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अटकलें खत्म, गोवा में SCO सम्मेलन में हिस्सा लेंगे पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मुमताज़ ज़हरा बलोच ने बृहस्पतिवार को साप्ताहिक प्रेसवार्ता में कहा कि भुट्टो जरदारी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की निमंत्रण पर एससीओ-सीएफएम बैठक में हिस्सा लेंगे. 

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी, फाइल फोटो | ANI

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी भारत के गोवा में होने वाली शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) समिट में हिस्सा लेंगे, पाकिस्तान के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी है.

भुट्टो जरदारी गोवा में 4-5 मई 2023 को होने वाली एससीओ विदेश मंत्रियों (सीएफएम) की बैठक में पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे.

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मुमताज़ ज़हरा बलोच ने बृहस्पतिवार को साप्ताहिक प्रेसवार्ता में कहा कि भुट्टो जरदारी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की निमंत्रण पर एससीओ-सीएफएम बैठक में हिस्सा लेंगे.

उन्होंने कहा, ‘बैठक में हमारी भागीदारी एससीओ चार्टर और प्रक्रियाओं के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता और पाकिस्तान की विदेश नीति की प्राथमिकताओं में क्षेत्र को दिए जाने वाले महत्व को दिखाती है.’

बिलावल 12 साल के अंतराल में पाकिस्तान के पहले विदेश मंत्री होंगे जो कि भारत की यात्रा करेंगे, बिजनेस रिकॉर्डर ने इसकी जानकारी दी है. 2011 में तब की पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार भारत आई थीं. इससे दोनों देशों के संबंधों में आई कड़वाहट के कम होने की उम्मीद है.

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भारत ने विदेश मंत्रियों की इस बैठक को लेकर औपचारिक तौर पर पाकिस्तान, चीन समेत शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) के सभी सदस्यों को निमंत्रण भेजा है.

इसके साथ ही हफ्तों से चली आ रही इन अटकलों पर विराम लग गया है कि भुट्टो व्यक्तिगत रूप से सम्मेलन में हिस्सा लेंगे या नहीं.

फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत के लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर को नष्ट कर दिया था, जिसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए थे.

अगस्त 2019 में भारत ने जम्मू- कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेकर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था, जिसके बाद दोनों देशों के संबंधों में और कड़वाहट पैदा हो गई.

इसके अलावा चीन के विदेश मंत्री किन गैंग और उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के भी बैठक में भाग लेने की संभावना है.

20 साल पुराने इस संगठन के रूस, भारत, चीन, पाकिस्तान व चार मध्य एशियाई देश – कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान सदस्य हैं.

एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में हुए रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों के शिखर सम्मेलन में की गई थी. बाद के वर्षों में यह सबसे बड़े क्षेत्रीय संगठनों में से एक बनकर उभरा.

भारत और पाकिस्तान 2017 में चीन में स्थित एससीओ के स्थायी सदस्य बने थे.

ईरान सदस्य बनने वाला हालिया देश है और भारतीय अध्यक्षता में पहली बार पूर्ण सदस्य के रूप में समूह की बैठक में हिस्सा लेगा.

शंघाई सहयोग संगठन की पिछली बैठक उज्बेकिस्तान के समरकंद में हुई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया था.

(न्यूज एजेंसी एएनआई और भाषा के इनपुट्स के साथ)


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