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सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं के कारण टीकों के बारे में बनी गलत छवि, स्टडी में दावा

मॉन्स्टेड ने कहा ‘हमने पाया कि सोशल नेटवर्क में लोग सूचना का जो स्रोत चुनते हैं वह टीके के प्रति उनके अपने रुख पर काफी द तक निर्भर करता है.’

covid-19 vaccine
प्रतीकात्मक तस्वीर | पिक्सेल्स

लंदन: सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं ने टीका लगवाने के लिए हिचकिचाहट को बढ़ावा दिया है और टीकों लाभ-हानि को लेकर गलत छवि बनायी है. एक अध्ययन में यह दावा किया गया है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने टीका लगवाने को लेकर हिचकिचाहट को वैश्विक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है.

टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क (डीटीयू) के बार्के मॉन्सटेड ने कहा, ‘टीके के समर्थक जब भी ट्विटर पर टीकों के बारे में जानकारी साझा करते हुए समाचार मीडिया और विज्ञान संबंधी साइटों का हवाला देते हैं तो हम देख सकते हैं कि टीकों का विरोध करने वाले लोगों से जुड़े प्रोफाइल्स उन यूट्यूब वीडियो और साइटों का लिंक ज्यादा साझा करते हैं जिन्हें फर्जी खबरें और साजिश वाली धारणाएं फैलाने के लिए जाना जाता है.’

उन्होंने कहा, ‘टीके की विरोधी प्रोफाइल अक्सर उन वाणिज्यिक साइटों से जुड़ी होती हैं जो वैकल्पिक स्वास्थ्य उत्पाद बेचती हैं. यह हैरानी की बात है कि टीकों को लेकर हिचकिचाहट हितों के वित्तीय टकराव के डर से निकलती है.’

मॉन्सटेड ने कहा कि पहले के अध्ययन से पता चलता है कि वैकल्पिक स्वास्थ्य उत्पादों की बिक्री से कमायी करने वाले लोग टीकों को लेकर गलत सूचना फैलाने के जिम्मेदार होते हैं.

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पत्रिका ‘पीएलओएस वन’ में हाल में प्रकाशित इस नए अध्ययन में कोविड-19 महामारी से पहले के करीब 60 अरब ट्वीट्स का विश्लेषण किया गया.

मॉन्स्टेड ने कहा ‘हमने पाया कि सोशल नेटवर्क में लोग सूचना का जो स्रोत चुनते हैं वह टीके के प्रति उनके अपने रुख पर काफी द तक निर्भर करता है.’

भाषा

गोला मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.


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