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हर 6 में से एक बच्चा रहता है बेहद गरीबी में, हालात और बिगड़ने की सम्भावना: संयुक्त राष्ट्र

उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में दुनिया के 84 प्रतिशत बच्चे बेहद गरीबी में जी रहे थे, जिनमें से भारत और नाइजीरिया के बच्चों की संख्या सबसे अधिक है.

प्रतीकात्मक तस्वीर। कॉमन्स

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 18 साल से कम उम्र के हर छह में से एक बच्चा और कुल मिलाकर 356 मिलियन बच्चे कोरोना महामारी के पहले से ही बेहद गरीबी में जी रहे थे, जिसमें से 53.3 मिलियन भारत में हैं.

‘ग्लोबल बैंक ऑफ चिल्ड्रन इन मॉनेटरी पॉवर्टी: एन अपडेट’ नाम के इस अध्ययन को मंगलवार को वर्ल्ड बैंक ग्रुप और यूएन चिल्ड्रन्स फंड (यूनिसेफ) द्वारा प्रकाशित किया गया. इसमें 149 देशों के सर्वेक्षण शामिल हैं और दावा किया गया है कि महामारी के बाद अतिकुपोषित बच्चों की स्थिति खराब हो सकती है.


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इसमें कहा गया है कि उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में दुनिया के 84 प्रतिशत बेहद गरीब बच्चे शामिल हैं, जिनमें से भारत और नाइजीरिया सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं. हालांकि, अत्यधिक गरीबी में रहने वाले बच्चों की संख्या में 2013 और 2017 के बीच लगभग 29 मिलियन की गिरावट आई थी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस नोट में प्रस्तुत आंकड़े और अनुमान गरीब बच्चों पर पर कोविड-19 संकट के प्रभावों की गिनती नहीं करते हैं, क्योंकि हमारे विश्लेषण में शामिल सभी घरेलू सर्वेक्षण इस जारी महामारी से पहले से हैं. हालांकि, यह संभावना है कि कोविड-19 के बाद से रोज़गार और खाद्य सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव के परिणामस्वरूप स्थिति और गंभीर हो सकती है.’

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यूनिसेफ की परिभाषा के अनुसार ऐसे घर में रहने वाले बच्चे जहां प्रति व्यक्ति-प्रतिदिन 1.90 अमेरिकी डॉलर (प्रति दिन 140) या उससे कम पर जीवित के लोइए संघर्ष करते हैं. उप-सहारा क्षेत्र में ऐसे बच्चों की संख्या दो-तिहाई है, वहीं दक्षिण एशिया में ऐसे बच्चे दुनिया का लगभग पांचवा हिस्सा है.

पूर्वी एशियाई क्षेत्र में, चीन में सबसे अधिक गरीब बच्चों (11.9 मिलियन) हैं, वहीं उप-सहारा क्षेत्र में गरीबी में रहने वाले बच्चों की संख्या सबसे अधिक (234.1) मिलियन है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दुनिया भर में लगभग 102.6 मिलियन गरीब बच्चे 10 या अधिक सदस्यों के परिवारों में रहते हैं, और उनमें से 81.5 मिलियन के पास कोई शिक्षा नहीं थी, नाजुक और संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 41.6 प्रतिशत बच्चे अन्य देशों के 14.8 प्रतिशत बच्चों की तुलना में बेहद गरीब घरों में रहते थे.

यूनिसेफ के कार्यक्रम निदेशक संजय विजेसेरा ने कहा कि इन आंकड़ों से किसी को भी झटका लगना चाहिए. महामारी द्वारा उत्पन्न वित्तीय कठिनाइयां हालातों को और बदतर ही बनायेंगी. सरकारों को तत्काल बच्चों और उनके परिवारों को कई सालों तक गरीबी के स्तर तक पहुंचने से रोकने के लिए योजनाएं बनानी चाहिए.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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