो : दिप्रिंट

सियासत संभावनाओं का दूसरा नाम है. राजनीति में संयोग जैसी कोई चीज नहीं होती है. लेकिन उत्तर प्रदेश की एक लोकसभा सीट जहां जनता के आशीर्वाद से चुने गए प्रत्याशियों के नाम से ‘राम’ जुड़े हुए हैं. हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के रॉबर्ट्सगंज संसदीय सीट की जहां पिछले 15 सालों से जो भी सांसद चुने गए ज्यादातर सांसदों के नाम में ‘राम’ लगा हुआ है.

बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और झारखंड की सीमा से सटा उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों को भी उजागर करता है. देश में उजाला फ़ैलाने वाला यह पहाड़ी ज़िला विकास से कोसों दूर है. यहां विकास के उजाले का आभाव है. सोनभद्र ज़िले की राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट का इतिहास काफी दिलचस्प है. ऊर्जांचल के नाम मशहूर इस ज़िले में प्राकृतिक संसाधनों की कोई कमी नहीं है. रॉबर्ट्सगंज सीट पर अभी तक 15 सांसद चुने जा चुके हैं. जिनमें से 10 सांसदों के नाम में ‘राम’ और तीन सांसदों के नाम में ‘लाल’ जुड़ा हुआ है

राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट का इतिहास

राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट पर 1962 में कांग्रेस के टिकट पर राम स्वरूप पहली बार सांसद बने थे. स्वरुप ने 1967 और 1971 के आम चुनावों में भी कांग्रेस के ही टिकट पर जीत हासिल की. लेकिन, 1977 में राबर्ट्सगंज में भी जनता पार्टी की लहर थी. जनता पार्टी के उम्मीदवार शिव संपत्ति राम ने लोकसभा चुनाव जीत हासिल की. 1980 और 1984 के आम चुनाव में कांग्रेस के राम प्यारे पानिका को जीत मिली थी.

1989 के लोकसभा चुनाव में यह सीट पहली बार भाजपा के पास आई. भाजपा के टिकट पर सूबेदार प्रसाद ने जीत दर्ज की थी. लेकिन, भाजपा के पास यह सीट ज्यादा समय तक नहीं रह सकी. 1991 के लोकसभा चुनाव में यह सीट एक बार फिर जनता पार्टी के खाते में चली गयी. वर्ष 1991 में जनता पार्टी के प्रत्याशी राम निहोर राय को चुनाव में सफलता मिली. वर्ष 1996, 1998 और 1999 के चुनाव में यह सीट भाजपा के पास थी. भाजपा के टिकट पर प्रत्याशी राम शकल तीन बार सांसद रहे.


यह भी पढ़ें: जानें क्यों बीजेपी ने गोरखपुर सीट पर नेता के बजाए अभिनेता को उतारा


इस सीट पर वर्ष 2004 में बसपा को कामयाबी मिली बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर लाल चंद्र कोल को जीत मिली थी. 2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट का इतिहास एक फिर बदला और पहली बार समाजवादी पार्टी के अपना परचम लहराया. समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर पकौड़ी लाल ने पहली बार चुनाव जीता. लेकिन, 2014 में मोदी लहर के दौरान इस सीट का समीकरण बदला और भाजपा के प्रत्याशी छोटेलाल को जीत मिली.

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और अपना दल (एस) ने गठबंधन किया है. उत्तर प्रदेश में अपना दल (एस) को दो सीटें मिली हैं. अपना दल (एस) ने राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र से पकौड़ी लाल कोल को उम्मीदवार बनाया है. 2009 में सपा के टिकट पर जीते पूर्व सांसद पकौड़ी लाल कोल अब भाजपा सहित सभी गठबंधन पार्टियों के संयुक्त उम्मीदवार होंगे.

Exit mobile version