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फ्लू के मामले बढ़ने पर टीकाकरण से कोविड से भी मिल सकती है अतिरिक्त सुरक्षा

(निकोल मेसिका, टीम लीडर, इन्फेक्शियस डिजीज रिसर्च ग्रुप, मर्डोक, चिल्ड्रंस रिसर्च इंस्टीट्यूट, ऑनोरेरी फेलो, यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न डिपार्टमेंट ऑफ पिडियाट्रिक्स, मर्डोक चिल्ड्रंस)

विक्टोरिया, 26 मई (द कन्वरसेशन) दो साल तक वर्चुअल रूप से गायब रहने के बाद इन्फ्लुएंजा वापस आ गया है और आस्ट्रेलिया तथा दुनियाभर में तेजी से फैल रहा है।

इस साल अभी तक न्यू साउथ वेल्स में ही फ्लू के 15,000 से अधिक मामले आए हैं, जिनमें से 12,000 से अधिक मामले मई की शुरुआत से लेकर अब तक आए हैं।

क्वींसलैंड सरकार ने नि:शुल्क फ्लू टीकाकरण की घोषणा की है और न्यू साउथ वेल्स भी ऐसा ही करने पर विचार कर रहा है। ऑस्ट्रेलियाई चिकित्सा संघ के अध्यक्ष उमर खुर्शीद ने आगामी संघीय सरकार से सभी ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को फ्लू का नि:शुल्क टीका उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।

इस बीच ठंडा मौसम शुरू होते ही कोविड के मामले बढ़ रहे हैं।

अच्छी खबर यह है कि हम जानते हैं कि इन्फ्लुएंजा का टीका फ्लू से बचाव कर सकता है और अंतरराष्ट्रीय अध्ययन से पता चलता है कि फ्लू का टीका कोविड-19 से भी रक्षा कर सकता है। कतर में 30,774 स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के हाल के अध्ययन से पता चला है कि इन्फ्लुएंजा का टीका कोविड से रक्षा कर सकता है, खास तौर पर गंभीर स्थिति में ।

इन नतीजों का न केवल कोविड पर असर पड़ता है बल्कि नए कीटाणुओं से भविष्य में होने वाली महामारियों पर भी असर पड़ता है।

अध्ययनकर्ताओं ने 2020 के आखिरी तीन महीनों में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए 576 स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों और संक्रमित नहीं पाए गए 2,000 स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के बीच इन्फ्लुएंजा टीकाकरण दरों की तुलना की।

जिन लोगों ने कोविड-19 की जांच कराने से कम से कम दो हफ्ते पहले इन्फ्लुएंजा का टीका लिया था, उनके कोविड से संक्रमित पाए जाने की संभावना 30 फीसदी कम थी और गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना तकरीबन 90 फीसदी कम थी।

इस अध्ययन में दो और बातें विचार करने लायक है। पहला, अध्ययन में शामिल स्वास्थ्य देखभाल कर्मी युवा थे। इसका मतलब है कि अध्ययन में जो असर देखे गए, हो सकता है कि वह बुजुर्ग लोगों और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए सही न हों, जिनके कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार पड़ने का सबसे अधिक खतरा रहता है।

दूसरा, इस अध्ययन में कोविड टीकों और ओमीक्रोन जैसे स्वरूपों से पहले एकत्रित किए गए आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है। इसका मतलब है कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में इसके नतीजों का असर स्पष्ट नहीं है।

महामारी के शुरुआती महीनों में जब कोविड टीकों की खोज चल रही थी, तब अनुसंधानकर्ता यह जानने के इच्छुक थे कि क्या मौजूदा टीके सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ कुछ राहत दे सकते हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि ऐसे सबूत आ रहे थे कि कुछ टीके अतिरिक्त सुरक्षा भी दे सकते हैं।

इस अतिरिक्त सुरक्षा को ज्यादातर उन टीकों से जोड़ा गया है, जो जीवाणु के कमजोर रूपों से बने हैं। उदाहरण के लिए 100 साल पुराने टीबी के टीके बीसीजी और खसरे के टीके दोनों से, बिना किसी कारण के शिशुओं की मौत कम होती दिखायी दी है।

यह सुरक्षा इसलिए मानी जाती है क्योंकि ये टीके प्रतिरक्षा प्रणाली को झट से शुरू कर सकते हैं ताकि यह संक्रामक रोगों से अधिक प्रभावी ढंग से रक्षा कर सके।

द कन्वरसेशन

गोला मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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