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ट्रंप ने अमेरिका में बेरोजगारी को देखते हुए H-1B वीजा पर एक साल की रोक लगाई, इसका हो रहा है विरोध

H-1B वीजा पर रोक लगाने से ट्रंप का मानना है कि अमेरिकी नागरिकों को वरीयता मिलेगी और कोरोनावायरस के कारण आर्थिक संकट से गुजर रहे अमेरिका को उबरने में भी मदद मिलेगी.

डोनाल्ड ट्रंप, फाइल फोटो | एएनआई (रॉयटर्स)

नई दिल्ली: कोरोनावायरस संक्रमण से सबसे अधिक जूझ रहे अमेरिका ने बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए वर्क वीजा पर एक साल तक रोक लगाने का फैसला लिया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका फर्स्ट की नीति अपनाते हुए कुछ वर्क वीजा को एक साल और इस साल के अंत तक एक्सटेंड कर रहे हैं यानि बढ़ा रहे हैं.

ऐसा करने से उनका मानना है कि अमेरिकी नागरिकों को वरीयता मिलेगी और कोरोनावायरस के कारण आर्थिक संकट से गुजर रहे अमेरिका को उबरने में भी सहायता मिलेगी.

व्हाइट हाउस ने बयान जारी कर कहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसमें H-1Bs, H-2Bs सहित की वीजा पर रोक लगाई है. इस कदम से करीब 5 लाख 25 हजार पद खाली होंगे. इससे इतने ही अमेरिका के मूल निवासियों को रोजगार मिल पाएगा.

व्हाइट हाउस ने अपने बयान में कहा, ‘अमेरिका योग्यता आधारित इमीग्रेशन पॉलिसी की तरफ बढ़ रहा है. इसके तहत ट्रंप सरकार अधिक-कुशल श्रमिकों को प्राथमिकता देने और अमेरिकी नागरिकों की नौकरियों की सुरक्षा के लिए इमीग्रेशन पॉलिसी में सुधार कर रही है.

हालांकि अमेरिका में ही डोनाल्ड ट्रंप के इस कदम का विरोध शुरू हो गया है. अमेरिका में भारतीय मूल के कांग्रेस के राजा कृष्णमूर्ति ने वर्क वीजा पर लगाए जा रहे इस कदम पर निराशा जाहिर की है. उन्होंने ट्रंप ने इस कदम को वापस लेने की सलाह देते हुए कहा है कि एच1-वीजा बड़े स्तर पर तकनीक उद्योग से ताल्लुक रखता है और इससे देश के तकनीक उद्योग को बड़ी परेशानी होगी.

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विरोध हुआ शुरू- अभी रोक लगाने का समय नहीं

कृष्णमूर्ति ने बयान जारी कर कहा कि मैं इन प्रमुख कार्य वीजा कार्यक्रमों को निलंबित करने के राष्ट्रपति के कदम से बहुत निराश हूं. मैं उनसे गुजारिश करता हूं कि वह उस निर्णय को वापस लें ताकि हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और व्यापक अर्थव्यवस्था इस महामारी के अगले चरण का मुकाबला करने के लिए तैयार हो सके.

कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘हमारे आर्थिक सुधार के लिए नौकरियों की जरूरत है.’

कृष्णमूर्ति ने ट्रंप प्रशासन का ध्यान हेल्थ सेक्टर की तरफ दिलाते हुए कहा, ‘एच -1 बी कार्यक्रम, विशेष रूप से, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को अमेरिका में कमी को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.’

‘साथ ही यह हमारी अर्थव्यवस्था के अन्य प्रमुख क्षेत्रों को दुनिया भर से प्रतिभाओं को न केवल रोजगार देने के लिए बल्कि नए बनाने के लिए भी प्रदान करता है. कांग्रेस ने कहा कि कार्यक्रम केवल हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों को कमजोर करेगा, जबकि इन दोनों को मजबूत करने की जरूरत है.’

हालांकि ट्रंप के इस कदम से भारतीय पेशेवरों पर काफी असर पड़ेगा. व्हाइट हाउस ने अपने बयान में कहा कि इन सुधारों से अमेरिकी कामगारों को अधिक से अधिक रोजगार मिलेगा.साथ ही अमेरिका में सिर्फ उन कर्मचारियों को ही प्रवेश मिलेगा जो कुशल है.

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